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संदीपा धर ने महिला दिवस पर दिया दमदार संदेश

संदीपा धर ने महिला दिवस पर दिया दमदार संदेश

मुंबई, 08 मार्च (वार्ता) अभिनेत्री संदीपा धर ने महिला दिवस के अवसर पर दमदार संदेश दिया है।

इस महिला दिवस पर,संदीपा धर ने सोशल मीडिया पर एक जोरदार और सोचने पर मजबूर करने वाला संदेश साझा किया, जो कई लोगों को गहराई से प्रभावित करेगा। अपने पोस्ट में, उन्होंने उन गहरी जड़ों वाली लैंगिक धारणाओं पर सवाल उठाया, जो अब भी महिलाओं की महत्वाकांक्षा और नेतृत्व को सीमित नजरिए से देखती हैं।

संदीपा ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा, आपकी महत्वाकांक्षा 'बहुत ज्यादा' नहीं ,बल्कि समाज की कल्पना बहुत छोटी है।पिछले हफ्ते, एक पत्रकार ने मुझसे पूछा कि मैं 'काम और निजी जिंदगी के बीच संतुलन' कैसे बनाती हूं। मैंने मुस्कुराते हुए जवाब दिया, 'क्या आप यह सवाल पुरुष अभिनेताओं से भी पूछते हैं?' उसकी असहज चुप्पी और 'नहीं' में दिया गया जवाब अपने आप में सब कुछ कह गया। मुझे यह बेहद अजीब लगता है कि पुरुषों को ,जिन्हें रिसर्च के अनुसार मल्टीटास्किंग में कमज़ोर माना जाता है।कभी यह साबित नहीं करना पड़ता कि वे अपनी जिंदगी के अलग-अलग पहलुओं को कैसे संभालते हैं। दूसरी ओर, महिलाओं से हमेशा यह उम्मीद की जाती है कि वे अपने सपनों और ज़िंदगी का हिसाब दें। यही कारण है कि जब मैंने 'मलिका' का किरदार निभाया, तो उसकी यात्रा मेरे दिल के बहुत करीब रही।

संदीपा धर ने कहा,महिला दिवस के इस मौके पर, मैं हर उस औरत का जश्न मना रही हूं जिसे 'ज़िद्दी' कहा गया क्योंकि उसने अपने लिए स्टैंड लिया, 'बॉसी' कहा गया क्योंकि उसने नेतृत्व किया, और 'ड्रामेटिक' कहा गया क्योंकि उसने अपनी ज़रूरतें खुलकर रखीं। मलिका ने मुझे सिखाया कि हमारी जटिलता हमारी कमजोरी नहीं, बल्कि हमारी ताकत है। जब हम सम्मान मांगते हैं, तो हम 'बहुत ज्यादा भावुक' नहीं होते, और जब हम अपने सपनों को जीते हैं, तो हम 'बहुत महत्वाकांक्षी' नहीं होते। इसलिए, अपनी पहचान को गर्व से अपनाइए। जो दुनिया आज आपके सपनों का मज़ाक उड़ा रही है, वही कल आपको धन्यवाद देगी क्योंकि आपने उसकी सीमाओं को तोड़ा।और उन लोगों के लिए जो पूछते हैं 'लेकिन पुरुषों का क्या?' जब महिलाएं अपनी बात रखती हैं। नारीवाद किसी को छोटा करने के लिए नहीं है। यह उन परंपराओं को तोड़ने के लिए है, जो पुरुषों को अपनी भावनाएं छुपाने के लिए मजबूर करती हैं और महिलाओं को ताकत दिखाने पर सज़ा देती हैं। नारीवाद पुरुषों को भी पितृसत्ता से मुक्त करता है, जब महिलाएं आगे बढ़ती हैं, तो समाज भी आगे बढ़ता है।जिस महिला की महत्वाकांक्षा आपको प्रेरित करती है, उसे टैग करें। आइए, एक-दूसरे को आगे बढ़ने में मदद करें!

प्रेम

वार्ता

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