Wednesday, Nov 19 2025 | Time 04:14 Hrs(IST)
बिजनेस


विकसित भारत की मंजिल पाने के लिए राजकोषीय स्थिति में सुधार जरूरी: निर्मला सीतारमण

नयी दिल्ली, 04 नवंबर (वार्ता) वित्त और कार्पोरेट मामलों की मंत्री निर्मला सीतारमण ने विकसित भारत के लक्ष्य के लिए केंद्र और राज्य सरकारों के खजाने की स्थिति में निरंतर सुधार को जरूरी बताते हुए कहा कि कोई भी वित्त मंत्री लोकलुभावन कार्यक्रमों के लिए पैसा बांटने के बाद यह नहीं कह सकता है कि उसके पास विकास योजनाओं के लिए धन नहीं है।
श्रीमती सीतारमण ने यहां डेलही स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स (डीएसई) में हीरक जयंती व्याख्यान देने के बाद विद्यार्थियों के सवालों का जवाब देने के क्रम में कहा कि सरकारें अपनी आय से अधिक खर्च करने के बाद कर्ज लेने को उद्दत होती हैं, पर कर्ज का स्तर नीचे लाने के लिए सरकार ने अब सार्वजनिक कर्ज को सकल घरेलू उत्पाद के एक निश्चित हिस्से तक सीमित रखने की दीर्घकालिक वृहद योजना तय की है जिसका केंद्र और राज्य सरकारों के स्तर पर पालन करना होगा।
उन्होंने कहा कि सरकारों के 'रेवड़ी बांट' और विकास के लक्ष्यों के बीच विरोधाभास से जुड़े एक सवाल पर वित्त मंत्री ने कहा, "उत्पादक सम्पत्तियों में निवेश करने और रेवड़ी बांटने के बीच विभाजन की हल्की सी रेखा है। मैं नाम नहीं लेना चाहती, पर कई राज्य मुफ्त की रेवड़ी बांटने और सरकार चलाने के लिए प्रतिबद्ध खर्चों के ऊंचे स्तर के कारण संकट में हैं।"
वित्त मंत्री ने कहा, "हमारे लिए, और विकासित भारत के लक्ष्य के लिए यह जरूरी है कि हम हम पूरी सोच समझ के साथ लगातार राजकोषीय सुधारों की राह पर बने रहें और हमारा राजकोषीय प्रबंध विवेकपूर्ण हो। यह हर जिम्मेदार वित्त मंत्री का दायित्व बनता है।"
केंद्रीय वित्त मंत्री ने कहा कि कई राज्यों में सरकारी राजस्व का 70 प्रतिशत खर्च प्रतिबद्ध मदों में चला जाता है। ऐसे में उनके पास केवल 30 प्रतिशत धन बचता है। तेज वृद्धि और विकास के वर्तमान दौर में इतने कम धन से काम नहीं चलता।
उन्होंने इसी संदर्भ में कहा, "हमें डॉक्टर शिक्षाविद, पैरा मेडिक, इन सबकी बहुत जरूरत है, पर आप एक सीमा से अधिक इन पर अपना बजट नहीं खर्च कर सकते। मुफ्त की रेवड़ी और प्रतिबद्ध खर्च का स्तर बहुत ऊंचा रखकर नहीं चला जा सकता।"
श्रीमती सीतारमण ने कहा कि जीएसटी परिषद की बैठकों में हर वित्त मंत्री, चाहे वह किसी भी दल का हो, अपने राजस्व को लेकर हमेशा राजस्व सतर्क रहता है और ऐसी किसी भी छूट और कटौती के प्रस्ताव पर मुखर होकर कहता है कि इस पर और विचार करने की जरूरत है क्योंकि इससे उसका राजस्व प्रभावित हो सकता है।
उन्होंने कहा कि हर राज्य के वित्त मंत्री का दायित्व है कि वह आम लोगों को दिक्कत में डाले बिना और कर्ज का बोझ बढ़ाये बगैर अपने राजस्व में वृद्धि करे। इसके लिए तकनीकों का इस्तेमाल करके वसूली में सुधार और अपवंचन या कर से बचने की प्रवृत्ति पर रोक लगाने के उपाय किये जा सकते हैं।
उन्होंने कहा, "हम यहां राजस्व जुटाने के लिए बैठे हैं, हम लोगों को परेशान करने या कर बोझ बढ़ाने के लिए नहीं हैं। वित्त मंत्री का काम राजस्व राजस्व सृजित करना है। हम अपनी इस जिम्मेदारी से बच नहीं सकते। अगर हम रेवड़ी बांटते रहें तो हमारे पास विकास के काम के लिए पैसा नहीं बचेगा। हमसे किसी योजना के लिए पैसा मांगा जाये तो हमारा यह जवाब नहीं हो सकता कि हमने पैसा बांट दिया हमारे पास धन नहीं बचा है।"
श्रीमती सीतारमण ने कहा कि राजकोषीय अनुशासन को लेकर उन्होंने आज ही अपने अधिकारियों की टीम के साथ बैठक की है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि "ईश्वर की कृपा और प्रधानमंत्री के सहयोग से" चालू वित्त वर्ष में निर्धारित राजकोषीय लक्ष्यों को हासिल कर लिया जायेगा। इसके साथ ही उन्होंने सार्वजनिक कर्ज को जीडीपी के एक हद तक सीमित रखने की इस बार के बजट में प्रस्तावित दीर्घावधिक योजना को देश के विकास के लिए महत्वपूर्ण बताया।
उन्होंने कहा को कोविड के बाद एक तय लक्ष्य हासिल करने के उपरांत सरकार का ध्यान कर्ज-जीडीपी के अनुपात को सीमित करने पर होगा। ऐसा इसलिए है कि लक्ष्य से अधिक खर्च कर लेने पर कर्ज लेना पड़ता है, लेकिन अब एक सीमा होगी कि आप किस हद तक कर्ज का सहारा ले सकते हैं। राजकोषीय उत्तरदायित्व एवं बजट प्रबंध अधिनियम के तहत यह सीमा देश और राज्यों दोनों के लिए निर्धारित होगी।
उल्लेखनीय है कि वित्त वर्ष 2025-26 के लिए केंद्र सरकार ने राजकोषीय घाटे को जीडीपी के 4.4 प्रतिशत तक सीमित रखने का लक्ष्य रखा है, जो करीब 15.69 लाख करोड़ रुपये है। यह लक्ष्य 2024-25 के 4.8 प्रतिशत से कम है।
इसके साथ ही अब केंद्र सरकार ने 2030-31 के अंत तक अपने ऋण बनाम जीडीपी अनुपात को 49 प्रतिशत से 51 प्रतिशत के बीच रखने का लक्ष्य रखा है। वित्त वर्ष 2026-27 से इसे राजकोषीय मजबूती की एक नयी कसौटी के रूप में इस्तेमाल करना है। वित्त वर्ष 2025-26 के केंद्रीय बजट में घोषित यह लक्ष्य, पिछले राजकोषीय लक्ष्यों से हट कर है।
वित्त मंत्री ने इससे पहले अपने व्याख्यान में कहा कि भारत आज अपनी अर्थव्यवस्था की ताकत की बदौलत दुनिया के सामने सिर उठाकर बात करता है। उन्होंने कहा, "आज मैं अपने हित की बात कर रही हूं तो अपनी शक्ति के साथ करती हूं। भारत 2014 में दुनिया की 10वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था था, आज चौथे स्थान पर है और जल्दी ही तीसरे स्थान पर होगा। भारत की यह आर्थिक ताकत है जिसके बल पर देश वैश्विक स्तर पर मजबूती के साथ खड़ा है।"
उन्होंने कहा कि परमाणु हथियार या सैन्य शक्ति से सम्पन्न देश आज उस स्थित में नहीं हैं जिस स्थिति में भारत है क्योंकि वे आर्थिक रूप से उतने मजबूत नहीं हैं।
उन्होंने भारतीय अर्थव्यवस्था को 'निष्प्राण' बताने वाले अमेरिकी नेताओं का नाम लिए बगैर उन्हें घेरते हुए कहा, "140 करोड़ की आबादी वाले एक ऐसे देश को, जो 2014 में 10वें स्थान से आज चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया और जल्दी ही तीसरे स्थान पर पहुंचने वाला है, जिसने अपने बल पर करोड़ों लोगों को बहुआयामी गरीबी से बाहर निकाला है, उसे निष्प्राण कौन कह सकता है।"
उन्होंने देश के अंदर ऐसी बात करने वालों पर अफसोस जताया। श्रीमती सीतारमण ने कहा, "बाहर से कोई हमें चिढ़ाने की बात कर सकता है, लेकिन देश के अंदर के लोगों को ऐसी बात नहीं करनी चाहिये।"
वित्त मंत्री ने नये दौर में आर्थिक सामाजिक प्रगति के लिए एआई जैसी अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी के प्रयोग को महत्वपूर्ण बताया और इसे श्रम, भूमि, पूंजी और उद्यमिता के बाद उत्पादन का 'पांचवां साधन' बताया। उन्होंने कहा कि इससे पुरानी समस्याओं के समाधान निकल रहे हैं। अर्थव्यवस्था में इसकी भूमिका को पहचाना जाना चाहिये।
उन्होंने कहा कि डीएसई जैसे उच्च शिक्षण संस्थानों को अपने पाठ्यक्रम और अनुसंधान कार्यों के माध्यम से शासन को अधिक पुष्ट करने का प्रयास करना चाहिये। उन्होंने बदले हालात में अर्थशास्त्र, समाज शास्त्र और पर्यावरण विज्ञान क्षेत्र के विशेषज्ञों के बीच संपर्क और संवाद बढ़ाने की जरूरत पर बल दिया है।
वित्त मंत्री ने डीएसई के युवा अर्थशास्त्रियों को अगले वित्त वर्ष के बजट के विषय में नये-नये सुझाव देने के लिए मंत्रालय में आमंत्रित किया और कहा कि यह सिलसिला आगे भी जारी रखा जा सकता है।
कार्यक्रम में दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति योगेश सिंह और डीएसई के शीर्ष अधिकारी उपस्थित थे।
मनोहर अजीत
वार्ता
More News

अमेरिका के साथ व्यापार वार्ता में अपने संवेदनशील क्षेत्रों के हितों की रक्षा को प्राथमिकता देगा भारत: गोयल

18 Nov 2025 | 8:53 PM

नयी दिल्ली, 18 नवंबर (वार्ता) केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने मंगलवार को कहा कि अमेरिका के साथ व्यापार समझौता वार्ता में भारत अपने किसानों, मछुआरों और अन्य संवेदनशील क्षेत्रों के हितों की रक्षा को अनिवार्य मानता है।.

see more..

एचडी कुमारस्वामी और जुएल ओराम ने राउरकेला इस्पात संयंत्र का दौरा किया

18 Nov 2025 | 8:16 PM

राउरकेला, 18 नवंबर (वार्ता) केंद्रीय इस्पात एवं भारी उद्योग मंत्री एचडी कुमारस्वामी और जनजातीय मामलों के केंद्रीय मंत्री जुएल ओराम ने मंगलवार को 2025 को सेल, राउरकेला इस्पात का दौरा किया। .

see more..

भारत-अमेरिका भागीदारी मजबूत, रणनीतिक, आर्थिक में लगातार विकास हो रही है: गोयल

18 Nov 2025 | 8:14 PM

नयी दिल्ली, 18 नवंबर (वार्ता) केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने मंगलवार को कहा कि भारत-अमेरिका भागीदारी मजबूत है तथा रणनीतिक एवं आर्थिक क्षेत्रों में इसका निरंतर विस्तारित होता जा रहा है। .

see more..

वाहन उद्योग की तीन दिवसीय कौशल प्रदर्शनी राजधानी में शुरू

18 Nov 2025 | 7:34 PM

नयी दिल्ली, 18 नवंबर (वार्ता) ऑटोमोटिव स्किल्स डेवलपमेंट काउंसिल (एएसडीसी) की मंगलवार से यहां शुरू हुई तीन दिवसीय कौशल प्रदर्शनी में एक ट्राय-ए-स्किल जोन बनाया गया है जहां आगंतुक किसी कौशल विशेष में अपनी क्षमता आजमा सकते हैं। .

see more..

दिल्ली जिंस बाजार दो अंतिम

18 Nov 2025 | 7:31 PM

सरकारी वेबसाइट पर जारी खाद्यान्नों के दिन के औसत थोक भाव इस प्रकार रहे :-.

see more..