नयी दिल्ली, 15 अप्रैल (वार्ता) उच्चतम न्यायालय ने छत्तीसगढ़ कथित शराब घोटाले से जुड़े धन शोधन मामले में भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के पूर्व अधिकारी अनिल टुटेजा को मंगलवार को जमानत दे दी।
न्यायमूर्ति अभय एस ओका और न्यायमूर्ति उज्ज्वल भुइयां की पीठ ने टुटेजा को राहत देते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने दो अप्रैल, 2025 के आदेश में इसी आधार पर विशेष अदालत के संज्ञान आदेश को पहले ही खारिज कर दिया था और अब तक उस आदेश को कोई चुनौती नहीं दी गई है।
पीठ ने संज्ञान आदेश पारित करने से पहले धारा 197 सीआरपीसी (अब धारा 218 बीएनएसएस) के तहत पूर्व मंजूरी न लेने को ध्यान में रखा। शीर्ष अदालत ने कहा, “आज तक संज्ञान लेने का कोई आदेश नहीं है।”
पीठ ने इस बात पर प्रकाश डाला कि टुटेजा को 21 अप्रैल, 2024 को गिरफ्तार किया गया और वह करीब एक साल से हिरासत में था। मामले में 20 से अधिक आरोपियों के नाम हैं। तीस से अधिक अभियोजन पक्ष के गवाहों का हवाला दिया गया है।
शीर्ष अदालत ने सेंथिल बालाजी मामले में अपने पहले के फैसले का हवाला देते हुए कहा कि उसमें निर्धारित सिद्धांत वर्तमान मामले पर भी लागू होते हैं। इसने 12 फरवरी, 2025 को एक सह-आरोपी को समान परिस्थितियों में जमानत देने के अपने आदेश का भी हवाला दिया।
अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ने जमानत याचिका का विरोध करते हुए कहा कि टुटेजा एक प्रभावशाली व्यक्ति हैं। उनकी सबूतों के साथ छेड़छाड़ करने की प्रवृत्ति है। इस पर अदालत ने कहा कि ऐसी चिंताओं को कम करने के लिए कड़ी शर्तें लगाई जा सकती हैं।
सर्वोच्च न्यायालय ने निर्देश दिया कि अपीलकर्ता को जमानत की औपचारिकताएं पूरी करने के लिए संबंधित जिले के प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश के समक्ष पेश किया जाए। चूंकि पीएमएलए की धारा 43(1) के तहत विशेष न्यायालय उपलब्ध नहीं है (पद रिक्त है), इसलिए सत्र न्यायालय जमानत प्रक्रिया का निपटारा करेगा।
शीर्ष अदालत ने निर्देश दिया कि आरोपी को पासपोर्ट जमा करने और विशेष अदालत के साथ सहयोग करने तथा संज्ञान पर कार्यवाही में नियमित रूप से उपस्थित होने का वचन देने सहित कठोर शर्तों के अधीन जमानत दी जा सकती है।
अदालत ने यह भी कहा कि यदि टुटेजा सहयोग करने में विफल रहते हैं तो प्रतिवादी जमानत रद्द करने के लिए आवेदन कर सकता है।
बीरेंद्र, यामिनी
वार्ता