श्रीनगर, 15 अप्रैल (वार्ता) जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने मंगलवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के साथ श्रीनगर में हुयी बैठक के बाद प्रदेश का दर्जा बहाल होने को लेकर आशा व्यक्त की।
श्री उमर ने पुलवामा जिले में पत्रकारों से बातचीत में कहा, 'हमें लगता है कि राज्य का दर्जा बहाल करने का सही समय आ गया है, क्योंकि विधानसभा चुनाव के छह महीने बीत चुके हैं। पिछले सप्ताह केंद्रीय गृह मंत्री साहब श्रीनगर और जम्मू दोनों जगहों पर गए थे। मैंने उनके साथ अलग से बैठक की। यह एक अच्छी बैठक थी... मुझे अब भी उम्मीद है कि जम्मू-कश्मीर को जल्द ही फिर से राज्य का दर्जा मिल जाएगा।'
उन्होंने विपक्ष के इस आरोप पर कि नेशनल कॉन्फ्रेंस (नेकां) सरकार ने विधानसभा में वक्फ अधिनियम पर बहस की अनुमति नहीं दी, इसके लिए प्रक्रियागत बाधाओं को जिम्मेदार ठहराया।
विधानसभा में वक्फ (संशोधन) अधिनियम पर चर्चा की अनुमति न देने के लिए जम्मू-कश्मीर विधानसभा अध्यक्ष और सत्तारूढ़ नेकां के खिलाफ लोगों में गुस्सा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि विधायकों ने विधानसभा में स्थगन प्रस्ताव के जरिए इस मुद्दे को उठाने का प्रयास किया था जो विशेष रूप से जम्मू-कश्मीर सरकार के मामलों से संबंधित मामलों के लिए है।
उन्होंने केंद्र द्वारा कानून बनाए गए मुद्दे पर स्थगन प्रस्ताव का उपयोग करने की प्रासंगिकता पर सवाल उठाया।
उन्होंने कहा कि अब मुझे बताइए अगर यह स्थगन प्रस्ताव स्वीकार कर लिया गया होता तो हम क्या जवाब देते। वक्फ बिल हम नहीं लाए थे। इसे केंद्र सरकार और संसद ने पारित किया है। तो जम्मू-कश्मीर सरकार क्या जवाब देती।
श्री उमर ने कहा कि अगर यह प्रस्ताव किसी अन्य कानूनी प्रावधान के तहत लाया गया होता तो शायद इस पर विचार किया जा सकता था।
उन्होंने कहा, 'अगर यह प्रस्ताव किसी अन्य तरीके से या किसी अन्य कानून के तहत लाया गया होता तो शायद इसे स्वीकार किया जा सकता था।' मुख्यमंत्री ने कहा कि नेकां इस अधिनियम के खिलाफ उच्चत्तम न्यायालय चली गई है।
श्री अब्दुल्ला ने कहा, 'नेशनल कॉन्फ्रेंस सहित विभिन्न दलों ने उच्चतम न्यायालय के सामने अपना मामला रखा है। अब देखते हैं कि उच्चतम न्यायालय का फैसला क्या होता है।'
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