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गुजरात राजभवन में ‘सर्वधर्म समभाव सभा’ आयोजित

गुजरात राजभवन में ‘सर्वधर्म समभाव सभा’ आयोजित

गांधीनगर, 10 मई (वार्ता) गुजरात के गांधीनगर स्थित राजभवन में शनिवार को ‘भारत जोड़ो अभियान’ के अंतर्गत ‘सर्वधर्म समभाव सभा’ का आयोजन किया गया।

महर्षि दयानंद सभामंडपम में आयोजित इस गरिमामयी सभा की अध्यक्षता राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने की, जिसमें मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल और गृह राज्य मंत्री हर्ष संघवी भी उपस्थित रहे। इस अवसर पर हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, जैन, पारसी, दाऊदी बोहरा सहित सभी धर्मों और संप्रदायों के प्रतिष्ठित प्रतिनिधिगण बड़ी संख्या में शामिल हुए।

सभा के आयोजन का उद्देश्य था कि जब देश अपनी सीमाओं की सुरक्षा को लेकर प्रतिबद्ध है, तब सभी धर्मों और संप्रदायों के लोग एकजुट होकर भारत की अखंडता, एकता और शांति के पक्ष में खड़े रहें। राजभवन का यह आयोजन सामाजिक समरसता, राष्ट्रभक्ति और एकता का प्रेरक उदाहरण बना।

श्री देवव्रत ने अपने उद्बोधन में कहा कि भारत ने इतिहास में कभी किसी देश पर अधिकार जमाने के लिए अपनी सेना नहीं भेजी, बल्कि प्रेम, सहिष्णुता और आध्यात्मिक मूल्यों के माध्यम से पूरे विश्व में लोगों के हृदय जीते हैं। उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति की यही विशेषता हमें एक अद्वितीय राष्ट्र बनाती है। गुजरात राजभवन में इस ऐतिहासिक अवसर पर आज सभी धर्मों, संप्रदायों और पंथों के प्रतिष्ठित धर्मगुरु एवं प्रबुद्ध प्रतिनिधिगण एक साथ एकत्र हुए।

राज्यपाल ने इस अनूठे समागम में पधारे सभी महानुभावों का हृदय से अभिनंदन एवं स्वागत किया। उन्होंने कहा कि आज एक ही दिन में विविध संप्रदायों के इतने सम्माननीय व्यक्तियों का राजभवन आना, हमारी भारतीय संस्कृति की सहिष्णुता, एकता और आध्यात्मिक विरासत का प्रतीक है।

उन्होंने विभिन्न धर्मों हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, दाऊदी बोहरा, पारसी और जैन समुदायों के धर्मगुरुओं द्वारा दिए गए राष्ट्रभक्ति से परिपूर्ण वक्तव्यों को सुनकर प्रसन्नता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि यही विचार इस देश की असली ताकत हैं। भारत की सांस्कृतिक धरोहर अत्यंत सहिष्णु और आध्यात्मिक रही है। भारत ने इतिहास में कभी किसी देश को जीतने के लिए अपनी सेना नहीं भेजी, बल्कि अपने धर्मगुरुओं और संतों को प्रेम, सहिष्णुता और करुणा का संदेश लेकर भेजा, जिन्होंने दुनिया के लोगों के दिलों को जीता।

श्री देवव्रत ने कहा कि भारतवासियों ने कभी किसी को दुःख नहीं दिया, किसी को कष्ट नहीं पहुँचाया। लेकिन जब हमारी सहनशीलता को कमजोरी समझा जाता है, तो समय की मांग होती है कि हम यशस्वी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में लिए गए निर्णयों के साथ खड़े रहें। आज जब सभी संप्रदायों के लोग एक साथ यहाँ उपस्थित हैं और सौहार्दपूर्ण वातावरण में संवाद कर रहे हैं, यह स्पष्ट संकेत है कि यदि हम इसी भाव से मिलकर चलें तो भारत एक सुखद, विकसित और शांतिपूर्ण राष्ट्र बन सकता है।

श्री देवव्रत ने कट्टरता और अलगाव की प्रवृत्तियों को राष्ट्र के लिए हानिकारक बताया और कहा कि जब समाज में उग्रता आती है तो वह भाईचारे और विकास के मार्ग को नष्ट कर देती है। उन्होंने सभी से आग्रह किया कि जिस मिट्टी में जन्म लिया, जिस अन्न और जल का सेवन किया, उसकी रक्षा करना हम सबका नैतिक कर्तव्य है। उन्होंने कहा कि भारत माता की रक्षा हेतु यदि बलिदान भी देना पड़े, तो हम पीछे न हटें।

अपने संदेश को प्रभावशाली ढंग से समझाने के लिए उन्होंने एक पक्षी परिवार की प्रेरणादायक कहानी सुनाई, जिसमें बताया गया कि धर्म का अर्थ है कर्तव्य निभाना भले ही कष्ट सहना पड़े, पर जिसने हमें सहारा दिया, उसके प्रति कृतज्ञता और धर्म निभाना सर्वोपरि है।

राज्यपाल ने कहा कि आज का समय धर्मपालन का समय है, और सभी भारतवासियों को एकता, भाईचारे और राष्ट्ररक्षा की भावना के साथ आगे बढ़ना चाहिए। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि सोशल मीडिया और अफवाहों से सावधान रहना चाहिए और केवल सरकार द्वारा अधिकृत सूचनाओं को ही स्वीकार करना चाहिए।

मुख्यमंत्री द्वारा दिए गए संदेश का उल्लेख करते हुए राज्यपाल ने कहा कि ऐसे समय में अफवाहों से समाज को भ्रमित करने का षड्यंत्र रचा जाता है। इसलिए गुजरात के प्रबुद्ध नागरिकों की जिम्मेदारी बनती है कि वे अपने-अपने समाजों में जागरूकता फैलाएं कि हम सब भारतवासी एक परिवार हैं और देशहित में जो भी करना पड़े, वह हमारा धर्म और कर्तव्य है। अंत में उन्होंने इस सर्वधर्म समरसता सभा में आए सभी धर्मगुरुओं और समाजजनों का पुनः आभार प्रकट किया और राष्ट्रहित में उनके योगदान की सराहना की।

श्री भूपेंद्र पटेल ने कहा कि सभा में उपस्थित सभी धर्मों के प्रतिनिधियों ने भावनाओं से परिपूर्ण अपने विचार प्रस्तुत कर यह स्पष्ट कर दिया कि हम सभी भारतीय एक हैं। यह समरसता और राष्ट्रीय एकता का प्रतीक है। उन्होंने राजभवन में आयोजित सर्वधर्म समभाव सभा को संबोधित करते हुए कहा कि हाल ही में पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद पूरे देशवासियों की अपेक्षा थी कि आतंकवाद के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए। ऐसे समय में प्रधानमंत्री श्री मोदी के नेतृत्व में भारतीय सेना ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत आतंकवादियों का सफाया कर एक सशक्त संदेश दिया है।

उन्होंने कहा कि आज की इस सर्वधर्म सभा में सभी धर्मों के धर्मगुरुओं ने उपस्थित रहकर अपने वक्तव्यों के माध्यम से यह संदेश दिया है कि हम सभी भारतीय एक हैं। इससे भारतीय सेना का मनोबल और उत्साह बढ़ा है, जो अत्यंत सराहनीय है। उन्होंने स्पष्ट किया कि आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता और भारतीय सेना ने उसे सख्त जवाब दिया है।

श्री पटेल ने कहा कि प्रधानमंत्री ने हमेशा विकास की राजनीति को प्राथमिकता दी है। उन्होंने ‘सबका साथ, सबका विकास’ और सामाजिक सद्भाव की नीति को अपनाया है। आज की सभा के माध्यम से हम सबने यह अनुभव किया है कि हम सभी अलग नहीं, बल्कि एक हैं। उन्होंने यह भी कहा कि राज्य सरकार सुरक्षा बलों को सभी आवश्यक व्यवस्थाएं और सुविधाएं उपलब्ध करा रही है। साथ ही उन्होंने सभी से आग्रह किया कि वर्तमान परिस्थिति में केवल सरकार द्वारा जारी की गई अधिकृत जानकारी को ही सोशल मीडिया पर साझा करें। झूठे संदेशों को न केवल हटाएं, बल्कि दूसरों को भी हटाने के लिए प्रेरित करें।

गृह राज्य मंत्री हर्ष संघवी ने भी अपने वक्तव्य में कहा कि हमें एकता का प्रतीक बनकर हर स्थिति में देश के साथ खड़े रहना है। धर्म, भाषा, वेशभूषा चाहे जैसी हो, हमारी पहचान एक ही हैं हम भारतीय हैं। सभा में उपस्थित विभिन्न धर्मों और समुदायों के प्रतिनिधियों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि मौजूदा स्थिति में आतंकवाद की नकारात्मकता को समाप्त करने और भारतीय सेना के मनोबल को और अधिक सशक्त बनाने के लिए हम सभी को एकजुट होकर प्रयास करने की आवश्यकता है।

उन्होंने कहा कि सभी धार्मिक और सामाजिक नेता एकता का प्रतीक बनकर भारत द्वारा की गई कार्रवाई का समर्थन करें और किसी भी परिस्थिति में देश के साथ मजबूती से खड़े रहें।

गृह राज्य मंत्री ने कहा कि भारत ने सदैव ‘वसुधैव कुटुंबकम्’ के मंत्र को प्राथमिकता दी है। यहां विविधता में एकता है। हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, जैन, बौद्ध, पारसी जैसे धर्म शांति से सह-अस्तित्व में हैं, जो भारत की आध्यात्मिक और धार्मिक विरासत का साक्षात दर्शन कराते हैं।

उन्होंने कहा कि वर्तमान परिस्थिति में भारतीय सेना देश की सुरक्षा के लिए शौर्यपूर्ण कार्रवाई कर रही है और ऐसे समय में देश की रक्षा हेतु सभी धर्मों के लोगों का एकजुट होकर साथ खड़ा होना अत्यंत आवश्यक है।

इस अवसर पर राज्यपाल के प्रधान सचिव अशोक शर्मा, गांधीनगर के कलेक्टर मेहुल दवे, महापालिका आयुक्त हितेन्द्रसिंह वाघेला के साथ-साथ अहमदाबाद और गांधीनगर के हिंदू, सिख, ईसाई, मुस्लिम, पारसी, जैन सहित विभिन्न संप्रदायों के संत-महंत, धर्मगुरु, समाज प्रमुख, स्वैच्छिक संस्थाओं के प्रतिनिधि और कार्यकर्ता बड़ी संख्या में उपस्थित रहे। इस आयोजन ने सर्वधर्म समभाव का भव्य और सजीव उदाहरण प्रस्तुत किया।

अनिल.संजय

वार्ता