राज्य » उत्तर प्रदेशPosted at: Jun 10 2025 3:45PM बदायूं, कौशांबी, प्रतापगढ़, बिजनौर के धार्मिक स्थलों के विकास योजनाओं को मिली स्वीकृतिलखनऊ 10 जून (वार्ता) उत्तर प्रदेश में आध्यात्मिक और विरासत पर्यटन को सशक्त बनाने के प्रयासों के तहत पर्यटन विभाग ने बदायूं, कौशांबी, प्रतापगढ़ और बिजनौर जिले के महत्वपूर्ण धार्मिक एवं बौद्ध स्थलों के विकास के लिए दो करोड़ 45 लाख रुपए से अधिक की लागत वाली परियोजनाओं को स्वीकृति प्रदान की है। प्रदेश के पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह ने मंगलवार को कहा कि इन परियोजनाओं का उद्देश्य न केवल पर्यटन स्थलों की आधारभूत संरचना को सुदृढ़ करना है, बल्कि पर्यटकों के अनुभव को बेहतर बनाना तथा पर्यटन क्षेत्र में आर्थिक गतिविधियों को गति देना भी है। उन्होने बताया कि इन परियोजनाओं के क्रियान्वयन से बदायूं जिले में पर्यटन गतिविधियों में वृद्धि होगी। साथ ही, स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर भी प्राप्त होंगे जिससे प्रदेश की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी। बदायूं के प्रतिष्ठित कुरु खेड़ा सिद्ध बाबा मंदिर में सौंदर्यीकरण और सुविधाओं के विकास के लिये 57.31 लाख रुपए की धनराशि आवंटित की गई है। वहीं, कौशांबी जिले के नीबी शाना गांव स्थित अश्वघोष बौद्ध विहार के पर्यटन उन्नयन के लिए 55.70 लाख रुपए का बजट स्वीकृत किया गया है। यह स्थल बौद्ध विरासत में अपना विशेष स्थान रखता है। यहां प्रतिवर्ष देश-विदेश से बौद्ध धर्मावलंबियों का आगमन होता है। पर्यटन मंत्री ने बताया कि इसी प्रकार प्रतापगढ़ में ग्राम सभा कोठा में दहिन देवी धाम, संडवा चंद्रिका मंदिर के आसपास के क्षेत्र में बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के लिए 57.40 लाख रुपए की परियोजना मंजूर की गई है। इसके अतिरिक्त, बिजनौर जनपद के नहटौर क्षेत्र के फतेहपुर गांव में स्थित प्राचीन शिव मंदिर के पर्यटन विकास के लिए 75.74 लाख रुपए की राशि निर्धारित की गई है। उन्होने बताया कि इन सभी स्थलों पर विकास कार्यों के अंतर्गत सौंदर्यीकरण, छायादार शेड का निर्माण, पेयजल की सुविधा, बैठने की उचित व्यवस्था जैसे कुर्सियों की स्थापना की जाएगी। साथ ही, पर्यटक अनुकूल अन्य सुविधाएं भी विकसित की जाएंगी। उन्होने बताया कि ‘‘उत्तर प्रदेश आध्यात्मिकता और सांस्कृतिक विरासत की भूमि है। हमारी सरकार इन स्थलों पर सुविधाएं विकसित कर पर्यटकों को एक बेहतर और स्वागत पूर्ण अनुभव देने के लिए प्रतिबद्ध है। यह विकास कार्य हमारे सांस्कृतिक स्थलों के संरक्षण तथा उन्हें विश्वस्तरीय पर्यटन स्थलों के रूप में स्थापित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।’’प्रदीपवार्ता