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विदेश में कंसर्ट करने वाले पहले भारतीय गायक थे तलत महमूद,

विदेश में कंसर्ट करने वाले पहले भारतीय गायक थे तलत महमूद,

पुण्यतिथि 09 मई के अवसर पर

मुंबई, 09 मई (वार्ता) अपनी मखमली आवाज़ से श्रोताओं का दिल जीतने वाले तलत महमूद पहले भारतीय गायक थे जिन्होंने विदेश में कंसर्ट किया।

तलत महमूद के साथ एक दिलचस्प तथ्य जुड़ा है की वह पहले ऐसे भारतीय गायक हैं जिनका विदेशों में भी कॉन्सर्ट हुआ था। वर्ष 1956 में ईस्ट अफ्रीका दौरे से शुरू हुआ यह सिलसिला अमेरिका, ब्रिटेन, वेस्टइंडीज जैसे मुल्कों तक फैला। तलत 1991 तक कॉन्सर्ट में गाते रहे।नवाबों के शहर लखनऊ में 24 फरवरी 1924 को जन्में तलत महमूद को बचपन से ही गाने का बड़ा शौक था, लेकिन इनके परिवार को उनका गाना बजाना बिल्कुल पसंद नही था। उनकी ज़िन्दगी में एक वक्त ऐसा भी आया जब इन्हें परिवार या फ़िल्मों में से किसी एक को चुनना था। इन्होंने गाने को चुना, जिस वजह से यह 10 सालों तक अपने परिवार से दूर रहे। बाद में जब वह एक मशहूर गायक बन गए तब इनके परिवार वालों ने उन्हें अपना लिया।

तलत महमूद ने संगीत की पढ़ाई लखनऊ के भातखंडे संगीत महाविद्यालय में की थी जिसे पहले मैरिस कॉलेज कहा जाता था। तलत वहां की प्रवेश परीक्षा की लिखित परीक्षा में कुछ ख़ास नहीं कर पाए, लेकिन जब उनकी स्वर परीक्षा हुई, तो परीक्षक उनका आलाप सुन कर आश्चर्यचकित रह गए और बिना कोई सवाल पूछे तलत महमूद का दाख़िला कर लिया गया। तलत महमूद ने 1939 में अपना गायन करियर शुरू किया। वह लखनऊ के ऑल इंडिया रेडियो में दाग़ देहलवी, जिगर मुरादाबादी और मीर तक़ी मीर की ग़ज़लें गाया करते थे। बहुत जल्द ही इनकी प्रतिभा को रिकॉर्ड कंपनी एच.एम.वी. ने परख लिया और 1941 में उसने उनकी आवाज़ में एक नॉन फ़िल्मी एलबम रिलीज़ किया। यह एलबम काफ़ी हिट हुआ ।

तलत महमूद ने इसके बाद कलकत्ता का रुख किया। वहां उन्होंने कई बांग्ला फ़िल्मों में तपन कुमार के नाम से गाने गाए। तलत महमूद दिखने में भी अच्छे लगते थे, इसलिए उन्हें वहां की फ़िल्मों में बतौर अभिनेता काम करने का भी मौका मिला। इसके बाद तलत महमूद ने बॉम्बे का रुख किया।बॉम्बे में अपनी गायकी के लिए उन्हें काफ़ी संघर्ष करना पड़ा। इस दौरान संगीतकार अनिल बिस्वास की नज़र तलत महमूद पर पड़ी और अपनी आवाज़ की जिस कंपन और लरजिश की वजह से इन्हें बार-बार रिजेक्ट किया जा रहा था, संगीतकार अनिल बिस्वास इनके इसी अंदाज पर फिदा हो गए। तलत महमूद ने फिल्म आरजू के लिये अनिल बिस्वास द्वारा रचित गीत ‘ऐ दिल मुझे ऐसी जगह ले चल’ से मिला के लिये पार्श्वगायन किया। फ़िल्म में यह गाना दिलीप कुमार के ऊपर फ़िल्माया गया था। गाना काफ़ी हिट भी हुआ। यहीं से उनका हिंदी फ़िल्मों में प्लेबैक सिंगिंग का शानदार सफ़र शुरू हो गया।

मख़मली आवाज़ के मालिक तलत महमूद ने 12 भारतीय भाषा में गाने गाए। तलत महमूद के बारे में एक क़िस्सा बहुत मशहूर हुआ था कि उन्होंने संगीतकार नौशाद के सामने सिगरेट पीकर कश उनके मुंह पर छोड़ दिया था। असल में बात यह थी कि संगीतकार नौशाद को यह बिल्कुल नही पसंद था की उनके साथ काम करने वाला कोई भी गायक स्टूडियो में सिगरेट पिए। उनकी इसी बात पर एक बार तलत महमूद ने उनको चिढ़ाने के लिए हंसी-हंसी में उनके सामने सिगरेट के कश लगाए, जिससे नाराज़ होकर उनके साथ कई गाने रिकॉर्ड करने वाले संगीतकार नौशाद ने फिर कभी उनसे कोई गाना नही गवाया।

गायकी के अलावा तलत महमूद ने फ़िल्मों में अभिनय भी किया था। उन्होंने नूतन, माला सिन्हा और सुरैया जैसी कई बड़ी अभिनेत्रियों के साथ करीब 15 फ़िल्मों में काम किया था, लेकिन अभिनय में बात बनती ना दिखने पर उन्होंने

अभिनय छोड़ दिया और पूरा ध्यान अपनी गायकी पर ही देने लगे।

तलत महमूद के गाए कुछ गीतों ‘जलते हैं जिसके लिए’, ‘मेरी याद में तुम न आंसू बहाना’, फिर वही शाम वही गम’, जायें तो जायें कहां’, ‘ऐ मेरे दिल कहीं और चल’ ,शामें ग़म की कसम, ‘इतना ना मुझसे तू प्यार बढ़ा’, ‘तस्वीर बनाता हूं’

, ‘दिले नादान तुझे हुआ क्या है, ‘मैं दिल हूं एक अरमान भरा’, आज भी बहुत पसंद किए जाते हैं।

भारत सरकार ने वर्ष 1992 में तलत महमद को गायकी में क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिये पद्मभूषण से सम्मानित किया। भारतीय डाक ने 2016 में उनके सम्मान में एक स्मारक डाक टिकट जारी किया।तलत महमूद वह शख्सियत थे, जिन्होंने हिंदी सिनेमा में गजल गायिकी को इस प्रकार से पेश किया कि उन्हें फिल्म जगत में शहंशाह-ए-गजल से नवाजा जाने लगा। हिंदी सिनेमा में जब भी दिलीप कुमार और सुनील दत्त के लिए प्लेबैक सिंगर की बात की जाती थी, तो तलत महमूद संगीतकारों की पहली पसंद हुआ करते थे।अपनी मखमली आवाज़ से श्रोताओं का दिल जीतने वाले तलत महमूद 09 मई 1998 को इस दुनिया को अलविदा कह गये।

प्रेम

वार्ता

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