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सुविधाओं के अभाव में फीकी पड़ रही है सहारनपुर के सर्राफा बाजार की चमक

सुविधाओं के अभाव में फीकी पड़ रही है सहारनपुर के सर्राफा बाजार की चमक

सहारनपुर, 21 जनवरी (वार्ता) पश्चिमी उत्तर प्रदेश में सहारनपुर के एक सदी पुराने सर्राफा बाजार की चमक सुविधाओं के अभाव में फीकी पड़ने लगी है।

करीब 130 साल पुराने बाजार में करीब 400 सर्राफा कारोबारी हैं जिनका कारोबार उत्तर प्रदेश के छोटे और मझोले व्यापारियों के अलावा हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, उत्तराखंड तक फैला है और हजारों की संख्या में ग्राहक इस बाजार से जुड़े हैं।

सर्राफा कारोबारियों का दर्द है कि अनेक तरह की समस्याओं से आभूषण का यह कारोबार अपनी चमक खो रहा है। इस संबंध में जिलाधिकारी मनीष बंसल ने सर्राफा कारोबारियों से कहा है कि वे आकर उनसे मिल सकते हैं। वह उनकी समस्याओं का समाधान कराएंगे और जितनी भी सुविधाएं प्रशासन के स्तर से दी जा सकती हैं, दिलाने का काम करेंगे।

प्रमुख व्यापारी राम राजीव सिंघल का कहना है कि सट्टा बाजार के कारण अनेक तरह की दिक्कतें खड़ी होती हैं। सरकार इस कारोबार को सट्टा बाजार के चंगुल से मुक्त कराए। करीब करीब सभी कारोबारियों का कहना है कि सोने-चांदी के ऊंचे दामों ने बिक्री को बहुत ही प्रभावित किया है। पहले आभूषणों पर एक फीसद वेट लगता था अब तीन फीसद जीएसटी लगती हैं।

व्यापारी विपिन अग्रवाल कर प्रणाली से संतुष्ट नहीं हैं। सुभाष चंद सिंघल की शिकायत है कि हरियाणा प्रदेश से खरीददारी के लिए आने वाले लोगों को सीमा पर पुलिस परेशान करती है और अवैध उगाही करती है। संजीव जैन का कहना है कि ज्यादातर सर्राफा की दुकान व्यस्त बाजारों में है जहां अतिक्रमण के कारण ग्राहकों को उन तक पहुंचने में भारी दिक्कतें होती हैं।

व्यापारी महिपाल वर्मा ने कहा कि सहारनपुर कहने को ही स्मार्ट सिटी पर तमाम तरह की सुविधाएं गायब है। देव कुमार जैन ने कहा कि बाजार में बिजली के तारों का जाल बिछा होने से आग लगती रहती है और हमेशा डर बना रहता है। संजीव जैन ने प्रशासन से मांग की कि वे उनके लिए तमाम जरूरी सुविधाएं प्रदान करें। राम राजीव सिंघल ने कहा कि सरकार एमसीएक्स से इस कारोबार के नियंत्रण से बाहर करे।

संजय सिंघल ने कहा कि सहारनपुर में 1895 में इस कारोबार की स्थापना हुई थी। जिसमें करीब 400 सौ व्यवसायी कार्यरत हैं और हजारों मजदूरों का जीवन यापन भी इस कारोबार से जुड़ा है।

बाजार में सीसीटीवी कैमरे लगाए जाने की मांग भी की गई। आशीष बब्बर, दीक्षांत रस्तोगी, पीयूष गुप्ता, आशुतोष खन्ना, लबिश सिंघल, विपिन अग्रवाल आदि ने कहा कि समय रहते उनकी समस्याओं का हल नहीं निकलता है तो अभी तो इस कारोबार की चमक ही फीकी हुई है। यह कारोबार समाप्त भी हो सकता है। इस स्थिति के जारी रहने से दूसरे राज्यों के बड़े कारोबारी यहां क्यों आएंगे।

सं प्रदीप

वार्ता