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पूरी आरक्षण अवधारणा कश्मीरी भाषी आबादी के खिलाफ: सजाद लोन

पूरी आरक्षण अवधारणा कश्मीरी भाषी आबादी के खिलाफ: सजाद लोन

श्रीनगर, 15 मार्च (वार्ता) पीपुल्स कॉन्फ़्रेंस के अध्यक्ष एवं विधायक सजाद लोन ने शनिवार को आरोप लगाया कि पूरी आरक्षण अवधारणा कश्मीरी भाषी आबादी और कश्मीर में रहने वाले अनुसूचित जनजाति (एसटी) या फिर आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) के खिलाफ तय की गई है।

श्री लोन ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा कि उन्होंने विधानसभा में आरक्षण से संबंधित कुछ प्रश्न उठाए थे, जो क्षेत्रीय असमानताओं पर केंद्रित थे। उन्होंने सरकारी आंकड़ों की चर्चा करते हुए कहा कि मार्च 2023 से, सरकार ने जम्मू में 67,112 अनुसूचित जाति (एससी) प्रमाण पत्र जारी किए, जबकि इस अवधि के दौरान कश्मीर में कोई प्रमाण पत्र जारी नहीं किया गया। इसी तरह, अनुसूचित जनजाति (एसटी) श्रेणी में, जम्मू में 85.3 प्रतिशत (4,59,493 प्रमाण पत्र) थे, जबकि कश्मीर में केवल 14.7 प्रतिशत (79,813) प्रमाणपत्र जारी किया गये थे। ईडब्ल्यूएस में जम्मू ने 92.3 प्रतिशत प्रमाण पत्र (27,420) हासिल किए, जबकि कश्मीर को केवल 7.7 प्रतिशत (2,273) प्रमाण पत्र मिले। अन्य आरक्षित श्रेणियों, जिनमें एलसी (लाइन ऑफ कंट्रोल के साथ क्षेत्र) और आईबी (अंतरराष्ट्रीय सीमा) शामिल हैं, में जम्मू का लगभग पूर्ण वर्चस्व है, कश्मीर को केवल एक अंश हिस्सा मिला है।

विधायक ने कहा, “कश्मीर क्षेत्र इस मामले में बहुत पीछे है। कश्मीरी भाषी आबादी को कोटा का शुद्ध नुकसान हमारे विचार से कहीं अधिक है। पूरी आरक्षण अवधारणा कश्मीरी भाषी आबादी और कश्मीर में रहने वाले एसटी या ईडब्ल्यूएस के खिलाफ तय की गई है। कश्मीर में रहने वाली एसटी आबादी भी इससे प्रभावित है। वे एसटी पूल से कुल आवेदकों का केवल 15 प्रतिशत हिस्सा हैं। आरबीए लगभग समान है, लेकिन जब आप आबादी के लिए समायोजित करते हैं, तो यह बहुत कम है। कश्मीर की आबादी लगभग सात प्रतिशत से अधिक है और आरबीए के तहत क्षेत्र अनुपात में लगभग समान हैं। फिर भी संख्या के संदर्भ में वह जम्मू से पीछे हैं।”

श्री लोन ने कहा कि 10 दिसंबर, 2024 को आरक्षण पर शिकायतों की जांच के लिए सरकार द्वारा गठित समिति ने रिपोर्ट जमा करने के लिए कोई विशिष्ट समय सीमा नहीं रखी है। उन्होंने कहा, “हमें बताया गया था कि यह छह महीने की समय सीमा है।”

आशा,उप्रेती

वार्ता