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ट्रम्प की टैरिफ योजना से अल्पकालिक चिंता, दीर्घकालिक प्रभाव की आशंका नहीं: निर्यातक

ट्रम्प की टैरिफ योजना से अल्पकालिक चिंता, दीर्घकालिक प्रभाव की आशंका नहीं: निर्यातक

नयी दिल्ली 14 फरवरी (वार्ता) अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के टैरिफ बढ़ाने की संभावित योजना को लेकर भारतीय निर्यातक ज्यादा चिंतित नहीं हैं और उनका मानना है कि यह रणनीति मुख्य रूप से ‘घोषणा और बातचीत’ का हिस्सा है।

ट्रम्प प्रशासन अमेरिका के व्यापार घाटे को कम करने की दिशा में टैरिफ बढ़ाने की नीति अपना रहा है। हालांकि, भारतीय निर्यातकों का मानना है कि भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक संबंध इतने मजबूत हैं कि अमेरिका भारतीय वस्तुओं पर अतिरिक्त टैरिफ लगाने से बचेगा। दोनों देश द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ावा देने के इच्छुक हैं, जिससे यह संभावना कम हो जाती है।

भारतीय निर्यातकों के संगठन फियो के महानिदेशक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) अजय सहाय ने ‘यूनीवार्ता’ से कहा, “ट्रम्प एक ओर पारस्परिक टैरिफ की बात कर रहे हैं और दूसरी ओर वे द्विपक्षीय व्यापार समझौतों की भी चर्चा कर रहे हैं। इससे स्पष्ट होता है कि वे भारत को बातचीत की मेज पर लाने के लिए यह रणनीति अपना रहे हैं। साथ ही वे अमेरिकी उत्पादों के लिए बेहतर बाजार पहुंच चाहते हैं।”

ट्रम्प पूर्व में भी भारतीय वस्तुओं पर उच्च टैरिफ की आलोचना कर चुके हैं और पारस्परिक शुल्क लगाने की धमकी दी थी। अपने पहले कार्यकाल में उन्होंने भारतीय इस्पात और एल्युमीनियम पर शुल्क लगाया था और सामान्यीकृत वरीयता प्रणाली (जीएसपी) के तहत भारत की तरजीही व्यापार स्थिति को समाप्त कर दिया था। अपने दूसरे कार्यकाल में भी वे इस नीति को जारी रखने के संकेत दे रहे हैं। उन्होंने 14 फरवरी, 2025 को अमेरिकी व्यापारिक साझेदारों पर पारस्परिक टैरिफ लागू करने के लिए राष्ट्रपति आदेश पर हस्ताक्षर किए।

ईईपीसी इंडिया के पूर्व अध्यक्ष अरुण कुमार गरोडिया ने कहा, “अमेरिका द्वारा भारतीय वस्तुओं पर शुल्क बढ़ाने से कुछ समय के लिए अस्थायी प्रभाव पड़ सकता है लेकिन दीर्घकालिक रूप से यह कोई बड़ी चिंता की बात नहीं है। भारत और अमेरिका व्यापारिक साझेदार बने रहेंगे क्योंकि दोनों देश व्यापार को दोगुना करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।”

एम. के. ग्लोबल फाइनेंशियल सर्विसेज की मुख्य अर्थशास्त्री माधवी अरोड़ा के अनुसार, अमेरिका से भारत के कुल आयात का अधिकांश भाग कम टैरिफ वाले दायरे में आता है। वित्त वर्ष 2024 में अमेरिका से भारत के 82 प्रतिशत आयात पर शून्य से 10 प्रतिशत टैरिफ, 15 प्रतिशत पर 10 से 20 प्रतिशत टैरिफ और केवल तीन प्रतिशत आयात पर 20 प्रतिशत से अधिक टैरिफ था।

श्रीमती अरोड़ा ने आगे कहा, “हालांकि, अमेरिका से आने वाले उत्पादों पर तुलनात्मक रूप से भारत में अधिक टैरिफ लगाया जाता है। यदि पारस्परिक टैरिफ लागू किया जाता है तो इसका भारतीय निर्यात पर बड़ा असर पड़ेगा, खासकर रसायन, ऑटोमोबाइल, कपड़ा और जूते-चप्पल उद्योगों पर।”

उद्योग जगत के विशेषज्ञों का मानना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहले ही इस टैरिफ नीति को भांप चुके हैं और इसी कारण अमेरिका यात्रा की रणनीति तैयार की गई थी। 12-13 फरवरी को अमेरिका यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री श्री मोदी और राष्ट्रपति ट्रम्प ने 'मिशन 500' का लक्ष्य निर्धारित किया, जिसके तहत वर्ष 2030 तक दोनों देशों के बीच व्यापार को 500 अरब डॉलर तक पहुंचाने की योजना बनाई गई है।

विश्लेषकों का कहना है कि अमेरिका और भारत के व्यापारिक संबंध दीर्घकालिक रूप से स्थिर रहेंगे और टैरिफ को लेकर जो भी चुनौतियां आएंगी उनका हल बातचीत और कूटनीतिक उपायों के माध्यम से निकाला जाएगा।

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अजीत, मधुकांत
वार्ता.

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