नयी दिल्ली, 12 मार्च (वार्ता) रेल मंत्रालय के कार्यकरण पर बुधवार को राज्य सभा में हुई चर्चा के दौरान उस समय हंगामा हो गया जब भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के समिक भट्टाचार्य ने दिल्ली में शांति से सम्पन्न चुनावों का संदर्भ दे कर पश्चिम बंगाल में चुनावों के समय हिंसा की घटनाओं मुद्दा छेड़ दिया।
विपक्षी तृणमूल कांग्रेस के सदस्यों ने उनकी बातों का विरोध करते हुए जमकर शोर-शराबा किया और इसे व्यवस्था के विरुद्ध बताया।
पश्चिम बंगाल का प्रतिनिधित्व कर रहे श्री भट्टाचार्य चर्चा में पहले वक्ता थे। उन्होंने अपने संबोधन के आखिरी क्षणों में दिल्ली में विधान सभा चुनाव में पूरी शांति व्यवस्था के विपरीत तृणमूल कांग्रेस की सरकार वाले पश्चिम बंगाल में हिंसक वातावरण का जिक्र करना शुरू कर दिया। उनकी इस बात पर विपक्षी, खास कर तृणमूल कांग्रेस के सदस्यों ने हंगामा शुरू कर दिया।
सदन के नेता जेपी नड्डा ने पीठ से अपने सदस्य के संरक्षण की मांग की और कहा कि उनकी पार्टी के वक्ता का समय बढाया जाए।
भाजपा सदस्य पश्चिम बंगाल में चुनावों के समय बड़े पैमाने पर विपक्षी दलों के समर्थकों और कार्यकर्ताओं पर ज्यादाती और उनकी हत्याओं का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि अभी दिल्ली का चुनाव हुआ, किसी की हत्या नहीं हुई, किसी का घर नहीं तोड़ा गया, पर इसी देश में पश्चिम बंगाल भी है जहां चुनावों में लोगों की हत्याएं हुई , घर तोड़े गए , आगजनी की गयी और बुल्डोजर चलाए गए।
उन्होंने कहा कि ऐसा भाजपा के लोगों के साथ ही नहीं, कांग्रेस के लोगों के साथ भी हुआ। कांग्रेस के आठ कार्यकर्ताओं की हत्या की गयी। कांग्रेस के नेता राहुल गांधी के काफिले पर पथराव किया गया। उन्हें सर्किट हाउस नहीं दिया गया।
हंगामे के बीच श्री भट्टाचार्य ने यह भी कहा कि भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने वहां जाकर राज्य में चुनावी हिंसा में जान गंवाने वाले पार्टी के 83 कार्यकर्ताओं का तर्पण किया था।
शोर शराबे के बीच विपक्ष के कुछ सदस्यों ने व्यवस्था का प्रश्न भी उठाया। पीठासीन संगीता यादव ने हंगामा कर रहे सदस्यों से शांत रहने की अपील की, लेकिन श्री भट्टाचार्य का वक्तव्य समाप्त होने तक हंगामा जारी रहा।
मनोहर, उप्रेती
वार्ता