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मानवीय मूल्यों के साथ प्रौद्योगिकी विकास के लिए आगे बढें युवा-बागडे

मानवीय मूल्यों के साथ प्रौद्योगिकी विकास के लिए आगे बढें युवा-बागडे

कोटा, 25 मार्च (वार्ता) राजस्थान के राज्यपाल एवं कुलाधिपति हरिभाऊ किसनराव बागडे ने प्राचीन भारत की मेधा, जीवन मूल्यों और पुरा वैभव की ओर ध्यान आकृष्ट करते हुए युवाओं का आह्वान किया है कि विकसित भारत के संकल्प की सिद्धि में देश का चित्र बदलने का महती दायित्व उनके कंधों पर है और अपने ज्ञान का उपयोग केवल रोजगार प्राप्त करने के लिए नहीं बल्कि नवाचार और उद्यमिता के लिए भी करते हुए वे मानवीय मूल्यों के साथ प्रौद्योगिकी विकास के लिए आगे बढें।

श्री बागडे मंगलवार को यहां राजस्थान तकनीकी विश्वविद्यालय के चतुर्दश दीक्षांत समारोह में सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि वर्ष 2047 में भारत की आजादी को एक शताब्दी पूर्ण हो रही है। इस समय तक भारत सभी क्षेत्रों में उत्कृष्ट उपलब्धियां अर्जित करे, ऐसे हमारे प्रयास होने चाहिए। सबका साथ, सबका विकास ही हमारा ध्येय बने। उन्होंने युवाओं का आह्वान किया कि विकसित भारत के संकल्प की सिद्धि में देश का चित्र बदलने का महती दायित्व उनके कंधों पर है। आज का युग आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग, इंटरनेट आफ थिंग्स और रोबोटिक्स जैसी तकनीको का है। ऐसे में हमारी जिम्मेदारी है कि हम अपने ज्ञान का उपयोग केवल रोजगार प्राप्त करने के लिए नहीं, बल्कि नवाचार और उद्यमिता के लिए भी करें।

राज्यपाल ने कहा कि भारत विज्ञान और प्रौद्योगिकी में बहुत अग्रणी रहा है। पर यह विडम्बना रही है कि यूरोपीय देशों ने हमारी विज्ञान और प्रौद्योगिकी की विरासत को अपना बनाकर पेश किया। भारत की ज्ञान परम्परा के बारे में जानना बहुत जरूरी है। नई शिक्षा नीति का उल्लेख करते हुए कहा कि नई शिक्षा नीति विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास पर आधारित है। इसमें बौद्धिक क्षमताओं के संवर्द्धन पर अधिक जोर है जिसके परिणाम लगभग 15 साल बाद परिलक्षित होंगे। यह समय ज्ञान संचार का है। केवल पाठ्यपुस्तकों को पढ़कर जीवन में सफल नहीं हो सकता।

इस अवसर पर 9521 डिग्रियों, एक कुलाधिपति एवं एक कुलपति स्वर्ण पदक एवं सर्वाधिक अंक प्राप्त करने वाले कुल 20 विद्यार्थियों को स्वर्ण पदक और 36 पीएचडी डिग्री प्रदान की गई। राज्यपाल एवं कुलाधिपति ने उपाधि प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को उज्जवल भविष्य की शुभकामनाएं दी और बौद्धिक क्षमताओं का विस्तार करते हुए भारत को विश्वगुरू के पद पर पुनःआसीन करने का आह्वान किया

दीक्षान्त अतिथि के रूप में गुजरात केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. रमा शंकर दुबे ने कहा कि युवाओं में देश को बदलने का सामर्थ्य है। इसके लिए वे व्यापक अन्तर्दृष्टि, प्रतिबद्धता, साहस, परिश्रम और समर्पण के साथ आगे बढें। उन्होंने विद्यार्थियों को महापुरूषों से प्रेरणा लेने का आह्वान करते हुए सफलता के मंत्र भी बताए।

जोरा

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