नयी दिल्ली ,13 जुलाई (वार्ता) कोरोना महामारी के परिप्रेक्ष्य में स्वास्थ्य क्षेत्र से संबंधित उच्च स्तरीय समूह (एचएलजी) की सिफारिशों तथा इससे जुड़े अन्य मुद्दों को लेकर 15वें वित्त आयोग ने आज केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्षवर्धन और स्वास्थ्य मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक की ।
आयोग के अध्यक्ष एन के सिंह ने बताया कि कोरोना के कारण उपजे हालात को देखते हुए आयोग ने सरकार के समक्ष पेश की जाने वाली अपनी रिपोर्ट में स्वास्थ्य को लेकर एक अलग अध्याय शामिल करने का फैसला किया है। यह बैठक खासकर कोविड-19 के अनुभव को देखते हुए मंत्रालय के राज्य केन्द्रित प्रस्तावों में संशोधन , वित्तीय संकट के चलते बैक लोडिंग की संभावना को तलाशने, 15वें वित्त आयोग के उच्च स्तरीय समूह के सुझावों पर मंत्रालय के विचार जानने जैसे मुद्दों को लेकर थी।
डॉ. हर्षवर्धन ने देश के स्वास्थ्य क्षेत्र के सुधार के संबंध में अपने विचार रखे और क्षेत्र की प्राथमिकता में बदलाव के आयोग के फैसले की सराहना की । स्वास्थ्य मंत्रालय ने आयोग को सामने पेश विस्तृत प्रस्तुतीकरण में राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति (एनएचपी), 2017 के लक्ष्यों पर प्रकाश डाला, जिसमें सकल घरेलू उत्पाद की तुलना में सार्वजनिक स्वास्थ्य व्यय बढ़ाकर वर्ष 2025 तक 2.5 प्रतिशत करना, कुल स्वास्थ खर्च की तुलना में प्राथमिक स्वास्थ्य खर्च दो-तिहाई करना, राज्यों द्वारा स्वास्थ्य व्यय को बढ़ाकर 2020 तक अपने बजट का आठ प्रतिशत से ज्यादा करना शामिल है।
मंत्रालय ने बताया कि वर्तमान में 35 प्रतिशत सार्वजनिक स्वास्थ्य व्यय केन्द्र सरकार द्वारा किया जाता है और 65 प्रतिशत राज्य सरकारों द्वारा होता है। महामारी से सार्वजनिक स्वास्थ्य क्षेत्र, निगरानी और सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रबंधन, रोकथाम को बढ़ाने तथा शहरी स्वास्थ्य पर विशेष जोर के साथ स्वास्थ्य देखभाल को प्रोत्साहन दिए जाने की अहमियत खासी बढ़ गई है। मंत्रालय को यह भी लगता है कि वार्षिक आधार पर स्वास्थ्य मंत्रालय का आवंटन बढ़ाने की आवश्यकता है।
मंत्रालय ने कोष संबंधी जरूरतों के लिए वित्त आयोग को एक संशोधित प्रस्ताव सौंपा है। इसमें नए क्षेत्रों की पहचान की गई है, जिन्हें 15वें वित्त आयोग से कोष की जरूरत है। इसमें शहरी स्वास्थ्य, आवश्यक दवाएं, डीएनबी पाठ्यक्रम शुरू करना, कोरोना के बाद स्वास्थ्य क्षेत्र में सुधार आदि शामिल है। मंत्रालय ने स्वास्थ्य पर 15वें वित्त आयोग के उच्च स्तरीय समूह की सिफारिशों पर पर्याप्त विचार करने और कोष की आंशिक बैक लोडिंग के बाद 6.04 लाख करोड़ रुपये के कोष की संशोधित आवश्यकता जाहिर की है, जबकि पहले यह आंकड़ा 4.99 लाख करोड़ रुपये था। मंत्रालय ने राज्यों से प्रति वर्ष सकल घरेलू उत्पाद की तुलना में 0.4 प्रतिशत अतिरिक्त संसाधन जुटाने के लिए कहा है।
अर्चना जितेन्द्र
वार्ता