राज्य » अन्य राज्यPosted at: Apr 3 2024 7:45PM नैनीताल में 44 बंदी एड्स ग्रस्त, हाईकोर्ट ने सितारगंज शिफ्ट करने के दिये निर्देश
नैनीताल, 03 अप्रैल (वार्ता) उत्तराखंड में कैदियों के मुकाबले जेलों की कम क्षमता एक बड़ी समस्या बनती जा रही है। जेलों में क्षमता के विपरीत कई गुना अधिक बंदी ठूंसे गये हैं।
खासकर लाइलाज और संक्रामक बीमारी से ग्रस्त बंदियों का रखरखाव एक चुनौती बन गयी है। इसको लेकर उच्च न्यायालय भी चिंतित है। उच्च न्यायालय ने एड्स (एचआईवी) रोग से ग्रसित 44 बंदियों को सितारगंज जेल में शिफ्ट करने के निर्देश दिये हैं।
मुख्य न्यायाधीश रितु बाहरी और न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की युगलपीठ में प्रदेश की जेलों को लेकर दायर विभिन्न जनहित याचिकाओं पर सुनवाई हुई।
नैनीताल में जेल निर्माण को लेकर आज सरकार की ओर से जवाबी हलफनामा पेश किया गया। बताया गया कि नैनीताल शहर और उसके आसपास जेल निर्माण के लिये भूमि उपलब्ध नहीं है।
नयी जेल के निर्माण के लिये 10 एकड़ भूमि की आवश्यकता होगी। रामनगर और लालकुआं में भूमि उपलब्ध हो सकती है। न्यायमित्र अधिवक्ता की ओर से यह भी बताया गया कि नैनीताल जेल में 44 बंदी एड्स जैसी लाइलाज बीमारी से ग्रसित हैं।
अदालत ने इसे गंभीरता से लिया और इन कैदियों को सितारगंज जेल में शिफ्ट करने के निर्देश दिये। साथ ही बंदियों की समय पूर्व रिहाई पर जोर दिया और जेल महानिरीक्षक को सरकार से अनुमति लेकर ऐसे बंदियों की रिहाई के निर्देश दिये।
अदालत ने नयी जेल के लिये 10 एकड़ भूमि की आवश्यकता पर भी सवाल खड़े किये। गौरतलब है कि नैनीताल जेल में 71 बंदियों की क्षमता के मुकाबले दोगुना बंदी ठूंसे हुए हैं। यही हाल पिथौरागढ़, अल्मोड़ा, ऊधमसिंह नगर, हरिद्वार और देहरादून की जेलों का भी है।
रवीन्द्र.संजय
वार्ता