पुणे, 13 जनवरी (वार्ता) खेलो इंडिया यूथ गेम्स (केआईवाईजी)2019 के दौरान रविवार को श्री शिव छत्रपति स्पोर्ट्स कॉम्पलेक्स में एक खास मेहमान का आगमन हुआ। 91 साल के वयोवृद्ध मराठी पत्रकार हेमंत जोगदेव यहां आए और खिलाड़ियों को मेहनत करते और नए रिकार्ड कायम करते हुए फूले नहीं समाए। हेमंत ने खेलो इंडिया को इन युवा खिलाड़ियों के लिए एक महान अवसर करार दिया।
मराठी समाचार पत्र के साथ वर्षों तक जुड़े रहने वाले हेमंत इन दिनों ओलम्पिक खेलों पर किताबों की सीरीज लिखने में व्यस्त हैं। 1976 में हेमंत महाराष्ट्र के पहले ऐसे वेर्नाकुलर पत्रकार बने, जिन्हें ओलम्पिक कवर करने के लिए एक्रिडिटेशन मिला था। उस समय भारतीय ओलम्पिक संघ (आईओए) चुनिंदा समाचार पत्रों के चुनिंदा पत्रकारों को ओलम्पिक कवर करने की संतुति देता था लेकिन हेमंत की मौजूदगी ने आईओए को अपना वर्षों पुराना फैसला बदलने पर मजबूर किया। इस तरह हेमंत ओलम्पिक कवर करने मांट्रियल गए।
हेमंत के लिए ओलम्पिक जीवनपर्यंत जुनून रहा है। इसका परिणाम है कि वह ओलम्पिक पर 10 किताबें लिख चुके हैं। इनमें एक 800 पन्नों की ‘ओलम्पिक माघे एथलेटिक्स’ (ओलम्पिक में एथलेटिक्स) नाम की भी किताब है। आज भी वह लिखने में व्यस्त हैं और कहते हैं कि उम्र उनके लिए कोई मायने नहीं रखता।
हेमंत ने कहा, “रिटायरमेंट क्या। मैं आज भी 10 से 12 घंटे काम करता हूं। एक किताब लिखने में लगभग एक साल लगता है और इनमें से कई किताबें बच्चों के लिए हैं। ये किताबें रंगों और आर्टवर्क से भरपूर हैं।”
उन्होंने कहा, “मैंने 1960 में पत्रकारिता शुरू की थी। अगले 15 साल तक मैंने पत्रकारिता और अपनी नौकरी के बीच गुजारे। जब मैं राज्य सरकार की नौकरी से रिटायर हुआ तब मैंने खेलों पर पूर्णकालिक लेखक के तौर पर काम शुरू किया। मैं न सिर्फ ओलम्पिक में जाने वाला पहला मराठी पत्रकार था, बल्कि इन खेलों पर मराठी में लिखने वाला पहला व्यक्ति भी था। मैंने ओलम्पिक मे शामिल हर एक खेल पर किताब लिखने का मन बनाया है।”
हेमंत कहते हैं कि पुरातन ओलम्पिक के उद्भव स्थल ओलम्पिया जाना उनके जीवन का सबसे यादगार पल रहा है। वह कहते हैं, “पहली बार ओलम्पिक 776 ईसा पूर्व में हुए थे और मैंने वह जगह देखी है। यह बेहद खास अनुभूति है। जब मैं वहां से आया तब मैंने इसके बारे में भी लिखा। मैंने इस पर 200 पन्नों की किताब लिखी।”
वह आज पुणे में रहते हैं और मानते हैं कि शिव छत्रपति स्पोर्ट्स कॉम्पलेक्स एथलीटों के लिए शानदार जगह है। वह कहते हैं, “यह भारत का पहला और सबसे अच्छा कॉम्पलेक्स है। यहां की सुविधाएं हालांकि ओलम्पिक आयोजन स्थलों के बराबर नहीं हैं लेकिन इसके बावजूद यह हमारे युवा एथलीटों के लिए शानदार स्थान है।”