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ग्लैमर से भरा करिअर है मॉडलिंग का

ग्लैमर से भरा करिअर है मॉडलिंग का

(अशोक सिंह)

नयी दिल्ली, 07 जून (वार्ता) विभिन्न उत्पादों के विज्ञापनों में मॉडल्स की आकर्षक तस्वीर को देखकर युवाओं में ईर्ष्या की भावना का होना स्वाभाविक है। उनके मन में भी आता है कि उन्हें भी मॉडल बनने का अवसर मिले और वे भी ऐसे ही आम लोगों के दिलों पर अपनी खूबसूरती का जादू चला सकें। ऐसे सपने देखने वालों की संख्या देश में हज़ारों नहीं बल्कि लाखों में होगी।

इसमें कोई दो राय नहीं कि बहुत से युवाओं के पास ऐसी कई खूबियाँ होती हैं जो उन्हें लोकप्रियता दिला सकती है लेकिन सही समय पर चांस नहीं मिलना, तैयारी के साथ इस प्रोफेशन में नहीं उतरना अथवा मौका मिलने पर फायदा नहीं उठा पाना जैसे कई कारण हो सकते हैं जिनके कारण हज़ारों युवा क्षमतावान होने के बावजूद मॉडल के रूप में करिअर बनाने से वंचित रह जाते हैं।

मॉडल्स की बढ़ती मांग :- दुनिया भर में लाखों कंपनियों द्वारा विविध प्रकार के उत्पादों का बड़े पैमाने पर उत्पादन किया जाता है। इसके बाद असली चुनौती होती है तैयार माल की बिक्री की। मार्केटिंग की विभिन्न युक्तियों द्वारा भावी ग्राहकों को आकर्षित कर इस तैयार माल को विश्व भर के बाज़ार तक पहुंचा कर बेचा जाता है। इस क्रम में उत्पादों को प्रदर्शित कर उनकी खूबियाँ गिनाने वाले विज्ञापनों की काफी प्रभावी भूमिका होती है। विज्ञापनों में मॉडल्स द्वारा न सिर्फ प्रोडक्ट्स की विशेषताओं का बखान नपे-तुले शब्दों में किया जाता है बल्कि उक्त मॉडल के व्यक्तित्व के निखार को भी प्रोडक्ट से जोड़कर दर्शाया जाता है। ऐसे में यह आसानी से समझा जा सकता है कि कितने बड़े पैमाने पर नए एवं ताजगी भरे चेहरे के साथ आकर्षक और युवा मॉडल्स की तलाश मार्केटिंग एजेंसियों और विज्ञापन कंपनियों को रहती है।

क्या खूबियाँ हैं ज़रूरी :- पहले तो यह समझ लेना चाहिए कि मात्र शारीरिक सौन्दर्य को ही इस क्षेत्र में सफलता का पैमाना मान लेना उचित नहीं है। इसका यह मतलब भी नहीं लगाया जाना चाहिए कि लम्बी कद-काठी, आकर्षक चेहरा, छरहरा बदन तथा तीखे नाक-नक्श होने के कोई मायने ही नहीं है। निस्संदेह कुछ हद तक इन विशेषताओं को भी चयनकर्ताओं द्वारा महत्त्व दिया जाता है। इनके अलावा कई अन्य गुणों को भी कसौटी पर परखा जाता है ।

आत्म विश्वास :- मॉडलिंग के क्षेत्र में कदम रखने वाले युवाओं में भरपूर आत्मविश्वास झलकना बहुत जरुरी है। आखिरकार उन्हें बार बार सैकड़ों-हज़ारों लोगों के बीच स्वयं को प्रदर्शित करना पड़ता है। सेल्फ कॉन्फिडेंस लेवल में ज़रा सी भी गिरावट पारखियों की नज़रों से बच नहीं पाती है। लाइव टेलीविजन प्रसारण और रिकार्डिंग ने तो इस कमी को पहचान पाना और आसान कर दिया है।

कम्युनिकेशन स्किल्स :- न सिर्फ संयमित ढंग से अपनी बातों को दूसरों के समक्ष रखने का कौशल होना चाहिए बल्कि अन्य लोगों की बातों को अत्यंत धैर्यपूर्वक सुनने का गुण भी होना व्यक्तित्व को आकर्षक बनने में काफी उपयोगी सिद्ध होता है।

भाषा पर अधिकार :-चाहे जिस भाषा में आप लोगों से प्रोफेशनल स्तर पर बात करें, इतना अवश्य ध्यान रखें कि शब्दों के चयन और भाषा के धाराप्रवाह के बीच समन्वयन होना चाहिए। इसमें उच्चारण की शुद्धता का विशेष तौर पर ध्यान रखना ज़रूरी है। आधी-अधूरी भाषा का जानकार होने पर बेहतर यही रहेगा कि उस भाषा के प्रयोग से बचा जाए।

अनुशासित जीवन :- आम तौर पर लोगों में भ्रम होता है कि मॉडल्स अथवा मूवी स्टार्स तो देर रात तक रोजाना पार्टियाँ करते हैं और जीवन में कोई अनुशासन नहीं होता है। पर सच्चाई ठीक इसकी उलट है, इन लोगों को अन्य लोगों की तुलना में अपने शरीर और स्वास्थ्य पर कहीं अधिक ध्यान देने की ज़रूरत पड़ती है। यही कारण है कि अधिकाँश मॉडल्स और स्टार्स द्वारा खान-पान, दिनचर्या, आराम के समय आदि का अत्यंत कठोर अनुशासन अपनाया जाता है।

सलीका :- मॉडल्स के लिये यह ज़रूरी हो जाता है कि उनकी चाल-ढाल में नफासत हो, उठने-बैठने के तौर तरीकों में अदा हो तथा उनके व्यक्तित्व में ख़ास अदा हो। ये सब बातें मॉडलिंग की ट्रेनिंग प्रक्रिया के दौरान सिखाई जाती हैं।

अगर आप इस प्रोफेशन में जाना चाहते हैं तो सबसे पहले किसी प्रोफेशनल फोटोग्राफर से अपना फोटो प्रोफाइल शूट करवाएं। मत भूलें कि यही तस्वीरें किसी भी विज्ञापन एजेंसी में आपका पहला परिचय देंगी। कुछ एजेंसियों द्वारा मॉडलिंग सम्बंधित शॉर्ट टर्म कोर्स भी करवाए जाते हैं। समय रहते ऐसी ट्रेनिंग कर लेनी चाहिए। मॉडल्स और इस क्षेत्र के अन्य प्रोफेशनल्स द्वारा इस फील्ड से सम्बंधित बारीकियां बतायी जाती हैं।

जय टंडन

वार्ता

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