नयी दिल्ली 28 दिसम्बर (वार्ता) भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने वर्ष 2016 एक के बाद एक नयी इबारतें लिखीं - चाहे एक साथ 20 उपग्रह छोड़ने की बात हो या एक साल में सबसे ज्यादा उपग्रह छोड़ने की, पुन: इस्तेमाल किये जा सकने वाले प्रक्षेपण यान के मॉडल के सफल परीक्षण की बात हो या दो टन से भारी उपग्रह को अंतरिक्ष में स्थापित करने की। इसरो ने साल के पहले पाँच महीने में तीन मिशनों को अंजाम दिया जिनमें तीन उपग्रह अंतरिक्ष में स्थापित किये गये। ये तीनों नेविगेशन उपग्रह आईआरएनएसएस (1ई, 1एफ, 1जी) सीरीज के थे। इनके प्रक्षेपण के साथ ही इस सीरीज के सात उपग्रहों को अंतरिक्ष में स्थापित करने का काम पूरा हो गया। सातों उपग्रह मिलकर देश का अपना जीपीएस तैयार करने में मदद देंगे। फिलहाल इनका इस्तेमाल असैन्य उद्देश्यों के लिए नहीं हो रहा है। इनका प्रक्षेपण 20 जनवरी (पीएसएलवी सी31), 11 मार्च (पीएसएलवी सी32) तथा 28 अप्रैल (पीएसएलवी सी33) को किया गया। इसके बाद इसरो ने ऐसा कमाल कर दिखाया जाे इससे पहले सिर्फ अमेरिका और रूस की अंतरिक्ष एजेंसियाँ ही कर सकी थीं। उसने 22 जून को एक साथ एक ही मिशन में 20 उपग्रहों का प्रक्षेपण किया। रूस (33) और अमेरिका (29) ही अब तक ऐसा कारनामा कर सके हैं। ध्रुवीय प्रक्षेपण यान पीएसएलवी-सी34 द्वारा छोड़े गये 20 उपग्रहों में तीन भारतीय और 17 विदेशी थे। करीब 26 मिनट 30 सेकेंड में यह मिशन पूरा हुआ।
इसरो ने 26 सितंबर को पीएसएलवी-सी35 मिशन में एक साथ आठ उपग्रहों का प्रक्षेपण किया। इनमें तीन स्वदेशी तथा पाँच विदेशी उपग्रह थे। इस मिशन की खास बात यह रही कि पहली बार इसरो ने एक ही प्रक्षेपण यान से दो अलग-अलग ऊँचाई वाली कक्षाओं में उपग्रहों को स्थापित किया। आँध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से प्रक्षेपण के 17 मिनट 33 सेकेंड बाद ही सामान्य लांचिंग की तरह स्कैटसैट-1 काे 730 किलोमीटर की ऊँचाई पर उसकी वांछित कक्षा में सफलतापूर्वक स्थापित कर दिया गया। इसके बाद पीएसएलवी 680 किलोमीटर की ऊँचाई पर वापस आया और वहाँ सात अन्य छोटे तथा सूक्ष्म उपग्रह छोड़े। पूरा मिशन दो घंटे 15 मिनट 33 सेकेंड में सफलतापूर्वक पूरा हुआ। यह इसरो का अब तक का सबसे लंबा मिशन भी रहा। साल का अंतिम प्रक्षेपण 08 दिसंबर को पीएसएलवी-सी36 के जरिये किया गया जिसने रिसोर्स सैट-2ए को अंतरिक्ष में स्थापित किया। इस प्रकार पीएसएलवी अब तक 37 सफल उड़ानें भर चुका है। भू-स्थैतिक कक्षा में उपग्रहों को स्थापित करने वाले प्रक्षेपण यान जीएसएलवी के एफ05 मिशन ने आठ सितंबर को 2,211 किलोग्राम के इनसैट-3डीआर उपग्रह को सफलता पूर्वक अंतरिक्ष में स्थापित कर दो टन से भारी उपग्रहों को छोड़ने में भी इसरो की क्षमता प्रमाणित कर दी।
इस साल पीएसएलवी ने कुल छह उड़ानों में 32 उपग्रहों को अंतरिक्ष में स्थापित किया। इनमें 10 स्वदेशी तथा 22 विदेशी उपग्रह हैं। वर्ष के दौरान कुल 33 उपग्रहों को इसरो ने अंतरिक्ष में स्वयं स्थापित किया। इसके अलावा 06 अक्टूबर को फ्रेंच गुयाना के कोरू से अंतरराष्ट्रीय एजेंसी एरियन स्पेस के एरियन-5 उपग्रह प्रक्षेपण यान से 3,404 किलोग्राम वजन वाले इसरो का संचार उपग्रह जीसैट-18 भी छोड़ा गया। उपग्रहों के प्रक्षेपण से इतर इसरो ने इस साल कुछ महत्वपूर्ण परीक्षणों को सफलतापूर्वक अंजाम दिया। उसने 23 मई को पुन: इस्तेमाल किये जा सकने वाले प्रक्षेपण यान के टेक्नोलॉजी डिमॉन्स्ट्रेटर (आरएलवी-टीडी) का परीक्षण किया। इस प्रौद्योगिकी के पूरी तरह से विकसित हो जाने पर देश के अंतरिक्ष मिशनों का खर्च काफी कम हो जायेगा। आरएलवी-टीडी की संरचना किसी विमान की तरह है जिसमें प्रक्षेपणयान तथा विमान दोनों की खूबियाँ मौजूद हैं। परीक्षण के दौरान इसे ध्वनि के मुकाबले 4.78 गुणा वेग पर भी आजमाया गया। इसरो ने 28 अगस्त को स्क्रैमजेट इंजन के टेक्नोलॉजी डिमांस्ट्रेटर का भी सफल परीक्षण किया। स्क्रैमजेट इंजन में ईंधन के रूप में हाइड्रोजन का इस्तेमाल होता है तथा प्रज्वलन के लिए यह ऑक्सीजन वायुमंडल से लेता है। आम तौर पर प्रज्वलन में मदद करने वाली ऑक्सीजन का अति तीव्र वेग पर इस्तेमाल करना मुख्य चुनौती है। यह साल पीएसएलवी के लिए सबसे ज्यादा छह सफल उड़ानों वाला रहा। इसके अलावा भारत ने सबसे ज्यादा 22 विदेशी उपग्रहों की लांचिंग भी इसी साल की। पिछले साल उसने 17 विदेशी उपग्रहों को अंतरिक्ष में स्थापित किया था। अजीत उपाध्याय देवेन्द्र वार्ता