नई दिल्ली, 18 अक्टूबर( वार्ता ) महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने कहा है कि आज देश में खाद्यान्नों की कोई कमी नहीं है और इसका श्रेय कृषि वैज्ञानिकों, विचारकों ,नीति निर्माताओं एवं नेताओं के अथक प्रयासों को जाता हैं। उन्होंने विश्व खाद्य दिवस के अवसर पर जामिया हमदर्द विश्वविद्यालय में आयोजित एक कार्यक्रम में शिरकत करते हुए बताया कि सार्वजनिक वितरण प्रणाली के माध्यम से देश भर में पौष्टिक भोजन एवं खाद्य सामग्री उपलब्ध कराई जा रही है और केन्द्र सरकार की सोच यही है कि देश का कोई भी व्यक्ति अन्न से वंचित नहीं रहे। श्री कोश्यारी ने कहा कि सभी धार्मिक पुस्तकों में अनाज और खाद्य सामग्री को बर्बाद करने से मना किया गया है तथा समाज के सभी वर्गों विशेषतः विद्यार्थियों एवं युवा वर्ग को भोजन करते समय खाद्य सामग्री बर्बाद नहीं करनी चाहिए। इस मौके पर प्रोफेसर ज़ैनुल आबिदीन ने कहा कि हरित क्रांति की वजह से गेहूं और चावल की पैदावार में वृद्धि हुई है लेकिन तिलहन, फल और सब्ज़ी की पैदावार में बहुत अधिक वृद्धि न होने के कारण भूखमरी एवं कुपोषण की समस्या अभी भी बनी हुई है। उन्होंने ज़रूरत से ज़्यादा खाना पकाने एवं बर्बाद करने को भी भुखमरी एवं स्वास्थ्य समस्याओं की वजह बताई।
कुलपति प्रोफेसर अफ़्शार आलम ने समाज की प्रगति में शिक्षा एवं स्वस्थ्य की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डालते हुए विश्व खाद्य दिवस के इस वर्ष की वार्षिक थीम “'सेफ फ़ूड नाव फॉर हेल्थी टुमारो' पर अपने विचार व्यक्त किये।
प्रोफेसर आलम ने बताया कि मिशन आहार क्रांति एवं जैविक खेती के लिए भारत सरकार की बहुत सी संस्थाएं कार्यरत हैं। कुलाधिपति हामिद अहमद ने बताया कि हमदर्द लेबोरेटरी खाद्य प्रसंस्करण के अनुसंधान और उत्पादन में विशेष रूचि रखती है और औरंगाबाद , महाराष्ट्र में हमदर्द की नई 'फ़ूड फैक्ट्री' स्थापित की गई है जहाँ जनवरी 2022 से रूह अफ़ज़ा का उत्पादन शुरू हो जायेगा।
मुख्य वक़्ता प्रोफेसर के. सी.बंसल ने जीनोम इंजीनियरिंग के माध्यम से खाद्य सुरक्षा एवं उन उपायों और तरीकों पर प्रकाश डाला जिनके माध्यम से वातावरण एवं जीव जंतुओं को हानि पहुंचाए बिना कृषि उत्पाद में वृद्धि की जा सकती है। प्रोफेसरबंसल ने बताया कि संयुक्त राष्ट्र संघ के सतत विकास लक्ष्य को सन 2030 तक हासिल करने में जीनोम इंजीनियरिंग महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी । जितेन्द्र वार्ता