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किसानों के अहित में हैं तीनों अध्यादेश

किसानों के अहित में हैं तीनों अध्यादेश

जयपुर, 18 सितम्बर (वार्ता) राजस्थान में कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष गोबिंद सिंह डोटासरा ने कहा है कि केंद्र सरकार द्वारा किसानों और कृषि व्यापार से सम्बन्धित लाये गये अध्यादेश किसानों के अहित में हैं और इनसे मंडी मजदूर और खेतिहर मजदूर खत्म हो जायेंगे।

श्री डोटासरा ने आज यहां पत्रकारों से कहा कि इन तीनों अध्यादेशों में बहुत खामियां हैं। इससे केवल व्यापारियों और बिचौलियों को फायदा होगा। ये अध्यादेश किसानों को व्यापारियों के रहमोकरम पर छोड़ देंगे। उन्होंने कहा कि इन अध्यादेशों को लाने से पहले केंद्र सरकार ने न किसान और नही किसान नेताओं से चर्चा की। यहां तक कि अपने सहयोगी दलों से भी चर्चा नहीं की इसके चलते सहयोगी दलों के मंत्री इस्तीफा दे रहे हैं।

श्री डोटासरा ने कहा कि इस अध्यादेश के तहत केंद्र सरकार ‘वन नेशन वन मार्केट’ की बात कह रही है। सरकार का दावा है कि इस बिल से किसान को अपनी उपज देश में किसी भी व्यक्ति, संस्था, खेत और व्यापारिक मंच पर बेचने की इलाजत मिल जायेगी, लेकिन तथ्य यह है कि इससे कृषि उपज विपणन समितियां खत्म हो जायेंगी और सभी को कृषि उपज खरीदने बेचने की अनुमति मिल जायेगी। इससे मंडी व्यवस्था ही खत्म हो जायेगी। नतीजतन देश में लाखों आढ़तिये मंडी मजदूर और खेतिहर मजदूर खत्म हो जायेंगे।

उन्होंने कहा कि दूसरा अध्यादेश है ‘मूल आश्वासन एवं कृषि सेवा समझौता अध्यादेश।’ इसके तहत केंद्र सरकार का मानना है कि व्यवसायिक खेती के ठेके समय की मांग है। केंद्र का मानना है कि छोटो और सीमांत किसान ऊंचे मूल्य की फसलें उगाना चाहते हैं, लेकिन उन्हें फसलों पर जोखिम उठाना पड़ता है और वे घाटा सहते हैं। लिहाजा किसान से इससे बचने के लिये बड़े जोखिम व्यापारिक घरानों को सौंपकर मुनाफा कमा सकेंगे। इस पर प्रतिक्रिया जताते हुए श्री डोटोसरा ने कहा कि हकीकत यह है कि इस से ठेका खेती को आगे बढ़ाया जायेगा, नतीजतन कम्पनियां खेती करेंगी और हमारे किसान मजदूर बनकर रह जायेंगे। उनकी सुरक्षा की कोई गारंटी नहीं होगी।

श्री डोटासरा ने कहा तीसरे अध्यादेश ‘आवश्यक (संशोधन) अध्यादेश के जरिए केंद्र सरकार अनाज, दलहन, खाद्य तेल, आलू एवं प्याज को अनिवार्य वस्तुओं की सूची से हटाकर खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र को मुक्त करने का दावा कर रही है। उनका मानना है कि इससे निजी उद्यमी भी निवेश करने के लिये प्रोत्साहित होंगे। उन्होंने कहा कि इससे कालाबाजारी बढ़ेगी। कालाबाजारी रोकने के लिये कानून बनाया गया था लेकिन सरकार ने नयी व्यवस्था के तहत स्टॉक सीमा हटा ली है इससे जमाखोरी बढ़ेगी जिससे कालाबाजारी बढ़ेगी।

सुनील

वार्ता

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