नयी दिल्ली, 21 सितंबर(वार्ता) दधीचि देह दान समिति के संरक्षक एडवाेकेट आलोेक कुमार ने कहा है कि हर व्यक्ति काे अपने शरीर का ट्रस्टी बनकर इसकी देखभाल करनी चाहिए और मृत्यु उपरांत अंगदान कर अनेेेेक लोगों को जीवन देकर मानवता की बेहतर सेवा की जा सकती है।
दिल्ली पत्रकार संघ की ओर से शनिवार को यहां आयोजित एक कार्यक्रम “देह दान की आवश्यकता और मडिया की भूमिका ”विषय पर उन्होंने कहा कि इस बारे में लोगाें को जागरूक करना बेहद जरूरी है और ऐसा करने के बाद ही लोगों को देहदान के लिए प्रेरित किया जा सकता है।
उन्होंने बताया कि उनके संगठन ने पिछले दस वर्षों में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में अनेेक लोगाों को नेत्र दान, अंग दान और देह दान के लिए प्रेरित किया है और धीरे धीरे लोगों में इस बात को लेकर जागरूकता बढ़ती जा रही है । उनके संगठन का एक मात्र लक्ष्य स्वस्थ, सबल और बेहतर भारत का निर्माण करना है। श्री कुमार ने कहा कि अभी भी इस क्षेत्र में लोगों की धार्मिक भावनाएं आड़े आ रही है जिन्हें जागरूकता के लिए दूर किया जा सकता है लेकिन इसके लिए घर में परिवार के बीच चर्चा करना बहुत आवश्यक है ताकि सभी लोगों में सहमति बनी रहे और ऐसे संकल्प करने वाले व्यक्ति के परिवार में देहदान के समय कोई विवाद न हाे।
श्री कुमार ने कहा कि उनकेे संगठन ने सबसे कम उम्र के बच्चे यानि सात दिन के शिशु की देह को अस्पताल को सौंपा था जिसे दिल की कईं जटिल बीमारियां थी और अस्पताल में लगातार सात घंटे तक चले आपरेशन के बाद भी उसे नहीं बचाया जा सका। इसके बाद उसके परिजनों ने शिशु का शव अस्पताल को साैंप दिया ताकि चिकित्सक इस जटिल बीमारी के बारे में समझ सकें।
उन्होंने कहा कि कईं बार व्यक्ति की मौत हो जाने के बाद जब संगठन के लोग शपथ पत्र भर चुके व्यक्ति की देह ले जाने के लिए आते हैं तो कुछ केसों में परिवार के लोगो ने विरोध किया और ऐसे में उन्होंने इसे स्वीकार ही नहीं किया। श्री कुमार ने कहा कि उनके संगठन ने अब तक नौ सौ आंखें, तीन मृत लोगों की त्वचा , दो लोगों की हड्डियां जरूरतमंद लोगों को मुहैया कराई हैं और यह सब कार्य सरकारी अस्पताल के चिकित्सक ही करते हैं । इसके अलावा 275 लोगों की देह विभिन्न मेडिकल कालेजों को अध्ययन के लिए मुहैया कराई गई है।
जितेन्द्र
वार्ता