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विंध्यवासिनी की नगरी में कांग्रेस को एक अदद जीत की तलाश

विंध्यवासिनी की नगरी में कांग्रेस को एक अदद जीत की तलाश

मिर्जापुर 10 मई (वार्ता) सिद्धपीठ मां विंध्यवासिनी की नगरी मिर्जापुर में कांग्रेस की तीन दशकों से एक अदद जीत की मुराद इस बार भी पूरी होती नजर नहीं आ रही है।

विन्ध्याचल मे 1989 के बाद हुए लोकसभा चुनावों में कांग्रेस हाशिये पर पहुंच गयी है। वह किसी भी सीट पर मुख्य मुकाबले में नहीं आ पायी है। इतना ही नहीं कांग्रेस प्रत्याशी अपनी जमानत राशि भी नहीं बचा सके हैं।यह मिथक अब तक जारी है।

मिर्जापुर संसदीय सीट पर वर्ष 1989 में जनता दल के युसुफ बेग ने कांग्रेस के सांसद उमाकांत मिश्र को हराकर इस सीट से बाहर किया। हालांकि इस चुनाव में कांग्रेस रनर रही थी। पर इस चुनाव के बाद से कांग्रेस मुख्य मुकाबले से बाहर हो गयी। खाता खोलने की स्थिति में कभी नहीं रही।

1991 में यहां भाजपा के बीरेंद्र सिंह मस्त ने जनता दल उम्मीदवार को हराकर विजय प्राप्त की थी। तब कांग्रेस के प्रत्याशी द्रेवेन्द्र दूबे की जमानत जब्त हो गयी थी। वे तीसरे स्थान पर रहे थे। 1991 से चल रहा यह सिलसिला आज तक जारी है।

सं प्रदीप

जारी वार्ता

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