नयी दिल्ली 06 अप्रैल (वार्ता) राष्ट्रीय नदी घाटी मंच ने देशभर में नदियों और घाटियों से जुड़े मुद्दों को राजनीतिक दलों के घोषणा पत्रों में शामिल करने की मांग करते हुए कहा है कि नदियों को एक सजीव इकाई के तौर पर मान्यता दी जाए और मछुआरों, खानाबदोशों, चरवाहों और अन्य समुदायों के अधिकारों की रक्षा के लिए नदीय प्रशासन को मजबूत करने के साथ-साथ विकेंद्रीकृत भी किया जाए।
राष्ट्रीय नदी घाटी मंच ने शनिवार को कहा कि नदियों और नदी घाटी समाजों के अधिकारों की सुरक्षा को चुनावी एजेंडे में शामिल किया जाना चाहिए। प्राकृतिक संपदा – जल-जंगल-जमीन के पारिस्थितिक तंत्र को संतुलित रख देश के प्रत्येक नागरिक के जीवन-जीविका की गारंटी सुनिश्चित किया जाना चाहिए। हिमनदियों से लेकर पेरियार तक नदियों को एक सजीव इकाई के तौर पर मान्यता दी जानी चाहिए।
मंच ने कहा कि मछुआरों, खानाबदोशों, चरवाहों और बहुत सारे आदिवासी, दलित और अन्य हाशिये के समुदायों के अधिकारों की रक्षा के लिए नदीय प्रशासन को मजबूत बनाया जाना चाहिए और इसका विकेंद्रीकरण भी किया जाना चाहिए।
सत्या अशोक
वार्ता