नयी दिल्ली, 11 जनवरी (वार्ता) केन्द्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री डॉ वीरेंद्र कुमार ने बुधवार को कहा कि अपने लिए तो हर कोई जीता है लेकिन बहुत कम लोग ऐसे होते हैं जो मानवता के लक्ष्य के साथ जीते हैं। नोबेल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी भी उन्हीं में से एक हैं। उन्हें न खाने की चिंता, न सोने की, बस एक ही लक्ष्य है कि बच्चों के जीवन को सुरक्षित और खुशहाल बनाना है।
डॉ कुमार ने कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रेन्स फाउंडेशन की ओर से बुधवार को ‘सुरक्षित बचपन दिवस’ के अवसर पर ‘मेरी आवाज सुनो’ के कार्यक्रम में कहा कि श्री सत्यार्थी जैसे लोग जब आगे बढ़ते हैं तो नये साथी जुड़ते जाते हैं और आज उनकी आवाज 143 देशों में गूंजती है ताकि वहां के बच्चे भी आगे बढ़ें, पढ़ें और जीवन को सार्थक करें। कार्यक्रम मुख्य अतिथि डॉ कुमार ने कहा कि जब श्री सत्यार्थी को नोबेल पुरस्कार मिला तो पूरे देश को लगा कि यह सम्मान उनके देश के एक विराट व्यक्तित्व को नहीं बल्कि पूरे देश को मिला है।
उन्होंने कहा कि‘उसकी क्या गलती थी... इस गीत के बोल हर सुनने वाले को भीतर तक झकझोर गए। क्या एक लड़की की गलती है कि वह जॉब करने जा रही है? पढ़ाई के लिए स्कूल\\\\कॉलेज या कोचिंग जा रही है? या फिर दोस्तों के साथ थोड़ी मौज-मस्ती के बाद घर लौट रही है? बेटियों के साथ होने वाली दरिंदगी और हाल ही में राजधानी के कंझावला इलाके में हुई लड़की की दर्दनाक मौत के बाद ऐसे कई सवाल हैं जो पूरी दिल्ली और देशवासियों को कचोट रहे हैं। और इसी तस्वीर को सुरों में बांधकर दिल्ली वालों के सामने पेश किया स्लम एरिया के बच्चों ने। इस प्रस्तुति को देखने के बाद हर आंख नम थी और हर आंख में एक सवाल था लेकिन बस नहीं था तो वह था जवाब।
इस मौके पर मुख्य अतिथि ने कार्यक्रम का शुभारंभ किया और बच्चों के द्वारा तैयार म्यूजिक वीडियो को लॉन्च किया।
इस कार्यक्रम में दिल्ली के आठ स्लम एरिया के बच्चों ने ‘सुरक्षित बचपन दिवस’ के रूप में नाटक, नृत्य और संगीत के माध्यम से बच्चों के अधिकारों की आवाज उठाई।
इस मौके की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रेन्स फाउंडेशन के कार्यकारी निदेशक राकेश सेंगर ने कहा, ‘सुरक्षित बचपन दिवस’ का मकसद है कि सभी नागरिकों को यह अहसास करवाया जाए कि समाज को बच्चों और उनके बचपन को सुरक्षित बनाने के लिए साथ आकर काम करना होगा।
श्रवण
वार्ता