भारतPosted at: Oct 29 2019 4:53PM संसद के सुचारुपूर्ण संचालन के लिए पंद्रह सूत्रीय सुझाव: नायडू
नयी दिल्ली, 29 अक्टूबर (वार्ता) उप राष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने संसद और विधान मंडलों के सुचारु संचालन के लिए पंद्रह सूत्रीय सुधार कार्यक्रमों का सुझाव देते हुए लोकतंत्र को मजबूत करने का आह्वान किया है।
श्री नायडू ने आज दिल्ली विश्वविद्यालय में दिवंगत वित्त मंत्री एवं राज्यसभा में सदन के नेता रहे अरुण जेटली के स्मृति में आयोजित पहला व्याख्यान देते हुए यह आह्वान किया। उन्होंने संसद और विधान मंडलों की कार्यवाही में बाधा पहुंचाने की प्रवृति पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि सभी संबद्ध पक्षों को अपनी भूमिका और जिम्मेदारी निभाने तथा अपनी मानसिकता का अवलोकन करने का समय आ गया है।
उन्होंने जनप्रतिनिधियों से नयी राजनीतिक चेतना को अपने भीतर समाहित करने का आह्वान करते हुए इस बात पर भी गहरी चिंता व्यक्त की कि संसद में और विधान मंडलों में सदस्यों की उपस्थिति काफी कम रहती है। उन्होंने सदन में सदस्यों की उपस्थिति कम से कम पचास फीसदी सुनिश्चित करने के लिए सभी राजनीतिक दलों से आह्वान किया और यह भी कहा कि सदन में बहस के स्तर को ऊंचा करें।
श्री नायडू ने कहा कि कई बार सदन में सदस्यों की उपस्थिति दस प्रतिशत से कम होने पर सदन की कार्यवाही स्थगित करनी पड़ती है इसलिए यह आवश्यक है कि सदन में रोस्टर सिस्टम अपनाते हुए सदस्यों की मौजूदगी कम से कम पचास प्रतिशत की जाय। उन्होंने दलबदल कानून में भी संशोधन लाये जाने की वकालत की ताकि दलबदल करने वाले सदस्यों को पार्टी से निकाला जाये और समयबद्ध तरीके से उनके मामले को निपटाया जा सके।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि वह इस सभी सुधार कार्यक्रमों पर लोकसभा अध्यक्ष पर विचार विमर्श करेंगे। साथ ही संसदीय समिति के कार्यकाल को बढाने के बारे में भी विचार करेंगे। उन्होंने देश में एक साथ चुनाव कराने और आपराधिक पृष्ठभूमि वाले जनप्रतिनिधियों को सदन में आने से रोकने के लिए कदम उठाने पर जोर दिया।
श्री नायडू ने सरकार को भी विपक्ष की मांगों पर संवेदनशीलता से विचार करने और विपक्ष को भी अपनी जिम्मेदारी का पालन करने की अपील की। उन्होंने कहा कि सदन में बार बार व्यवस्था का प्रश्न उठाना, काम रोको प्रस्ताव करना और हंगामा खड़ा करना उचित नहीं है और यह जनहित में नहीं है।
उन्होंने राज्यसभा की कार्यवाही में अरुण जेटली के योगदान की चर्चा करते हुए कहा कि श्री जेटली ने धर्मनिरपेक्षता और राष्ट्रवाद को मजबूत बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी और सार्वजनिक जीवन में कई वर्षों तक देश की राजनीति में उल्लेखनीय योगदान दिया। उनमें विद्वता, योग्यता, उत्साह और संप्रेषण तथा तर्कशक्ति का अद्भुत संगम था। वह बहुमुखी प्रतिभा के व्यक्ति थे।
इस समारोह में दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति योगेश कुमार त्यागी और विभिन्न संकायों के अध्यक्ष एवं पदाधिकारी तथा शिक्षक प्रतिनिधि भी मौजूद थे।
अरविन्द आजाद
वार्ता