भारतPosted at: Nov 5 2018 9:08PM निष्पक्ष एवं पारदर्शी खरीद से सरकार को मिलेगा उचित राजस्व: जेटली
नयी दिल्ली 05 नवंबर (वार्ता) केन्द्रीय वित्त एवं कंपनी मामलों के मंत्री अरुण जेटली ने सोमवार को कहा कि सरकारी खरीद में पारदर्शिता तथा निष्पक्षता और जन हित का ध्यान रखने से सरकार को उचित राजस्व मिलेगा और इसका सही इस्तेमाल सुनिश्चित होगा।
श्री जेटली ने यहां ‘सार्वजनिक खरीद और प्रतिस्पर्धा कानून’ पर आयोजित राष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि कारगर प्रतिस्पर्धा सुनिश्चित करने के लिए प्रतिस्पर्धा नियामक का गठन किया गया है ताकि उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा हो सके। उन्होंने भविष्य की रूपरेखा का उल्लेख करते हुए कहा कि भारत को वैश्विक मॉडलों पर गौर करने के साथ-साथ यह परिकल्पना करने की भी जरूरत है कि उभरती परिस्थितियों से आखिरकार कैसे निपटा जा सकता है। श्री जेटली ने कहा कि सार्वजनिक खरीद की देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में अत्यंत बड़ी हिस्सेदारी है इसलिए सरकार सर्वोत्तम मूल्य एवं गुणवत्ता सुनिश्चित करने की हकदार है। उन्होंने कहा कि यह बात समस्त वैधानिक संस्थानों पर भी लागू होती है।
वित्त मंत्री ने कहा कि ऐसे अनेक क्षेत्र हैं जिनमें निविदा से जुड़ी बोलियां वैश्विक हो सकती हैं, वहीं कुछ क्षेत्रों विशेषकर सेवा क्षेत्र में घरेलू विकास अपेक्षित है जिसके लिए देश में कारगर प्रतिस्पर्धा सुनिश्चित करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था का विस्तारीकरण होने से भारत के बाजार का भी उल्लेखनीय विकास होना तय है इसलिए समय के साथ एक नियामक के रूप में भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग की भूमिका भी बढ़ जाएगी।
इससे पहले भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग के अध्यक्ष सुधीर मित्तल ने देश की सार्वजनिक खरीद प्रणालियों में प्रतिस्पर्धा की संस्कृति विकसित करने की जरूरत पर बल देते हुए कहा कि निष्पक्ष एवं पारदर्शी खरीद से डिलीवरी की लागत कम हो सकती है। उन्होंने बताया कि भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग सार्वजनिक खरीद एजेंसियों के लिए एक नैदानिक उपकरण या साधन तैयार करने में जुटा हुआ है, जिससे सार्वजनिक खरीद से जुड़ी बोलियों में धांधली का पता लगाने में आसानी होगी और इसके साथ ही ऐसी निविदाएं तैयार करने में मदद मिलेगी जिनसे निष्पक्ष प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने कहा कि भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग सर्वोत्तम अंतरराष्ट्रीय प्रथाओं या तौर-तरीकों का अनुसरण करते हुए एक ऐसा डिजिटल सॉफ्टवेयर विकसित कर रहा है, जिससे विभिन्न कंपनियों या समूहों द्वारा की गयी गुटबंदी का पता लगाया जा सकेगा।