दुनियाPosted at: Nov 21 2019 10:30AM नवाज को विदेश भेजने पर इमरान सरकार, न्यायपालिका में मतभेद
इस्लामाबाद 21 नवंबर (वार्ता) पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को स्वास्थ के आधार पर विदेश जाने की इजाजत देने के मामले को लेकर पाकिस्तान में सरकार और न्यायपालिका के बीच मतभेद उत्पन्न हो गया है।
इस मामले पर टिप्पणी करते हुए पाकिस्तान के मुख्य न्यायाधीश (सीजेपी) आसिफ सईद खोसा ने कहा कि प्रधानमंत्री इमरान खान स्वंय इस बाबत फैसला ले सकते हैं और न्यायापालिका के पास इस मामले में फैसला लेने का एकाधिकार नहीं है। उन्होंने श्री ख़ान को कोर्ट के ख़िलाफ़ उनकी हालिया टिप्पणियों को लेकर फटकार लगाते हुए उनसे बयान देते समय सावधानी बरतने और कटाक्ष नहीं करने को कहा है।
इससे पहले श्री खान ने पूर्व प्रधानमंत्री शरीफ को इलाज के लिए लंदन भेजने की इजाजत देने पर कहा था कि इसके लिए अलग कानून है और सीजेपी इस मामल में न्यायपूर्ण फैसला लें।
इस्लामाबाद में एक सम्मेलन को संबोधित करते हुए पाकिस्तान के मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि प्रधानमंत्री को न्यायपालिका में शक्तिशाली नहीं कहना चाहिए। उन्होंने कहा, “‘शक्तिशाली’ का जिक्र करते हुए हमें ताना मत दीजिए। कानून के अलावा न्यायपालिका के सामने कोई शक्तिशाली नहीं है।”
सीजेपी ने कहा कि प्रधानमंत्री को इस तरह के बयान जारी करने से बचना चाहिए क्योंकि वह सरकार के मुखिया हैं। श्री खोसा ने कहा, “जिस विशेष मामले का जिक्र प्रधानमंत्री ने किया मैं उस पर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहता। लेकिन उन्हें यह पता होना चाहिए कि वह खुद किसी को भी विदेश जाने की इजाजत दे सकते हैं। उच्च न्यायालय में बहस सिर्फ तौर-तरीकों पर हुई। इसलिए इन बातों का ध्यान रखना चाहिए।”
न्यायमूर्ति खोसा ने कहा कि वे संसाधनों के बिना काम कर रहे हैं और जो न्यायपालिका की आलोचना करते हैं उन्हें इन बातों का ख्याल रखना चाहिए।
दरअसल, लाहौर हाई कोर्ट ने इमरान ख़ान सरकार की 700 करोड़ रुपये के बांड भरने की शर्त को दरकिनार करते हुए श्री शरीफ़ को इलाज कराने के लिए विदेश जाने की अनुमति दे दी थी, जिसे लेकर सरकार और न्यायपालिका के बीच मतभेद सामने आ गए। न्यायमूर्ति खोसा की यह प्रतिक्रिया इमरान के हाल ही में दिए उस भाषण के बाद आई है जिसमें ख़ान ने चीफ़ जस्टिस से यह कहा था कि न्याय प्रक्रिया में सुधार करने की ज़रूरत है ताकि धनी और ग़रीब लोगों में कोई अंतर न रह जाए।
शोभित.संजय
वार्ता