राज्य » राजस्थानPosted at: Apr 3 2024 10:48PM सरसों मॉडल फार्म प्रोजेक्ट से भारत तिलहन में आत्मनिर्भरता की और हो रहा है अग्रसर: झुनझुनवाला
जयपुर 03 अप्रैल (वार्ता) द सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएश्न ऑफ इंडिया (एसईए) और सॉलिडेरिडाड द्वारा शुरु किए गए सरसों मॉडल फार्म प्रोजेक्ट सरसों उत्पादन वृद्धि में सहायक सिद्ध होने से भारत तिलहन उत्पादन में आत्मनिर्भता की ओर अग्रसर होने लगा है।
एसईए के अध्यक्ष अजय झुनझुनवाला ने बुधवार को यहां सरसों मॉडल फार्म प्रोजेक्ट के बारे में बताते हुए मीडिया से यह बात कही। उन्होंने बताया कि अब तक पांच राज्यों में 3500 से अधिक सरसों मॉडल फार्म स्थापित किए गए हैं जिससे एक लाख 22 हजार 500 से अधिक किसान सीधे रुप में लाभांवित हुए है। उन्होंने बताया कि इस प्रोजेक्ट के तहत किए प्रयासों, अनुकूल मौसम और सरसों के मूल्य के परिणामस्वरुप भारत में प्रतिवर्ष सरसों के उत्पादन में उल्लेखनीय वृद्धि देखी जा रही है।
उन्होंने कहा कि देश में 25 मिलियन टन खाद्य तेल खपत होता है और इसमें 15 मिलियन टन आयात किया जाता है।
उन्होंने 10 लाख टन अतिरिक्त खाद्य तेल की जरुरत बताते हुए कहा कि सरसों का उत्पादन बढ़ाने में सरकार के सहयोग की जरुरत है। उन्होंने कहा कि सरकार को इम्पोर्ट ड्यूटी लगानी चाहिए ताकि तेल के दाम बढ़ सके। उन्होंने बताया कि पिछले पांच साल में सरसों का 37 प्रतिशत उत्पादन में वृद्धि हुई हैं।
उन्होंने बताया कि वर्ष 2020-21 में 8.6 मिलियन टन, 2021-22 में 11 मिलियन टन एवं वर्ष 2022-23 में 11़ 35 मिलियन टन सरसो का उत्पादन दर्ज किया गया है। इसके अलावा प्रतिवर्ष सरसों की बुवाई के क्षेत्र में भी विस्तार हुआ हैं और वर्ष 2020-21 में 6़ 70 मिलियन हेक्टेयर दर्ज किया गया था जबकि 2022-23 में यह बढ़कर 8़ 80 मिलियन हेक्टेयर तक हपुंच गया। वर्ष 2023-24 सीजन में सरसों का उत्पादन 12 मिलियन टन एवं 10 मिलियन हेक्टेयर क्षेत्र में बुवाई के सर्वकालिक उच्च स्तर को छूने की संभावना है। जिससे खाद्य तेलों की घरेलू आपूर्ति में वृद्धि संभव है।
उन्होंने बताया कि सरसों मॉडल फार्म प्रोजेक्ट वर्ष 2020-21 में राजस्थान के पांच जिलों में 400 मॉडल फार्म के साथ शुरु किया गया था । वर्ष 2021-22 में परियोजना को 500 अतिरिक्त मॉडल फार्म के साथ राजस्थार और मध्यप्रदेश में विस्तारित किया गया। वर्ष 2022-23 में 1234 मॉडल फार्म विकसित किए गए हैं। इस वर्ष राजस्थान और मध्यप्रदेश के साथ ही परियोजना का विस्तार उत्तरप्रदेश के वाराणसी और पंजाब के संगरुर में भी किया गया। वर्ष 2023-24 में वाराणसी और कर्नाटक में सरसों मॉडल फार्म प्रोजेक्ट प्रारंभ किया गया है।
उन्होंने कहा कि वर्तमान में भारत अपनी खाद्य तेल की मांग का करीब 60 प्रतिशत आयात के माध्यम से पूरा कर रहा है और एसईए द्वारा जारी नवीनतम आंकडों के अनुसार वर्ष 2022-23 (नवंबर-अक्टूबर)के दौरान भारत ने 1़ 38 लाख करोड़ रुपए मूल्य का 16़ 47 मिलियन टन खाद्य तेलों का आयात किया।
उन्होंने बताया कि वर्ष 2023-24 (अप्रैल मार्च) के दौरान 22 लाख मीट्रिक टन सरसों खली का निर्यात कर लगभग पांच हजार करोड़ की आय हुई। इस अवसर पर एसईए रेप-मस्टर्ड प्रमोशन काउंसिल के अध्यक्ष विजय दाता, सॉलिडरीडाड एशिया के महाप्रबंधक डा सुरेश मोटवानी, एसईए के कार्यकारी निदेशक डा वी वी मेहता आदि ने भी अपने विचार रखे।
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