IndiaPosted at: Apr 15 2018 4:46PM पाकिस्तान में सिख जत्थे को राजनयिकों से न मिलने देने पर भारत का विरोध
नयी दिल्ली 15 अप्रैल (वार्ता) भारत ने तीर्थयात्रा के लिए पाकिस्तान गये सिख जत्थे को वहां स्थित भारतीय राजनयिकों और उच्चायोग की टीम से नहीं मिलने देने के पाकिस्तान के कदम को वियना संधि का उल्लंघन एवं ‘कूटनीतिक अशिष्टता’ करार देते हुए इस पर कड़ा विरोध दर्ज कराया है।
विदेश मंत्रालय ने आज यहां जारी वक्तव्य में कहा कि करीब 1800 सिख यात्रियों का जत्था धार्मिक स्थलों के भ्रमण सम्बन्धी द्विपक्षीय समझौते के तहत 12 अप्रैल से पाकिस्तान की यात्रा पर हैं। वक्तव्य के अनुसार यह स्थापित परंपरा रही है कि भारतीय उच्चायोग की वाणिज्य एवं प्रोटोकाल टीम इन यात्राओं के दौरान भारतीय तीर्थयात्रियों के साथ रहती है। यह टीम मेडिकल सहायता या परिवार को किती तरह की आपात स्थिति में मदद करती है।
इस बार इस टीम को भारतीय सिख तीर्थयात्रियों से नहीं मिलने दिया गया। टीम को सिखाें के जत्थे के 12 अप्रैल को वाघा रेलवे स्टेशन पहुंचने पर उनसे नहीं मिलने दिया गया। इस टीम को 14 अप्रैल को गुरूद्वारा पंजा साहिब में प्रवेश की अनुमति नहीं दी गयी जबकि सिख जत्थे का टीम से इस गुरूद्वारे में मुलाकात का कार्यक्रम था। इस तरह उच्चायोग को भारतीय नागरिकों के प्रति प्रोटोकाॅल ड्यूटी करने तथा मूलभूत सेवाएं मुहैया कराने से राेका गया।
वक्तव्य के अनुसार पाकिस्तान में तैनात भारतीय उच्चायुक्त को इवैकुई ट्रस्ट प्रॉपर्टी बोर्ड (ईटीपीबी) के अध्यक्ष ने गुरुद्वारा पंजा साहिब आने का निमंत्रण दिया था लेकिन गुरुद्वारा जा रहे उच्चायुक्त को रास्ते में ही सुरक्षा कारणों का हवाला देकर वापस लौटने को कहा गया। उच्चायुक्त को बैशाखी के अवसर पर भारतीय जत्थे का स्वागत करना था लेकिन उन्हें भारतीय नागरिकों से मिले बगैर ही वापस लौटने पर मजबूर कर दिया गया।
वक्तव्य में कहा गया है कि भारत ने इस राजनयिक अशिष्टता के खिलाफ अपना कड़ा विरोध दर्ज कराया है। भारत का कहना है कि पाकिस्तान का यह कदम 1961 की वियना संधि के साथ-साथ 1974 की धार्मिक स्थलों के भ्रमण सम्बन्धी द्विपक्षीय प्रोटोकाॅल तथा 1992 की उस आचार संहिता का स्पष्ट उल्लंघन है जो भारत और पाकिस्तान में राजनयिक / वाणिज्य दूतावास कर्मियों के साथ बर्ताव को लेकर है और दोनों देशों ने हाल ही में इसकी एक बार फिर पुष्टि की है।
नीलिमा संजीव
वार्ता