नयी दिल्ली 16 अक्टूबर (वार्ता) चीन की आक्रामक नीतियों का मुकाबला करने के लिए भारत एवं ताइवान के लोकतंत्र के आधार पर एक दूसरे के और करीब आने तथा चीनी अतिक्रमण के खतरे से मिल कर मुकाबला करने की आवश्यकता जतायी गयी है।
पूर्वी लद्दाख में भारतीय सीमा पर, दक्षिण चीन सागर में विभिन्न देशों के विरुद्ध और ताइवान को लेकर चीनी आक्रामकता के बीच भारत एवं ताइवान के पत्रकारों ने एक हाल ही में इंडिया ताइवान जर्नलिस्ट काॅनक्लेव का आयोजन किया जिसमें राज्यसभा के पूर्व सांसद एवं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यकारिणी सदस्य राम माधव, भारत में ताइवान के राजदूत बाउशुन गेर, रक्षा और रणनीतिक मामलों के जानकार नितिन गोखले शामिल हुए।
सम्मेलन में वक्ताओं की राय थी कि इस वक़्त में पूरा विश्व जब चीन की आक्रामक नीतियों से परेशान है। कोरोना वायरस में पूरी दुनिया को संकट में डालने के बाद लद्दाख में चीनी सेना घुसपैठ कर रही है और हाल ही में ताइवान पर चीनी हमले की धमकी ने विश्व के सामने चीन की विस्तारवादी नीति के खतरे को रेखांकित किया है। जिस तरह चीनी वायुसेना के लड़ाकू विमानों ने ताइवान की वायुसीमा में घुसपैठ करके धमकाने की कोशिश है, उससे ताइवान की सुरक्षा को लेकर विश्व के प्रमुख देशों की चिंताएं बढ़ गयी हैं।
श्री राम माधव ने कहा कि भारत और ताइवान दोनो देश लोकतंत्र है, इसलिये वार्ता को हमेशा आगे बढ़ाने पर ज़ोर दिया जाना चाहिये, भारत हमेशा से ताइवान का भारत की अर्थव्यवस्था में योगदान के महत्व को मान देता रहा है। साथ ही उन्होंने कहा कि दोनों देशों के पत्रकार इस संबंध को और आगे ले जा सकते है।
श्री राम माधव ने कहा कि आज लोकतंत्र के लिये चुनौती का समय है, चीन का नाम लिये बग़ैर उन्हौने कहा कि सत्तावादी देश लोकतंत्र के लिये ख़तरा बन रहे है। और ये मीडिया की ज़िम्मेदारी है कि वो लोगों को इस ख़तरे के बारे में जागरूक करें। भारत प्रशांत क्षेत्र के महत्व को बताते हुये उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र के सभी लोकतांत्रिक देशों के बीच में इस तरह के संवाद को बढ़ाया जाना चाहिये।
भारत में ताइवान के राजदूत बाउशुन गेर ने कहा कि भारत और ताइवान ने हमेशा लोकतांत्रिक मूल्यों को सराहा है, और मानवाघिकार के वैश्विक मानदंडों का आदर किया है। उन्होंने कहा कि दोनों देशों के पत्रकारों के बीच में यह कानक्लेव एक शुरूआत है, और आने वाले समय में इसे बढ़ाया जाना चाहिये।
वरिष्ठ रक्षा विषेशज्ञ नितिन गोखले ने कहा कि चीन की विस्तारवादी नीतियों से लड़ने के लिये ज़रूरी है कि चीनी समाज को समझा जाये, और उसे समझने के लिये ज़रूरी है कि चीनी भाषा सीखा जाये, और इस काम में ताइवान मददगार साबित हो सकता है। साथ ही भारत को ताइवान की तकनीकी दक्षता का लाभ लेना चाहिये, जिसमें नवीकरणीय ऊर्जा का उपयोग पूर्वी राज्यों में किया जा सकता है।
दिल्ली पत्रकार संघ के अध्यक्ष और वरिष्ठ एंकर अनुराग पुनेठा ने कहा कि भारत ताइवान संबंधों के तमाम आयामों को खोजा जाना चाहिये, उन्होंने ताइवान के पत्रकारों से आह्वान किया कि वो भारतीय पत्रकारों की सेवायें लें और भारतीय मीडिया ताइवान के पत्रकारों की। साथ ही देश के अन्य भाषायी समाचार पत्रों में भी ताइवान को लेकर समझ बढ़ायी जानी चाहिये।
सेंटर फार चाइना एनालाइसिस एंड स्ट्रैटजी की वरिष्ठ फैलो नम्रता हसीजा के मुताबिक़ भारत सरकार को ताइवान के महत्व को और गंभीरता से लेना चाहिये तथा दोनों देशों के बीच संबंधों को और ऊंचाई पर ले जाने के लिए कदम बढ़ाने की बहुत गुंजाइश है।
उसानास फ़ाउंडेशन के अभिनव पांड्या ने सभी का आभार जताया और आह्वान किया कि इस तरह के कार्यक्रम और किये जाने चाहिये। इस कार्यक्रम में ताइवान से वरिष्ठ पत्रकार चेनलुंग क्यो, स्टार्म मीडिया की डिप्टी एडीटर एन हसीज, हांगकांग फीनिक्स टीवी की सुश्री स्टेसी यू भी शामिल हुईं। इस काॅन्क्लेव का आयोजन दिल्ली पत्रकार संघ ने भारत में ताइवान के इकोनॉमिक एंड कल्चर सैंटर, उसानास फ़ाउंडेशन, वट फ़ाउंडेशन के साथ किया था।
सचिन
वार्ता