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क्या पोलार्ड के उत्तराधिकारी हैं टिम डेविड?

क्या पोलार्ड के उत्तराधिकारी हैं टिम डेविड?

मुम्बई, 07 मई (वार्ता) सफ़ेद गेंद क्रिकेट के महानतम फ़िनिशर और टी20 के लीजेंड रहे कीरोन पोलार्ड अब पहले वाले पोलार्ड नहीं रहे। वहीं मेगा नीलामी में सबसे क़ीमती खिलाड़ियों में शुमार टिम डेविड ने बड़ी ख़ूबसूरती से पोलार्ड का किरदार निभाया। इस पारी के बाद यही सवाल उठता नज़र आया कि आख़िर डेविड को इतने कम मैच क्यों मिलें? उल्लेखनीय है कि मुंबई ने एक मैच में सिर्फ़ तीन विदेशी खिलाड़ियों को एकादश में रखा था और एक में केवल दो को।

पोलार्ड ने 14 गेंदों पर चार रनों की अजीब सी पारी खेली और डेविड ने 21 गेंदों पर 44 नाबाद बनाए। जहां पोलार्ड राशिद ख़ान के स्पिन के ख़िलाफ़ लाचार दिखे वहीं डेविड ने आत्मविश्वास के साथ पारी के अंत में रन बटोरने की ज़िम्मेदारी अपने कंधों पर ले ली।

स्पिन के विरुद्ध पोलार्ड के लिए यह सीज़न भूलने लायक रही है। 2010 में अपने पहले आईपीएल के बाद 109.32 का उनका स्ट्राइक रेट उनके लिए सबसे कम है। स्पिन के ख़िलाफ़ लगभग 80 के स्ट्राइक रेट के साथ वह पांच बार आउट हो चुके हैं। अगर आप एक ठीक-ठाक स्पिनर हैं तो ख़राब फ़ॉर्म से गुज़र रहा बल्लेबाज़ आपके लिए एक आसान शिकार है। अगर आपका नाम राशिद ख़ान है तो फिर मुक़ाबला और भी एक तरफ़ा है।

जब पोलार्ड बल्लेबाज़ी करने आए तब मुंबई 12 ओवर में तीन विकेट पर 111 पर थी और पोलार्ड ने राशिद को अपना दूसरा ओवर आसानी से डालने दिया। दूसरे छोर पर लॉकी फ़र्ग्यूसन ने भी गति परिवर्तन करते हुए पोलार्ड को बांधे रखा। इसके बाद पोलार्ड राशिद को बस सुरक्षात्मक तरीक़े से खेलते हुए दिखे। इन-फ़ॉर्म पोलार्ड पहले गेंद की लंबाई पढ़ते थे और प्रहार करते थे। यहां वह ना तो आगे आने को तैयार दिखे और ना ही पीछे। ऐसा लगा वह सिर्फ़ गुगली खेलने के लिए प्रतिबद्ध थे। राशिद ने एक लेग ब्रेक से उनके डिफ़ेंस को बीट किया और उनका ऑफ़ स्टंप उखाड़ दिया। मुंबई की अनुमानित स्कोर एक वक़्त 200 के अधिक की थी और कुछ ही ओवर्स में 169 पर जा अटकी।

ईएसपीएनक्रिकइंफ़ो के कार्यक्रम टी20 टाइमआउट पर इयन बिशप ने कहा, "वह सब कुछ कोशिश कर रहे हैं लेकिन उनकी कमज़ोरी साफ़ दिखने लगी है। विपक्ष उनके लिए रिस्ट स्पिनर को रोके रखता है और ऐसा इस सीज़न पहली बार नहीं हो रहा है। उन्हें कुछ नया सोचना पड़ेगा क्योंकि इस सीज़न मुंबई ने उन्हें कई मौक़े दिए हैं। उन्हें नए तरीक़ो से बल्लेबाज़ी करनी पड़ेगी और कम से कम एक रन प्रति गेंद की रफ़्तार से खेलना होगा। 14 गेंदों पर चार रन, 24 पर 14 रन, यह बहुत धीमा है। इस प्रारूप में यह नहीं चलेगा।"

प्लेयर ऑफ द मैच बने डेविड की पारी में शुरुआत से ही लय की कोई कमी नहीं दिखी। उनके आने से पहले मुंबई ने पांच ओवर में तीन विकेट गंवाते हुए केवल 23 रन बनाए थे। उन्होंने आते ही मोहम्मद शमी को मिडिल स्टंप पर शफ़ल करते हुए मिड ऑफ़ के पार दे मारा। अगली ही गेंद पर एक शॉर्ट बॉल को उन्होंने स्क्वायर लेग बाउंड्री पर भेजा। दो ही गेंदों में बनता हुआ दबाव कुछ हद तक ठंडा पड़ गया।

परिपक्वता का परिचय देते हुए डेविड और तिलक वर्मा ने फिर राशिद के आख़िरी ओवर पर सिर्फ़ एक और दो रन लिए। इसके बाद उन्होंने अल्ज़ारी जोसफ़ पर प्रहार किया। लॉन्ग ऑफ़ और डीप मिडविकेट के बीच के क्षेत्र को लक्ष्य बनाते हुए उन्होंने अपनी पारी के आख़िरी 11 गेंदों पर चार छक्के लगाए।

उनका तरीक़ा सहज था और उन्होंने मिडिल स्टंप पर खड़े होते हुए शॉर्ट गेंद को पुल किया, वाइड और फ़ुल गेंद पर लॉन्ग ऑफ़ पर निशाना साधा और वहीं अंदर आती गेंद को मिडविकेट की ओर मारा। आख़िर के रनों के बदौलत 200 से 165 तक गिरता अनुमानित स्कोर 177 पर जा थमा।

बिशप ने कहा, "मुझ से कई पहचान वालों ने पूछा कि डेविड को कहां छुपा कर रखा गया था। उन्होंने पिछले दो मुक़ाबलों में दिखाया है कि उन्हें ड्रॉप करना सरासर ग़लत फ़ैसला था। वह ख़ुद मानते हैं कि उन्हें और ऊपर खिलाना सही होगा। वह युवा हैं और उन्हें अपनी पारी को बनाने का पूरा अवसर दिया जाना चाहिए। हमें उन्हें एक ही रोल में क़ैद करने की कोई ज़रूरत नहीं।"

डैनिएल वेटोरी बीबीएल में डेविड के विरुद्ध बतौर कोच योजनाएं भी बनाते हैं और उन्होंने कहा, "यह एक अद्भुत पारी थी। उन्होंने शमी और फ़र्ग्यूसन जैसे गेंदबाज़ों को इतने बढ़िया तरीक़े से खेला। एक लंबे क़द और शक्तिशाली बल्लेबाज़ ने बिना किसी स्लॉगिंग के दबाव में अंदर आते हुए 21 गेंदों पर 44 रन बनाए। जब टीम में दो जगह खाली थी, तब भी ऐसे खिलाड़ी को क्यों बाहर रखा गया था यह समझना मुश्किल है।"

उन्होंने आगे कहा, "डेविड और भी लीगों में ऐसा कर चुके हैं। अब उनका ओहदा ऐसा बनेगा कि टीम एकादश में उनका नाम पहले डाला जाएगा। ऑस्ट्रेलिया वाले भी उनमें रुचि लेंगे। इस तरह की साफ़ हिटिंग आप रोज़ आईपीएल जैसे मंच के आख़िरी ओवरों में नहीं देखेंगे।"

मुंबई के लिए प्लेाऑफ़ में पहुंचना अब किसी चमत्कार से कम नहीं होगा। ऐसे में डेविड के पास चार और मैच होंगे अपनी जगह को पक्का बनाने के लिए। ठीक ऐसे ही एक ख़राब सीज़न को शान से ख़त्म करने के लिए पोलार्ड के पास चार और अवसर होंगे। अगर पोलार्ड ऐसा करते हैं तो मुंबई प्रबंधन काफ़ी संतुष्ट होगी। किसी कारणवश ऐसा नहीं हुआ तो डेविड तैयार होंगे फ़िनिशर का तमगा पोलार्ड के हाथों से लेने के लिए। अंत में जीत मुंबई की ही होगी।

राज

वार्ता

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