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किसान आंदोलन: आठवें दौर की बातचीत में भी कोई समाधान नहीं

किसान आंदोलन: आठवें दौर की बातचीत में भी कोई समाधान नहीं

नयी दिल्ली, 08 जनवरी (वार्ता) किसानाें और सरकार के बीच शुक्रवार को आठवें दौर की बातचीत दोनों पक्षों के अपने-अपने रवैये पर अड़े रहने के कारण बिना किसी नतीजे पर पहुंचे ही समाप्त हो गयी।

दोनों पक्ष अब 15 जनवरी को बातचीत फिर करेंगे जिस पर सहमति बन गयी है।

कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने करीब तीन घंटे तक चली बातचीत के बाद संवाददाताओं से कहा कि उन्होंने किसान नेताओं से कहा कि वे तीनों कृषि सुधार कानूनों को वापस लेने के बजाय कोई और विकल्प सरकार के समक्ष पेश करें जिस पर विचार किया जायेगा। उन्होंने कहा कि किसानों ने कोई और विकल्प नहीं दिया। इस पर बैठक समाप्त कर दी गयी और तय किया गया कि अब अगले दौर की बातचीत 15 जनवरी को होगी।

उन्होंने कहा, “ सरकार ने किसान संगठनों से बार-बार कहा है कि वे कोई विकल्प सुझायें, हम उस पर विचार करेंगे। हमें आशा है कि हम 15 जनवरी को सफल होंगे।”

इस बीच किसान नेताओं ने कहा है कि वे अपना आंदोलन जारी रखेंगे और यदि सरकार तीनों कृषि सुधार कानूनों को वापस नहीं लेती है तो वे पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार 26 जनवरी को ट्रैक्टर रैली निकालेंगे।

सरकार ने दूसरी तरफ स्पष्ट किया है कि तीनों कानूनों को वापस लिया जाना संभव नहीं है। सरकार हालांकि तीनों कानूनों में संशोधन के लिए तैयार है।

यह पूछे जाने पर कि सरकार ने क्या किसी से मध्यस्थता करने को कहा है ,श्री तोमर ने कहा कि सरकार ने किसी से संपर्क नहीं किया है। सरकार कानून का समर्थन करने वालों और विरोध करने वालों से बातचीत कर रही है। उन्होंने कहा, “ हम सभी से बातचीत कर रहे हैं।”

श्री तोमर ने यह पूछे जाने पर कि क्या उन्होंने सिखों के धार्मिक नेता बाबा लाखा सिंह

( नानकसर गुरुद्वारा कलेरान प्रमुख ) से बातचीत के दौरान दोनों पक्षों के बीच मध्यस्थता करने का आग्रह किया है, कहा कि बाबा लाखा सिंह एक आध्यात्मिक शख्सियत हैं और उन्हें भरोसा है कि कोई उपाय निकलेगा। उन्होंने कहा, “ बाबा लाखा सिंह ने किसानों के विचार रखें और हमने सरकार की राय रखी।”

उन्होंने कहा कि उन्हें आशा है कि बाबा लाखा सिंह सरकार के रुख को किसानों तक पहुंचायेंगे।

कृषि मंत्री के साथ बातचीत के बाद बाबा लाखा सिंह ने कहा, “ हम जल्द से जल्द समस्या के समाधान का प्रयास करेंगे। मंत्री ने उन्हें आश्वस्त किया है कि वह हमारे साथ हैं और कोई समाधान निकालेंगे।”

उधर, भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने कहा कि किसान तीनों कानूनों को वापस लिये जाने से कम पर कोई समझौता नहीं करेंगे। उन्होंने कहा, “ कानून वापसी नहीं तो घर वापसी नहीं।”

गौरतलब है कि तीनों कृषि सुधार कानूनों को वापस लिये जाने की मांग को लेकर राजधानी की सीमाओं पर बड़ी संख्या में जमे किसानों का आंदोलन आज 44 वें दिन भी जारी रहा। सरकार के साथ किसानों की आठ दौर की बातचीत हो चुकी है लेकिन अभी तक कोई समाधान नहीं निकल सका है। तीस दिसंबर को हुई छठे दौर की बातचीत में किसानों को मिलने वाली बिजली पर सब्सिडी जारी रखने और पराली जलाने वाले किसानों के विरुद्ध कोई कार्रवाई किये जाने की मांग सरकार ने मान ली थी।

श्रवण.जितेन्द्र

वार्ता

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