नयी दिल्ली, 08 अप्रैल (वार्ता) दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सौरभ भारद्वाज ने कहा कि पानी और स्वास्थ्य चुनी हुई सरकार के अधीन है इसलिए इस मामले में उपराज्यपाल (एलजी) वीके सक्सेना मंत्रियों को आदेश नहीं दे सकते हैं।
श्री सौरभ भारद्वाज ने उपराज्यपाल की ओर से गृह विभाग को लिखे गये पत्र पर पलटवार करते हुए सोमवार को कहा कि बिल्ली के भाग्य से छींका नहीं टूटता है। उपराज्यपाल को थोड़ा संविधान को भी समझना चाहिए। उपराज्यपाल पानी, स्वास्थ्य, पर्यावरण और वन की बात कर रहे हैं। यह सारे राज्य सरकार को स्थानांतरित विषय हैं जो चुनी हुई सरकार के अधीन आते हैं। संविधान के कौन से अनुच्छेद ने उपराज्यपालको यह शक्ति दे दिया है कि वह चुने हुए मंत्रियों को बुलाकर इस पर आदेश दे सकते हैं। यह उपराज्यपाल को बताना चाहिए।
उन्होंने कहा कि जब हम एलजी साहब को अपनी परेशानियां बताते हैं तब वह कहते हैं कि यह तो स्थानांतरित विषय है। यह विषय मेरे अधीन नहीं है। अब उन्हीं विषय के बारे में उपराज्यपाल मंत्रियों की बैठक बुला रहे हैं।
स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि दिल्ली के सरकारी अस्पतालों और पानी में समस्या इसलिए है कि उपराज्यपाल के चहेते अफसर जानबूझ कर षड़यंत्र करके दिल्ली के अंदर दवाइयों की कमी पैदा कर रहे हैं। उनके चहेते अफसर जानबूझ कर दिल्ली जलबोर्ड का पैसा रोक रहे हैं, जबकि उस पैसे को दिल्ली विधानसभा ने पास किया है। उपराज्यपाल के चहेते अफसरों ने दिल्ली के अंदर फरिश्ते योजना के पैसे रोक दिए। फरिश्ते योजना के अंतर्गत अगर दिल्ली के अंदर कोई सड़क दुर्घटना में घायल होता था, तो उसका मुफ्त इलाज होता था।
उन्होंने दिल्ली सरकार कौन आदमी चलाएगा, यह दिल्ली की जनता तय करेगी। अगर उपराज्यपाल को सरकार चलाने का इतना ही शौक है तो वह अरविंद केजरीवाल के सामने चुनाव लड़ें, चुनकर आएं और सरकार चलाएं।
उल्लेखनीय है कि श्री वीके सक्सेना ने केंद्रीय गृह मंत्रालय को एक पत्र लिखा। इस पत्र में उन्होंने लिखा,“असंवेदनशीलता और गंभीरता की कमी दिखाते हुए दिल्ली के मंत्रियों ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी के बाद अपने मंत्रालयों के कामकाज पर चर्चा के लिए उपराज्यपाल द्वारा बुलाई गई बैठकों में भाग लेने से इनकार कर दिया।”
आज़ाद.संजय
वार्ता