नयी दिल्ली 12 मार्च (वार्ता) साहित्य अकादमी पुरस्कार अर्पण समारोह की मुख्य अतिथि प्रख्यात ओड़िया लेखिका प्रतिभा राय ने कहा कि साहित्य सभी को जोड़ता है और अन्य की तरह वह विभाजन की बात कभी नहीं करता है।
साहित्य अकादमी के विश्व के सबसे बड़े साहित्योत्सव के दूसरे दिन भारतीय भाषाओं के 24 लेखकों के पुरस्कार अर्पण समारोह को संबोधित हुए सुश्री राय ने कहा कि लेखन हमेशा सार्वभौमिक होता है और विभिन्न बदलावों के दौर में भी अपनी चमक नहीं खोता। सारी भारतीय भाषाएँ हमें ताकत प्रदान करती है और प्यार की भाषा बोलने के लिए तैयार भी करती है।
उन्होंने भाषा के महत्त्व को संस्कृति से जोड़ते हुए कहा कि भाषा की उन्नति के बिना कोई भी संस्कृति लंबे समय तक रह नहीं सकती।
पुरस्कृत रचनाकारों में प्रणव ज्योति डेका (असमिया), स्वप्नमय चक्रवर्ती (बंगला), नन्देश्वर दैमारि (बोडो), विजय वर्मा (डोगरी), नीलम सरन गौड़ (अंग्रेज़ी), विनोद जोशी (गुजराती), संजीव (हिंदी), लक्ष्मीश तोल्पाडि (कन्नड), मंशूर बानिहाली (कश्मीरी), प्रकाश एस. पर्यंकार (कोंकणी), बासुकी नाथ झा (मैथिली), ई.वी. रामकृष्णन (मलयालम्), सोरोकखाईबम गम्भिनी (मणिपुरी), कृष्णात तुकाराम खोत (मराठी), युद्धवीर राणा (नेपाली), आशुतोष परिड़ा (ओड़िआ), स्वर्णजीत सवी (पंजाबी), गजेसिंह राजपुरोहित (राजस्थानी), अरुण रञ्जन मिश्र (संस्कृत), तारासीन बास्के (संताली), विनोद आसुदानी (सिंधी), एन. राजशेखरन (तमिल), तल्लावाला पतंजलि शास्त्री (तेलुगु) और सादिका नवाब सहर (उर्दू) शामिल हैं।
सत्या , जांगिड़
वार्ता