Friday, Apr 26 2024 | Time 08:24 Hrs(IST)
image
नए सांसद


भाजपा की केसरी फूलपुर में खिलायेंगी कमल

भाजपा की केसरी फूलपुर में खिलायेंगी कमल

प्रयागराज,07 अप्रैल (वार्ता) उत्तर प्रदेश में प्रतिष्ठित फूलपुर संसदीय सीट पर दोबारा कमल खिलाने के लिए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पटेल बिरादरी का ट्रम्पकार्ड खेलते हुए आखिरकार केसरी देवी पटेल को अपना प्रत्याशी घोषित कर अटकलों पर पूर्ण विराम लगा दिया।

  भाजपा ने फूलपुर संसदीय सीट पर एक तीर से दो निशाना साधते हुये केसरी पटेल के नाम की घोषणा शनिवार को की। क्षेत्र मे जातीय समीकरण को ध्यान में रखते हुये पटेल बिरादरी को पार्टी ने खुश करने का प्रयास किया जबकि दूसरा लक्ष्य महिलाओं को प्रभावित करने का था। इस सीट पर भाजपा 2014 की पुनर्रावृत्ति कर सकेगी, यह समय बतायेगा। इस सीट पर कांग्रेस ने भी जातीय समीकरण को आधार मानकर अपना दल के साथ मिलकर कृष्णा पटेल के दामाद पंकज निरंजन को खोई जमीन हासिल करने के लिए मैदान में उतारा है।

केसरी देवी ने अपना राजनीतिक कैरियर भाजपा का दामन पकड़ कर शुरू किया था। वह वर्ष 1995 में वह जिला पंचायत की उपाध्यक्ष चुनी गयीं और 1998 में पहली बार जिला पंचायत अध्यक्ष बनीं। वर्ष 2004 में भाजपा का दामन छोड़कर बसपा में शामिल हो गयी और उसी वर्ष फूलपुर से लोकसभा का चुनाव लड़ी। लेकिन वहां पर सपा के कद्दावर नेता अतीक अहमद ने उन्हें पराजित कर दिया था।

  आजादी के बाद पहली बार इस सीट पर केशव मौर्य ने कमल खिलाया था। इसके बाद वर्ष 2018 में हुए उप-चुनाव में समाजवादी पार्टी (सपा) के नागेन्द्र सिंह पटेल ने भाजपा के कौशलेन्द्र पटेल को 59 हजार से अधिक मतो से हराकर सीट अपने कब्जे में कर लिया था। अभी तक यहां भाजपा और कांग्रेस ने पटेल बिरादरी को साधने के लिए अपने प्रत्याशी मैदान में उतारे हैं। अभी सपा मुकम्मल जीत के लिए मजबूत उम्मीदवार को उतारने के लिए मंथन कर रही है।


  पंडित जवाहरलाल नेहरू ने आजादी के बाद पहली बार 1952 में हुए लोकसभा चुनाव में फूलपुर संसदीय सीट को अपनी कर्मभूमि के लिए चुना और यहां से विजयी हुए। वह लगातार तीन बार 1952, 1957 और 1962 से जीत दर्ज कराते रहे। उनके चुनाव लड़ने के कारण ही यह सीट प्रतिष्ठित मानी गयी। उसके बाद कई दिग्गज नेताओं ने यहां से अपने भाग्य आजमाये।

   लोकसभा चुनाव और उप-चुनाव में फूलपुर सीट कांग्रेस और सपा की गढ़ रही है। आजादी के बाद से कांग्रेस यहां पर सात बार विजयी रही तो यह सीट पांच बार सपा के पास भी रही। पंड़ित जवाहर लाल नेहरू यहां से तीन बार 1952, 157, 1962, वर्ष 1964 और 1967 में उनकी बहिन विजय लक्ष्मी पंडित, 1971 में विश्वनाथ प्रताप सिंह तो अन्तिम बार 1984 में श्री राम पूजन पटेल ने यहां से कांग्रेस को जीत दिलायी थी।

  सपा ने वर्ष 1996 और 1998 में जंग बहादुर पटेल, वर्ष 1999 में धर्मराज सिंह पटेल, 2004 में अतीक अहमद और 2018 के उपचुनाव में नागेन्द्र सिंह पटेल विजयी रहे। आजादी के बाद हुए हुए लोकसभा चुनाव में 2014 में पहली बार बार भाजपा का यहां खाता खुला था लेकिन 2018 में हुए उपचुनाव में वह हार गयी।

दिनेश प्रदीप

वार्ता

There is no row at position 0.
image