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संत तुकाराम मंदिर का महाराष्ट्र में मोदी ने किया उद्धाटन

संत तुकाराम मंदिर का महाराष्ट्र में मोदी ने किया उद्धाटन

पुणे, 14 जून (वार्ता) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को पुणे के देहू में जगतगुरु श्रीसंत तुकाराम महाराज मंदिर का उद्घाटन किया और कहा कि संतों की संगति मानव जीवन का सबसे बड़ा अवसर है।

श्री मोदी ने इस अवसर पर उपस्थित जन समूह को संबोधित करते हुए कहा, “हमारे शास्त्रों में कहा गया है कि मनुष्य जन्म में सबसे दुर्लभ संतों का सत्संग है। संतों की कृपा अनुभूति हो गई, तो ईश्वर की अनुभूति अपने आप हो जाती है।

आज देहू की इस पवित्र तीर्थ-भूमि पर आकर मुझे ऐसी ही अनुभूति हो रही है।”

उन्होंने कहा,“देहू का शिला मंदिर न केवल भक्ति की शक्ति का एक केंद्र है बल्कि भारत के सांस्कृतिक भविष्य को भी प्रशस्त करता है। इस पवित्र स्थान का पुनर्निमाण करने के लिए मैं मंदिर न्यास और सभी भक्तों का आभार व्यक्त करता हूँ।”

प्रधानमंत्री ने कहा, “संत तुकाराम जी की दया, करुणा और सेवा का वो बोध उनके ‘अभंगों’ के रूप आज भी हमारे पास है। इन अभंगों ने हमारी पीढ़ियों को प्रेरणा दी है। जो भंग नहीं होता, जो समय के साथ शाश्वत और प्रासंगिक रहता है, वही तो अभंग है।'

श्री मोदी ने कुछ महीने पहले महाराष्ट्र में पालकी मार्ग पर दो राष्ट्रीय राजमार्गों को चार लेन करने की परियोजना का शिलान्यास का उल्लेख करते हुए कहा कि इसका शिलान्यास करना उनके लिए सौभाग्य था। उन्होंने बताया कि श्रीसंत ज्ञानेश्वर महाराज पालकी मार्ग का निर्माण पांच चरणों में पूरा किया जाएगा और संत तुकाराम महाराज पालकी मार्ग तीन चरणों में पूरा होगा। इन दोनों परियोजनाओं में कुल 350 किलोमीटर से अधिक लंबे राजमार्गों का निर्माण किया जाएगा जिन के निर्माण में 11,000 करोड़ रुपये की लागत आयेगी।

प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत को विश्व की जीवित प्रचीनतम होने का गर्व है। उन्होंने कहा, “भारत शाश्वत है, क्योंकि भारत संतों की धरती है। हर युग में हमारे यहां, देश और समाज को दिशा देने के लिए कोई न कोई महान आत्मा अवतरित होती रही है। आज देश संत कबीरदास की जयंती मना रहा है।”

उन्होंने कहा कि संत तुकाराम जी की दया, करुणा और सेवा का वो बोध उनके ‘अभंगों’ के रूप आज भी हमारे पास है। इन अभंगों ने हमारी पीढ़ियों को प्रेरणा दी है। जो भंग नहीं होता, जो समय के साथ शाश्वत और प्रासंगिक रहता है, वही तो अभंग है।

प्रधानमंत्री ने कहा, “छत्रपति शिवाजी महाराज जैसे राष्ट्रनायक के जीवन में भी तुकाराम जी जैसे संतों ने बड़ी अहम भूमिका निभाई। आज़ादी की लड़ाई में वीर सावरकर जी को जब सजा हुई, तब जेल में वो हथकड़ियों को चिपली जैसा बजाते हुए तुकाराम जी के अभंग गाते थे।”

श्री मोदी ने कहा कि अपनी राष्ट्रीय एकता को मजबूत रखने के लिए अपनी प्राचीन पहचान परंपराओं को जीवित रखना हमारी जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा, “आज आधुनिक प्रौद्योगिकी और अवसंरचना भारत के विकास का पर्याय बन रहे हैं। हम यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि विकास और परंपरा साथ-साथ चलें।”

उन्होंने इसी संदर्भ में पालकी यात्रा के नवीनीकरण, उत्तराखंड में चारधाम यात्रा के लिए नए राजमार्गों के निर्माण, अयोध्या में भव्य राममंदिर, काशी विश्वनाथ धाम का नवीनीकरण और सोमनाथ के विकास का उदाहरण दिया है। प्रधानमंत्री ने बताया कि सरकार की प्रसाद योजना के तहत तीर्थों के विकास का काम भी चल रहा है। रामायण परिपत और बाबा साहेब के पंचतीर्थों को भी विकास किया जा रहा है।

उन्होंने कहा कि यदि सब सही दिशा में प्रयास करे तो कोई काम कठिन नहीं है। प्रधानमंत्री ने कहा कि आज कल्याणकारी योजनाओं में उस स्थिति की तरफ बढ़ रहा है जहां कोई भी जरूरतमंद लाभ से वंचित नहीं रह जाएगा। गरीबों को बुनियादी सुविधाओं से जोड़ना है।

प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर लोगों को स्वच्छ भारत अभियान में हाथ बटाने का आह्वान किया और जीवन के हर क्षेत्र को स्वच्छ रखने का संकल्प करने को कहा। उन्होंने कहा कि लोगों को अपनी आध्यात्मिक प्रतिज्ञाओं के साथ राष्ट्रीय प्रतिज्ञाएं भी करनी चाहिए। उन्होंने लोगों को प्राकृतिक खेती अपनाने और योग का प्रचार प्रसार करने का भी आव्हान किया।

श्रीसंत तुकाराम का जन्म 17वीं सदी में पुणे के देहू कस्बे में हुआ था। वह वारकरी संप्रदाय के संत कवि थे। 'वारकरी' शब्द में 'वारी' शब्द अंतर्भूत है। वारी का अर्थ है यात्रा करना, फेरे लगाना। जो अपने आस्था स्थान की भक्तिपूर्ण यात्रा बार-बार करता है, उसे वारकरी कहते हैं। संत तुकाराम के अभंग अंग्रेजी भाषा में भी अनुवादित हुए हैं। उन्होंने महाराष्ट्र में भक्ति आंदोलन की नींव डाली। वे तत्कालीन भारत में चले रहे 'भक्ति आंदोलन' के एक प्रमुख स्तंभ थे। उन्हें 'तुकोबा' भी कहा जाता है।

मनोहर.अभिषेक, उप्रेती

वार्ता

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