भारतPosted at: Jun 3 2019 6:24PM मुजफ्फरपुर आश्रय गृह : सीबीआई को जांच पूरी करने के लिए तीन माह
नयी दिल्ली, 03 जून (वार्ता) उच्चतम न्यायालय ने मुजफ्फरपुर आश्रय गृह मामले की जांच तीन महीने में पूरी करने का केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को निर्देश दिया।
न्यायमूर्ति इंदु मल्होत्रा और न्यायमूर्ति एम आर शाह की अवकाशकालीन खंडपीठ ने भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा-377 और सूचना प्रौद्योगिकी कानून की विभिन्न धारा के तहत भी यौन उत्पीड़न के आरोपों की जांच करने का सीबीआई को निर्देश दिया।
न्यायालय ने आश्रय गृह की लड़कियों के यौन उत्पीड़न में शामिल आगंतुकों के बारे में तथा मानव तस्करी के पहलुओं की जांच करने एवं यह छानबीन करने का भी सीबीआई को निर्देश दिया कि आश्रय गृह में लड़कियां कैसे लायी गयीं।
पीठ ने आरोपी बृजेश ठाकुर को झटका देते हुए कहा कि इस मामले में आरोपियों का पक्ष अदालत नहीं सुनेगी।
सीबीआई ने मामले की जांच पूरी करने के लिए अदालत से छह महीने का समय मांगा था।
पिछली सुनवाई के दौरान न्यायालय ने 11 लड़कियों की कथित हत्या की जाचं की स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने के लिए सीबीआई को आज तक का समय दिया था।
सीबीआई की ओर से बताया गया कि 11 लड़कियां गायब हैं जिनकी हत्या का संदेह है, करीब 35 लडकियों के नाम एक जैसे हैं।
गत चार मई को सीबीआई ने न्यायालय में सनसनीखेज खुलासा करते हुए कहा था कि मुजफ्फरपुर आश्रय गृह यौन उत्पीड़न मामले के मुख्य आरोपी ब्रजेश ठाकुर और उसके सहयोगियों ने 11 लड़कियों की कथित रूप से हत्या की थी और एक श्मशान घाट से ‘हड्डियों की पोटली' बरामद हुई है।
गौरतलब है कि बिहार के मुजफ्फरपुर में एक गैर-सरकारी संगठन (एनजीओ) द्वारा संचालित आश्रय गृह में कई लड़कियों का कथित रूप से बलात्कार और यौन उत्पीड़न किया गया था तथा टाटा सामाजिक विज्ञान संस्थान की रिपोर्ट के बाद यह मुद्दा उछला था।