भारतPosted at: Jul 31 2020 6:48PM नागरी लिपि विश्व लिपि की ओर अग्रसर -डा. पाल
नयी दिल्ली 31 जुलाई (वार्ता) नागरी लिपि परिषद के महासचिव डा. हरि सिंह पाल ने हिन्दी भाषा के प्रसार - प्रचार के लिए नये शब्दों को स्वीकार करने का आग्रह करते हुए शुक्रवार को कहा है कि नागरी लिपि अपने वैज्ञानिकता ध्वन्यात्मक प्रकृति और प्रयोजनीयता के कारण विश्व लिपि की ओर अग्रसर हो रही है ।
डा. पाल ने यहां राजघाट स्थिति अपने कार्यालय से कनाडा के टोरेंटो में अखिल विश्व हिंदी समिति के 11 वें “ई - वार्षिक” अधिवेशन को मुख्य अतिथि के रूप में संबंधित करते हुए कहा कि भारत के प्रत्येक क्षेत्र में नागरी लिपि की लोकप्रियता बढ़ रही है। कंप्यूटर प्रणाली के अनुकूल होने के नाते इसी विश्व स्तर पर मान्यता भी मिल रही है।
आचार्य विनोबा भावे ने वर्ष 1975 में नागरी लिपि के प्रचार प्रसार नागरी लिपि परिषद की स्थापना की थी। यह केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय के अधीन एक स्वायत्त संस्था है।
इस अवसर पर कनाडा में भारतीय उच्चायोग की वरिष्ठ अधिकारी अपूर्वा श्रीवास्तव ने कहा कि सोशल मीडिया के युग में सूचना प्रौद्योगिकी के नए- नए शब्द हिंदी में भी प्रयोग में लाने होंगे तभी नागरी हिंदी को विश्व स्तर पर स्वीकार्यता दिलाने में सफल हो सकेंगे। अखिल विश्व हिंदी समिति, कनाडा के अध्यक्ष गोपाल बघेल 'मधु' ने नागरी लिपि को पूरी तरह से वैज्ञानिक बताया और कहा कि इसमें विश्व लिपि बनने की पूरी क्षमता है।
सत्या अरुण
वार्ता