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नजीब जंग ने ग़ालिब के कलाम को अंग्रेज़ी में उतारा

नजीब जंग ने ग़ालिब के कलाम को अंग्रेज़ी में उतारा

नयी दिल्ली 09 अक्टूबर (वार्ता) दिल्ली के पूर्व उपराज्यपाल नजीब जंग ने शनिवार को कहा कि मशहूर शायर ग़ालिब की कृतियों को उन पाठकों-श्रोताओं के सामने लाना एक सपना था, जिन्होंने उनकी ग़ज़लें पढ़ी, सुनीं, उनकी लय को पसंद किया लेकिन शब्दावली में सीमाओं के कारण उसका पूरा स्वाद नहीं ले पाए और इसी मकसद से उन्होंने गालिब के कलाम का अंग्रेज में अनुवाद किया है।

श्री जंग ने 'दीवान-ए-ग़ालिब: सरीर-ए-खामा' पुस्तक संकलित की है जिसमें ग़ालिब के कलाम का अंग्रेज़ी में अनुवाद किया गया है। इससे मिर्ज़ा ग़ालिब की शायरी को उन लोगों के लिए सुलभ और समझने योग्य बन गयी है, जो इसे मूल लिपि में पढ़ने-समझने में असमर्थ हैं। पुस्तक का प्रकाशन रेख़्ता बुक्स के द्वारा किया गया है। दिल्ली उर्दू अकादमी के पूर्व उपाध्यक्ष प्रोफ़ेसर ख़ालिद महमूद और रेख़्ता फाउंडेशन के संजीव सराफ ने यहाँ पुस्तक का विमोचन किया।

श्री जंग ने कहा, "ग़ालिब की कृतियों को उन पाठकों-श्रोताओं के सामने लाना एक सपना था, जिन्होंने उनकी ग़ज़लें सुनीं, उनकी लय को पसंद किया लेकिन शब्दावली में सीमाओं के कारण सुंदरता, रहस्यवाद, समृद्धि, उनके काम के प्रतीकवाद का पूरा स्वाद नहीं मिला। मैं 50 साल तक इस सपने के साथ रहा, और आज आशा करता हूँ कि यह काम उन्हें उन बड़े पाठकों और श्रोताओं के करीब लाएगा, जो उन्हें और जानने के लिए तरस रहे हैं। एक तरह से, यह पिछले एक दशक में रेख़्ता द्वारा किए जा रहे महान कार्य का विस्तार है।”

श्री सराफ़ ने श्री जंग के साहित्य के प्रति जुनून, उनकी भावनात्मक गहराई और सौंदर्य संबंधी संवेदनाओं की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि ग़ालिब को विशेष रूप से उर्दू काव्य जगत में साहित्यिक विरासत के शीर्ष पर रखा गया है। उन्होंने पुस्तक को ग़ालिब-प्रेमियों के साथ-साथ ग़ालिब की शायरी को बेहतर ढंग से समझने के इच्छुक लोगों के लिए "ज़रूरी" कहा। श्री सराफ़ ने बताया कि इस पुस्तक से प्राप्त होने वाली सारी आय साहित्य और भाषा के संरक्षण और प्रचार के मिशन को समर्थन देने के लिए रेख़्ता फाउंडेशन को दान कर दी जाएगी।

कवि, लेखक और दिल्ली उर्दू अकादमी के पूर्व अध्यक्ष, प्रो. ख़ालिद महमूद ने कहा, “ग़ालिब और उनकी भावनाओं को समझना आसान नहीं है, लेकिन ग़ालिब के लिए यह सरासर समर्पण और प्यार है कि नजीब जंग ने प्रत्येक शब्द की गहरी समझ में गोता लगाया।” उन्होंने बताया कि जंग ने ग़ालिब की शायरी की परतों का पता लगाने के लिए भारतीय इतिहास और पारंपरिक उर्दू शायरी का गहन अध्ययन किया। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि यह पुस्तक नजीब जंग और ग़ालिब के बीच बातचीत का प्रतिनिधित्व करती है।

इस अवसर पर पूर्व सांसद पवन के. वर्मा ने कहा “ग़ालिब एक जटिल शायर हैं जहाँ उनके शेरों के अर्थ की कई तहें हैं। हालाँकि, पढ़ने के लिए और लोगों तक पहुँचने के लिए उनके काम का अनुवाद करने की सख्त आवश्यकता है क्योंकि उनके शेरों में बहुत सुंदरता, ज्ञान, अंतर्दृष्टि, धारणा और विचार समाहित हैं।” उन्होंने अनुवाद के काम की तुलना इत्र को एक बोतल से दूसरी बोतल में स्थानांतरित करने की प्रक्रिया से की और हा कि सर्वोत्तम प्रयासों के बावजूद, इस प्रक्रिया में कुछ इत्र वाष्पित हो जाता है। उन्होंने नजीब जंग की उनके सटीक अनुवाद कार्य के लिए प्रशंसा की और कहा कि उन्होंने न केवल एक कवि या एक भाषा बल्कि एक सभ्यता को पुनर्जीवित किया है।

आजाद, यामिनी

वार्ता

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