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वर्ष 2009 के लोकसभा चुनाव में धराशायी हो गया था लोजपा का ‘बंगला’ शून्य पर हो गयी थी आउट

पटना, 06 अप्रैल (वार्ता) बिहार में वर्ष 2019 में हुये लोकसभा चुनाव में छह पर जीत हासिल करने वाली लोक जनशक्ति पार्टी का ‘बंगला’ वर्ष 2009 में हुये चुनाव में धराशायी हो गया था और उसकी पार्टी शून्य पर आउट हो गयी।
वर्ष 2009 में हुये लोकसभा चुनाव में लोजपा ने राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के साथ गठबंधन कर राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के विरुद्ध चुनाव लड़ा था। सीटों में तालमेल के तहत राजद ने 28 और उसकी सहयोगी लोजपा ने 12 सीट पर चुनाव लड़ा। राजग गठबंधन में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और जनता दल यूनाईटेड (जदयू) शामिल थी। जदयू ने 25 और भाजपा ने 15 सीट पर अपने उम्मीदवार उतारे। कांग्रेस ने अपने दम पर चुनाव लड़ा था।
राजग गठबंधन में 40 सीट में से 32 सीट अपने नाम कर ली। जदयू ने 20 और भाजपा ने 12 सीट पर जीत हासिल की।राजद ने 04 , कांग्रेस ने दो, लोजपा ने शून्य, पर जीत हासिल की। इस चुनाव में दो निर्दलीय उम्मीदवार के सिर जीत का सेहरा सजा। बांका से दिग्विजय सिंह और सीवान से ओमप्रकाश यादव ने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में जीत हासिल की। पूर्व केन्द्रीय मंत्री दिग्गज नेता राम विलास पासवान की पार्टी लोजपा का वर्ष 2000 में गठन के बाद इस चुनाव में सबसे निराशाजनक प्रदर्शन रहा।
इससे पूर्व वर्ष 2004 में हुये लोकसभा चुनाव में (राजग)में जदयू और भाजपा शामिल थी। जदयू ने 24 और भाजपा ने 16 सीट पर अपने उम्मीदवार उतारे। जदयू को 06 जबकि भाजपा को पांच सीट पर जीत मिली। वहीं, राजग के विरुद्ध राजद, कांग्रेस, लोजपा, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के साथ तालमेल कर चुनाव लड़ा। इस चुनाव में वामदल के दो अन्य दल भारत की कम्युनिस्ट पार्टी मार्क्सवादी-लेनिनवादी (भाकपा-माले) और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) ने अपने दम पर चुनाव लड़ा।
इस चुनाव में राजद ने 26, लोजपा ने 08, कांग्रेस ने 04, राकांपा ने 01और भाकपा माले ने एक सीट पर अपने उम्मीदवार उतारे। राजद को 22, लोजपा को 04 और कांग्रेस को तीन सीट पर जीत मिली। राकांपा और माकपा के प्रत्याशी को किसी सीट पर जीत हासिल नहीं हुयी। लोजपा के गठन के बाद बिहार में लोजपा का यह पहला चुनाव था, जहां उसने 04 सीट अपने नाम की।
वर्ष 2005 में बिहार मे दो विधानसभा के चुनाव हुये। पहला फरवरी 2005 में और दूसरा अक्टूबर 2005 में। 2005 में फरवरी में हुए चुनाव में लोजपा ने 178 सीटों पर उम्मीदवार उतारे और 29 सीटे पर जीतीं। यही लोजपा का अब तक का सबसे बेहतर प्रदर्शन है।इस चुनाव में कोई भी गठबंधन बहुमत हासिल नहीं कर सका और कोई भी दल सरकार बनाने में सफल नहीं रहा तब नवम्बर 2005 में फिर से विधानसभा का चुनाव कराया गया। लोजपा ने 203 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे जिनमें से वह सिर्फ 10 सीटें ही जीत सकी।बिहार से तब राजद के 15 वर्षों के शासन काल की विदाई हो गई थी। नीतीश कुमार दूसरी बार बिहार के मुख्यमंत्री बने। 2010 का बिहार विधान सभा चुनाव लोजपा ने राजद के साथ मिलकर लड़ा था। राजद ने 168 जबकि लोजपा ने 75 सीट पर चुनाव लड़ा। राजद को 22 सीट मिली जबकि लोजपा केवल तीन सीटें जीत पायी।
वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में सियासी समीकरण बदल गये। लोजपा ने राजद का साथ छोड़कर राजग से नाता जोड़ लिया। वहीं जदयू ने (राजग) से नाता तोड़ लिया और अलग होकर अकेले लड़ा था। राजग के घटक दल में (भाजपा), (लोजपा) और राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (रालोसपा) शामिल थी। भाजपा ने 30 सीट पर चुनाव लड़ा, जिनमें से उसे 22, लोजपा ने 07 में से 06 सीट और रालोसपा ने तीनों सीट जीत कर शत-प्रतिशत सफलता पायी थी।
श्री राम विलास पासवान के पुत्र चिराग पासवान जमुई सीट से पहली बार चुनाव लड़कर सांसद बनें। राजग को इस चुनाव में 31 सीट मिली। विपक्षी पार्टी (राजद) ने कांग्रेस, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के साथ तालमेल कर चुनाव लड़ा था। राजद ने 27,कांग्रेस ने 12,और राकांपा ने एक सीट पर अपने प्रत्याशी उतारे थे। राजद ने 04,कांग्रेस ने 02 सीट, राकांपा ने एक सीट पर सफलता हासिल की थी। इस चुनाव में जदयू ने 40 में से 38 सीट पर चुनाव लड़ा। जदयू केवल दो सीट पर विजयी रही। इनमें एक सीट नीतीश कुमार के गढ़ नालंदा की थी और दूसरी पूर्णिया थी। वहीं, इस चुनाव में जदयू की सहयोगी रही भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) ने दो सीट बांका और बेगूसराय से चुनाव लड़ा और उसे भी हार मिली। 2015 का विधानसभा चुनाव लोजपा ने राजग के साथ मिलकर लड़ा। लोजपा को दो सीट पर जीत मिली।
वर्ष 2019 का लोकसभा चुनाव में लोजपा फिर से राजग के साथ थी।जदयू भी राजग गठबंधन में वापस आ गयी।इस चुनाव में भाजपा ने 17, जदयू ने 17 और लोजपा ने 06 प्रत्याशी उतारे। भाजपा और लोजपा ने सभी सीट पर जीत हासिल की जबकि जदयू ने 16 सीट पर जीत हासिल की। राजग ने 40 में से 39 सीट पर कब्जा कर लिया। लोजपा के टिकट पर जमुई (सु) से चिराग पासवान, हाजीपुर (सु) से पशुपति कुमार पारस, वैशाली से वीणा देवी, खगड़िया से चौधरी महबूब अली कैसर, नवादा से चंदन सिंह, समस्तीपुर से राम विलास पासवान के भाई रामचंद्र पासवान ने जीता था।इस तरह लोजपा ने सभी छह सीटों पर जीत हासिल की थी। रामचंद्र पासवान के निधन के हुये उपचुनाव में राम चंद्र पासवान के पुत्र प्रिंस राज ने जीत हासिल की थी। प्रिंस राम ने कांग्रेस प्रत्याशी ने डा. अशोक कुमार को पराजित किया था।
वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में महागठबंधन के घटक दल में राजद, कांग्रेस, रालोसपा वीआईपी और हम शामिल थी।राजद को 20, कांग्रेस को 09, उपेन्द्र कुश्वाहा की पार्टी (रालोसपा) को पांच, मुकेश सहनी की पार्टी विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) को तीन और जीतनराम मांझी की पार्टी हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (हम) को तीन सीट मिली थी। राजद ने अपने कोटे से एक सीट आरा भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी- लेनिनवादी) को दी थी। कांग्रेस को किशनगंज को छोड़ सभी सीटों पर उसके उम्मीदवारों को हार का सामना करना पड़ा। महागठबंधन का नेतृत्व कर रहे राजद के हिस्से कोई सीट नहीं आई।कांग्रेस के अलावा महागठबंधन का कोई भी घटक दल सीट नहीं जीत पाया। किशनगंज एकमात्र सीट है जहां जदयू को हार मिली औैर महागठबंधन के प्रत्याशी ने जीत हासिल की थी।
वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में शानदार प्रदर्शन करने के बाद राम विलास पासवान ने अपने बेटे चिराग पासवान को आगे कर दिया। नवंबर 2019 को चिराग पासवान को लोक जनशक्ति पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना गया। अध्यक्ष पद की कमान मिलने के बाद चिराग ने 'बिहार फर्स्ट, बिहारी फर्स्ट' के नाम से बिहार में यात्रा निकाली। चिराग पासवान ने कहा था कि बिहार को नंबर वन बनाने के लिए यह यात्रा जरूरी है। अब तक बिहार पिछड़ा हुआ है। यह चिंता का विषय है। हमारी यात्रा बिहार के लोगों के लिए है।उनकी पार्टी का अब एक ही लक्ष्य है, बिहार को नंबर वन राज्य बनाना।
अक्टूबर 2020 में पूर्व केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान निधन हो गया। वर्ष 2020 के विधानसभा चुनाव के लिए सीट बंटवारे के सवाल पर, चिराग पासवान की अध्यक्षता में लोजपा ने राजग का दामन छोड़ दिया।वर्ष 2020 का बिहार विधानसभा चुनाव लोजपा ने 135 सीटों पर अकेले अपने दम पर लड़ा। लोजपा ने जदयू की सभी 115 सीट के साथ भाजपा के खिलाफ भागलपुर, गोविंदगंज और रोसड़ा में अपने उम्मीदवार खड़े किये थे। इसके अलावा लोजपा ने भाजपा की सहयोगी विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) और हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के विरूद्ध भी उम्मीदवार उतारे थे। इस चुनाव में लोजपा को केवल एक सीट मिली। मटिहानी विधानसभा सीट से लोजपा उम्मीदवार राजकुमार सिंह ने जदयू उम्मीदवार नरेंद्र कुमार सिंह उर्फ बोगो सिंह को मात दी।
श्री राम विलास पासवान के निधन के बाद उनके बेटे चिराग पासवान और भाई पशुपति कुमार पारस में मतभेद बढ़ने लगा।चिराग पासवान औऱ पशुपति पारस में पार्टी के नेतृत्व को लेकर खींचतान थी, रामविलास के निधन के बाद यह दरार और बढ़ गयी।पशुपति कुमार पारस ने चिराग पासवान को पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद से हटा दिया। सूरज भान को कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया। चिराग पासवान ने पलटवार करते हुए लोजपा के बागी पांचों सांसद (पशुपति कुमार पारस, चौधरी महबूब अली कैसर, वीणा देवी, प्रिंस राज और चंदन सिंह) को पार्टी से निकाल दिया।अपने चाचा पशुपति पारस द्वारा उन्हें बाहर करने के बाद अपनी पहली प्रतिक्रिया में, चिराग पासवान ने संगठन की तुलना एक माँ से की, जिसे धोखा नहीं दिया जाना चाहिए । एक ट्वीट में उन्होंने कहा था कि उन्होंने अपने पिता राम विलास पासवान और उनके परिवार द्वारा स्थापित पार्टी को एकजुट रखने का प्रयास किया लेकिन असफल रहे। टूट के बाद 2021 में लोजपा दो पार्टियों लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) और राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी में बंट गई।
इस बार के चुनाव में चिराग पासवान की पार्टी लोजपा -रामविलास राजग के साथ है। वहीं राजग में टिकट बंटवारे से नाराज पशुपति कुमार पारस ने केन्द्रीय मंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया और राजग से नाता तोड़ लिया। इस बार के चुनाव में लोजपा-रामविलास को पांच सीट हाजीपुर (सु), जमुई (सु), समस्तीपुर (सु), वैशाली और खगड़िया मिली है, जबकि नवादा सीट राजग के घटक दल (भाजपा) के हिस्से में चली गयी है। जमुई (सु), से चिराग पासवान के जीजा अरूण भारती, खगड़िया से राजेश वर्मा और समस्तीपुर (सु) से बिहार सरकार में मंत्री अशौक चौधरी की पुत्री शांभवी चौधरी चुनाव लड़ रही है।वहीं, हाजीपुर (सु) से पार्टी के अध्यक्ष चिराग पासवान और वैशाली से सांसद वीणा देवी चुनाव लड़ रही हैं। इस बीच पूर्व केंद्रीय मंत्री पशुपति कुमार पारस ने राजग में वापसी कर ली। उन्होंने बिहार मे राजग गठबंधन को अपनी पार्टी के समर्थन की घोषणा की है। वहीं लोकसभा चुनाव से पहले (लोजपा-रामविलास) के प्रदेश संगठन सचिव ई. रविंद्र सिंह, पूर्व मंत्री, पूर्व लोकसभा सदस्य एवं राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रेणु कुशवाहा, पूर्व विधायक एवं राष्ट्रीय महासचिव सतीश कुमार, मुख्य विस्तारक अजय कुशवाहा समेत कई नेताओं ने पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा देकर चिराग पासवान की मुश्किलें बढ़ दी है।
उल्लेखनीय है कि लोजपा में टूट डालने और चाचा पशुपति कुमार पारस का साथ देने वालों में से वैशाली की सांसद वीणा देवी को छोड़कर चिराग पासवान ने किसी भी सांसद को दोबारा मौका नहीं दिया है। पिछले चुनाव में हाजीपुर (सु) सीट से चुनाव जीते श्री पारस, समस्तीपुर (सु) के सांसद प्रिंस पासवान और खगड़िया के सांसद महबूब अली कैसर खाली हाथ रह गये । वहीं, नवादा सीट से पिछले चुनाव में लोजपा के चंदन सिंह जीते थे लेकिन इस बार राजग के घटक दलों के बीच सीटों के तालमेल में यह सीट (भाजपा) के खाते में चली गई है। भाजपा के टिकट पर पूर्व केन्द्रीय मंत्री सी.पी.ठाकुर के पुत्र और राज्य सभा सांसद विवेक ठाकुर चुनाव लड़ रहे हैं। देखना दिलचस्प होगा कि इस बार के चुनाव में लोजपा -रामविलास का ‘चिराग’ बिहार में कितनी सीटों पर ‘रौशन’ हो पाता है।
प्रेम सूरज
वार्ता
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