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अपनी पहली फिल्म नेकी और बदी के जरिये भले ही रोशन सफल नहीं हो पाये लेकिन गीतकार के रूप में उन्होंने अपने सिने कैरियर के सफर की शुरूआत अवश्य कर दी। वर्ष 1950 में एक बार फिर रोशन को केदार शर्मा की फिल्म ‘बावरे नैन’ में काम करने का मौका मिला। इस फिल्म में मुकेश के गाये गीत “तेरी दुनिया में दिल लगता नहीं ” की कामयाबी के बाद रोशन फिल्मी दुनिया मे संगीतकार के तौर पर अपनी पहचान बनाने मे सफल रहे।
रोशन के संगीतबद्ध गीतों को सबसे ज्यादा मुकेश ने अपनी आवाज दी थी। गीतकार साहिर लुधियानवी के साथ रोशन की जोडी खूब जमी। इन दोनों की जोड़ी के गीत.संगीत ने श्रोताओं को भावविभोर कर दिया। इन गीतों मे “ना तो कारवां की तलाश है” , “ जिंदगी भर नही भूलेगी वो बरसात की रात ” , “लागा चुनरी में दाग”, “ जो बात तुझमें है” , “जो वादा किया वो निभाना पडेगा” और “ दुनिया करे सवाल तो हम क्या जवाब दें” जैसे मधुर नगमें शामिल है।
रोशन को वर्ष 1963 में प्रदर्शित फिल्म ताजमहल के लिये सर्वश्रेष्ठ संगीतकार का फिल्म फेयर पुरस्कार दिया गया। हिन्दी सिने जगत को अपने बेमिसाल संगीत से सराबोर करने वाले यह महान संगीतकार रोशन 16 नवंबर 1967 को सदा के लिये इस दुनिया को अलविदा कह गये।
प्रेम जितेन्द्र
वार्ता
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