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राज्य » गुजरात / महाराष्ट्र


रूपहले पर्दे पर बाल कलाकारों तथा बाल गीतों ने हमेशा से सिने प्रेमियों के दिलों पर अपनी अमिट छाप छोड़ी है ।
वर्ष 1954 में प्रदर्शित फिल्म..जागृति.. .. संभवतः पहली फिल्म थी जिसमें बाल गीत को खूबसूरती से रूपहले परदे पर दिखाया गया था। इस फिल्म में संगीतकार हेमंत कुमार के संगीत निर्देशन में कवि प्रदीप का रचित और उनका ही गाया यह गीत ..आओ बच्चों तुम्हें दिखाये झांकी हिंदुस्तान की ..बेहद लोकप्रिय हुआ था और बाल गीतों में इस गीत का विशिष्ट स्थान आज भी बरकरार है। इसके अलावा इसी फिल्म में मोहम्मद रफी की आवाज में कवि प्रदीप का ही लिखा गीत ..हम लाये है तूफान से कश्ती निकाल के ..श्रोताओं के बीच आज भी अपनी अमिट छाप छोड़ता है ।
शायद ही लोगों को मालूम होगा कि दिलीप कुमार और वैजंयती माला को लेकर बनी फिल्म ..गंगा जमुना .. नाम से बनी फिल्म में आज के दौर की चरित्र अभिनेत्री अरूणा ईरानी ने बतौर बाल कलाकार काम किया था।इस फिल्म में नौशाद के संगीत निर्देशन में हेमंत कुमार की आवाज में शकील बदायूंनी का रचित यह गीत ..इंसाफ की डगर पर बच्चो दिखाओ चल के .. श्रोताओं को आज भी अभिभूत कर देता है ।
इसके बाद समय समय पर पिल्मों में बाल गीत फिल्माये गये इनमें प्रमुख है .. नन्हे मुन्ने बच्चे तेरी मुटठी मे क्या है, इचक दाना बिचक दाना, तू हिन्दू बनेगा न मुसलमान बनेगा, इंसाफ की डगर पे बच्चो दिखाओ चल के, नन्हा मुन्ना राही हूं, चक्के पे चक्का, बच्चे मन के सच्चे, चंदा है तू मेरा सूरज है तू, रेलगाड़ी रेलगाडी, रे मामा रे रामा रे, है न बोलो बोलो, चंदा मामा दूर के, रोना कभी नही रोना, एक बटा दो, रोते रोते हंसना सीखो, लकड़ी की काठी काठी पे घोडा, जिंदगी की यही रीत है आदि ने खूब लोकप्रियता अर्जित की।
प्रेम,जतिन
वार्ता
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