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मनोरंजन-जया जन्मदिन दो अंतिम मुंबई

वर्ष 1975 जया भादुड़ी के सिने कैरियर का अहम पड़ाव साबित हुआ। उस वर्ष उन्हें रमेश सिप्पी की सुपरहिट फिल्म शोले में काम करने का मौका मिला।इस फिल्म के पहले उनके बारे में यह धारणा थी कि वह केवल रूमानी या चुलबुले किरदार निभाने में ही सक्षम है लेकिन उन्होंने अपने संजीदा अभिनय से दर्शको को मंत्रमुग्ध कर दिया ।अस्सी के दशक में शादी के बाद पारिवारिक जिम्मेवारियों को देखते हुये जया भादुड़ी ने फिल्मों में काम करना काफी हद तक कम कर दिया ।यश चोपड़ा के निर्देशन में बनी वर्ष 1981 में प्रदर्शित फिल्म सिलसिला उनके सिने करियर की आखिरी फिल्म साबित हुयी ।
इसके बाद जया भादुड़ी लगभग 17 वर्षो तक फिल्म इंडस्ट्री से दूर रही ।हालांकि इस बीच उन्होंने एक फिल्म की कहानी भी लिखी ।बाद में उस कहानी पर वर्ष 1988 में अमिताभ बच्च्न अभिनीत फिल्म शंहशाह प्रदर्शित हुयी।वर्ष 1998 में प्रदर्शित फिल्म ..हजार चौरासी की मां ..के जरिये जया भादुड़ी ने अपने सिने करियर की दूसरी पारी शुरू की।गोविन्द निहलानी के निर्देशन में नक्सलवाद मुद्दे पर बनी इस फिल्म में जया भादुड़ी ने मां की भूमिका को भावात्मक रूप से पेश कर दर्शको का दिल जीत लिया ।फिल्मों में कई भूमिकाएं निभाने के बाद जया भादुड़ी ने समाज सेवा के लिए राजनीति में प्रवेश किया और समाजवादी पार्टी के सहयोग से राज्यसभा की सदस्य बनी ।भारतीय सिनेमा में उनके योगदान को देखते हुए 1992 में उन्हें देश के चौथे सबसे बडे नागरिक सम्मान पदमश्री से अलंकृत किया गया।
जया भादुड़ी अपने सिने कैरियर में नौ बार फिल्मफेयर पुरस्कार से सम्मानित की जा चुकी है। रूपहले परदे पर जया भादुड़ी की जोडी अमिताभ बच्चन के साथ खूब जमी।अमिताभ और जया की जोड़ी वाली फिल्मों में जंजीर, अभिमान, मिली, चुपके-चुपके, शोले, सिलसिला, कभी खुशी कभी गम जैसी सुपरहिट फिल्में शामिल है।जया भादुड़ी के करियर की कुछ उल्लेखनीय फिल्मों में जवानी दीवानी, बावर्ची, परिचय, पिया का घर, शोर, अनामिका, फागुन, नया दिन नयी रात, कोई मेरे दिल से पूछे, लागा चुनरी में दाग, द्रोण शामिल है। जया भादुड़ी की आने वाली फिल्मों में रॉकी और रानी की प्रेम कहानी शामिल है।
प्रेम
वार्ता
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