नयी दिल्ली 05 सितम्बर (वार्ता) देश भर के हजारों शिक्षकों ने आज शिक्षक दिवस पर बेहतर पेंशन स्कीम की मांग को लेकर काली पट्टी बांधी और विश्वविद्यालय और कॉलेजों में विरोध प्रदर्शन किया।
केन्द्रीय विश्वविद्यालय शिक्षक संघ के बैनर तले यह विरोध प्रदर्शन पुरानी पेंशन स्कीम को दोबारा लागू करने के लिए किया गया। डूटा, जामिया शिक्षक संघ, जवाहरलाल नेहरू शिक्षक संघ, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय शिक्षक संघ जैसे शिक्षक संगठनों ने फेडकूटा के इस प्रदर्शन को पूरा समर्थन दिया। मानव संसाधन विकास मंत्री को एक ज्ञापन भी सौंपा,
फेडकुता की यहाँ जारी विज्ञप्ति के अनुसार एक जनवरी 2004 को शिक्षकों के ऊपर जो नयी पेंशन स्कीम थोपी गयी, उसे लेकर लगातार ड़ूटा और फेडकूटा जैसे संगठनों ने अपना विरोध प्रदर्शन करते रहे हैं। ज्ञापन भी मानव संसाधन विकास मंत्रालय को सौंपे गये हैं। नयी पेंशन स्कीम मूल रूप से शिक्षकों के लिए सेवानिवृत्त के बाद कोई लाभ सुनिश्चित करने की व्यवस्था नहीं करता है जबकि शिक्षा के क्षेत्र में देश का मेधावी विभाग आता है जो देश के विकास और बेहतरी के लिए कार्य करता है, तब जरूरी है कि उसे सामाजिक सुरक्षा पेंशन स्कीम के माध्यम से दिया जाना चाहिए।
यूजीसी अधिनियम 2018 को लेकर इस बीच फेडकूटा, एआईफक्टो, डूटा द्वारा दिए गए फीडबैक पर मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने संज्ञान में लिया है, वे उसकी सराहना करते हैं।
उन्होंने कहा कि ग्यारह जून 2018 को संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा जारी कि गयी पेंशन योजना अभी अधूरी है, क्योंकि सांतवें वेतन आयोग के पे मैट्रिक्स में उसकी योजना साफ नहीं है। एक जनवरी 2016 के पहले सेवानिवृत्त हुए शिक्षकों पर इसका गंभीर और विपरीत असर हुआ है। अभी तक सातवें वेतन आयोग के तहत वेतन भत्तों की घोषणा भी नही हुयी है। सरकार ने 200 प्वाइंट रोस्टर सिस्टम को अधिनियम के जरिए भी पूर्ण स्थापित नहीं किया है, जिसके अभाव में देशभर के विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में अनुसूचित जाति एवं जनजाति तथा पिछड़े वर्ग के शिक्षक पदों में भारी कटौती देखने को मिलेगी।
फेडकूटा ने मानव संसाधन विकास मंत्रालय से नयी पेंशन स्कीम को खत्म कर पुरानी पेंशन स्कीम को दोबारा लागू करने कि मांग की है और जब तक शिक्षकों की यह मांगे नहीं मानी जाती तब तक फेडकूटा अपने आंदोलन को जारी रखेगा।
अरविन्द.श्रवण
वार्ता