नयी दिल्ली, 03 नवंबर (वार्ता) भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद् (आईसीएमआर) के तहत काम करने वाले नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वाइरोलॉजी (एनआईवी) ने कहा है कि राजस्थान की राजधानी जयपुर में पाई गयी जीका वायरस की प्रजाति कम घातक और कम संक्रामक है।
स्वास्थ्य मंत्रालय की विज्ञप्ति के अनुसार, पुणे स्थित एनआईवी ने जयपुर में पिछले दिनों जीका वायरस के फैलने के दौरान विभिन्न समयों पर वायरस की पाँच प्रजातियों की जाँच की। एनआईवी ने एडवांस्ड मोलेक्यूलर अध्ययन में पाया कि एडिज मच्छरों में मौजूद जीका वायरस की प्रजाति और राजस्थान में पायी गयी इसकी प्रजाति में अंतर है तथा जयपुर का वायरस उतना संक्रामक तथा घातक नहीं है।
मंत्रालय ने बताया कि इसके बावजूद वह जीका वायरस की चपेट में आ चुकी गर्भवती महिलाओं के स्वास्थ्य की सजग निगरानी कर रही है क्योंकि ये वायरस म्यूटेशन के जरिये गर्भस्थ बच्चों में अपनी प्रजाति बदल सकते हैं जो बच्चों के लिए घातक या जन्मजात दोषों का कारण हो सकता है।
जयपुर में करीब दो हजार संभावित नमूने लिऐ गये हैं जिनमें 159 मरीज जीका वायरस से प्रभावित पाये गये हैं। मंत्रायल ने आश्वस्त किया है कि सरकार वायरस की जाँच तथा अनुसंधान करने वाली प्रयोगशालाओं को पर्याप्त जाँच किट उपलब्ध करा रही है। राज्य सरकार को लोगों में इसके बारे में जागरूकता फैलाने के लिए सामग्रियाँ उपलब्ध करायी जा रही हैं। इनके जरिये उन्हें वायरस से बचाव के उपायों के बारे में भी बताया जा रहा है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के जरिये इलाके की सभी गर्भवती महिलाओं के स्वास्थ्य की निगरानी हो रही है।
उल्लेखनीय है कि इस समय 86 देशों से जीका वायरस के मामले आ रहे हैं। इसके लक्षण डेंगू जैसे हैं। इसमें मरीज को बुखार, शरीर पर चकते, आँखों का आना, मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द, सिर दर्द आदि की शिकायत रहती है।
देश में इसका पहला मामला पिछले साल जनवरी/फरवरी में अहमदाबाद में पाया गया था। इसके बाद जुलाई 2017 में तमिलनाडु के कृष्णागिरि जिले में इसका पता चला था।
अजीत अरविंद
वार्ता