भारतPosted at: Jan 15 2019 7:51PM बिरजू महाराज ने किया कथक की तीन पुस्तकों का लोकार्पण
नयी दिल्ली 15 जनवरी (वार्ता) पद्मविभूषण से सम्मानित प्रख्यात कथक गुरु बिरजू महाराज ने कहा कि वह पुरी दुनिया में कत्थक के सन्देश और रौशनी को फ़ैलाने के लिए हमेशा तैयार रहते हैं तथा उसमें हमेशा नये प्रयोग करते रहना चाहते हैं ताकि कथक को वर्तमान समय से जोड़ा जा सके।
अस्सी वर्षीय बिरजू महाराज ने आज शाम यहाँ कथक पर हिन्दी में प्रकाशित तीन पुस्तकों का लोकार्पण करते हुए यह बात कही। इनमें एक पुस्तक उनकी कत्थक कला पर केन्द्रित है। बिरजू लय नामक इस पुस्तक को हिन्दी की चर्चित कथाकार एवं रायगढ़ घराने की मनीषा कुलश्रेष्ठ ने लिखी है। दूसरी किताब महान नृत्यांगना स्व रोहिणी भाटे की मराठी पुस्तक का हिन्दी अनुवाद लहजा है जबकि तीसरी पुस्तक बिरजू महाराज की पहली शिष्या रश्मि वाजपेयी की कथक वृतांत है जिसमे उनके नृत्य पर लिखे लेख समीक्षाएं भी शामिल हैं।
रजा फाउंडेशन द्वारा आयोजित समारोह में बिरजू महाराज ने कहा कि वह कथक में हमेशा नये प्रयोग करते रहे हैं और उसे केवल लय पर जोर न देकर उसे सौन्दर्य की तरफ केन्द्रित करने का प्रयास करते रहे हैं।
खेल से लेकर पर्यवारण तथा बच्चो को भी कथक की नृत्य रचना का विषय बनाने वाले बिरजू महाराज ने कहा कि उन्होंने एक बार दिल के डाक्टरों से कहा था कि अगर वे ईसीजी की तरंगों की गति के बारे में बताएं तो वह इन तरंगों की गति पर भी नृत्य रचना पेश करना चाहेंगे।
उन्होंने अपने बचपन का जिक्र करते हुए अपनी माँ को याद किया जिसने कहा था कि सुखी रोटी खा कर भी अपने पिता और दोनों चाचा को याद जरुर रखना।
उन्होंने अपने जीवन संघर्ष की चर्चा करते हुए कहा कि उन्होंने चौदह वर्ष की उम्र में दिल्ली में कदम रखा और उन्हें उस ज़माने में प्रख्यात सरोद वादक हाफीज़ अली खान बिस्मिल्लाह खान, पंडित रविशंकर जैसे लोगों का बहुत आशीर्वाद तथा प्यार मिला। उन्होंने कहा कि वह इस उम्र में किसी को भी कथक सीखने के लिए खुद चले जाते हैं मानो कुआं खुद प्यासे के पास चला जाये।
प्रसिद्ध संस्कृतिकर्मी एवं लेखक अशोक वाजपेयी ने कहा कि हिन्दी में नृत्य पर किताबें बहुत कम हैं और अच्छी पुस्तकों का नितांत आभाव है। यह पहला मौका है जब कथक पर हिन्दी में तीन किताबों का लोकार्पण एक साथ किया जा रहा है।
अरविन्द.संजय
वार्ता