भारतPosted at: May 29 2017 4:46PM पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों के मानक विकसित करने की जरूरत -डा अंसारी
नयी दिल्ली 28 मई (वार्ता )उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी ने आज कहा कि योग समेत पारंपरिक भारतीय चिकित्सा पद्धतियों की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लोकप्रियता को देखते हुए देश में इनके लिए मानक विकसित किये जाने की जरूरत है । डा अंसारी ने यहां राष्ट्रीय विद्यापीठ के रजत जयंती समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि योग एवं आयुर्वेद समेत भारत की वैकल्पिक चिकित्सा पद्धतियां सिर्फ देश में ही नहीं बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लोकप्रियता हासिल कर रही हैं । इसलिए यह सुनिश्चित करने के लिए कि ये पद्धतियां प्राचीन परंपराओं के अनुसार प्रामाणिक हैं ,भारत को इनके लिए मानक विकसित करना चाहिए । विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुमानों के हवाले से उन्होंने बताया कि आधुनिक दवाइयां न मिलने तथा सांस्कृतिक कारणों से विश्व की 65-80प्रतिशत आबादी प्राथमिक चिकित्सा के लिए पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों का सहारा लेती है । हाल के एक अध्ययन से भी पता लगा है कि देश की 90 प्रतिशत से ज्यादा आबादी खासकर ग्रामीण क्षेत्रों के लोग आयुर्वेदिक चिकित्सा प्रणाली का इस्तेमाल कर रहे हैं । इसमें खानपान की आदतें , घरेलू ईलाज और आर्युवेदाचार्याें से सलाह शामिल है । उपराष्ट्रपति ने कहा कि आधुनिक विज्ञान का सहारा लेकर पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों के समुचित अध्ययन और विकास से यह समग्र स्वास्थ्य सेवा प्रणाली का सस्ता एवं अहम हिस्सा बन सकती है । हालांकि सर्जरी समेत आधुनिक चिकित्सा को गैर जरूरी नहीं करार दिया जा सकता है लेकिन यह एकमात्र चिकित्सा पद्धति नहीं है । जीवन शैली ठीक करके तथा तनाव से मुक्त रखकर रोगों से बचाव में पारंपरिक चिकित्सा कारगर साबित हो सकती है । इसलिए आधुनिक एवं पारंपरिक दोनों चिकित्सा पद्धतियों की खूबियों के मिश्रण से दोनों की खामियों को दूर किया जा सकता है । वैज्ञानिक और अाम जनता दोनों को पारंपरिक चिकित्सा की महत्ता का पता लग रहा है ,इसलिए आयुर्वेद ,यूनानी और सिद्धा जैसी पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों की लोकप्रियता बढ रही है । नीलिमा /मधूलिका वार्ता