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संप्रग ने सशस्त्र बलों को हतोत्साहित किया, मोदी ने उन्हें कार्रवाई की आजादी दी: जितेंद्र

जम्मू, 14 अप्रैल (वार्ता) केंद्रीय मंत्री एवं जम्मू-कश्मीर में उधमपुर-डोडा-कठुआ लोकसभा क्षेत्र से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) उम्मीदवार डॉ. जितेंद्र सिंह ने रविवार को कहा कि केंद्र की पूर्ववर्ती संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन(संप्रग) सरकार ने सशस्त्र बलों का मनोबल गिरा दिया था, जबकि श्री नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री का पद संभालने के बाद उन्हें कार्रवाई करने के लिए खुली छूट दे दी, जिससे न केवल सेनाओं का मनोबल बढ़ा, बल्कि राष्ट्र को भरपूर लाभ भी मिला।
डॉ. सिंह ने हीरानगर और कठुआ बेल्ट में अंतरराष्ट्रीय सीमा (आईबी) के साथ विभिन्न स्थानों पर जनसभाओं की एक श्रृंखला को संबोधित करते हुए कहा कि संप्रग सरकार के 10 वर्षों के दौरान, सीमा पर भीषण हमलों के बाद भी सशस्त्र बलों को किसी के खिलाफ जवाबी कार्रवाई करने की स्वतंत्रता नहीं थी। पाकिस्तान समर्थित आतंकवादी उन पर बार-बार घात लगाकर हमला करते थे, लेकिन उन्हें जवाबी हमला करने की आजादी नहीं थी। ।
उन्होंने कहा कि श्री मोदी के सत्ता में आने के बाद सेनाओं को न केवल जवाबी कार्रवाई करने, बल्कि अपने पेशेवर विवेक के अनुसार सक्रिय कार्रवाई करने की स्वतंत्रता दी गई, जिसका परिणाम सर्जिकल स्ट्राइक था, जिसके तहत पहली बार भारतीय सेनाओं को दुश्मनों के शिविरों पर हमला करने का अवसर मिला।
डॉ. सिंह ने कहा कि भारत को दुर्भाग्य से ऐसे दौर से गुजरना पड़ा जब समाज के एक निश्चित वर्ग को खुश रखने के लिए तुष्टीकरण की नीति के साथ-साथ संप्रग सरकार के ढुलमुल रवैये के कारण सशस्त्र बलों को निराशा हाथ लगी। उन्होंने कहा, “इसके कारण न केवल बार-बार सीमा पार से गोलीबारी और लगातार आतंकवादी हमले हुए, बल्कि दुश्मन से लड़ने की सेना की विशाल क्षमता पर भी अंकुश लगा।”
डॉ. सिंह ने कहा, “आज कश्मीर घाटी में पथराव की एक भी घटना नहीं हो रही है। अंतरराष्ट्रीय सीमा पर स्थित लोग अपने घरों से बार-बार भागने और कभी पंचायत भवन, कभी स्कूल भवन में, तो कभी रिश्तेदारों के घर में शरण लेने की पीड़ा से मुक्त हो गए हैं। उन्होंने कहा, “मोदी सरकार ने सीमा पर प्रत्येक घर में फैमिली बंकरों के निर्माण के साथ शरण लेने के मुद्दे का भी हल निकाला है, जो लगभग एक कमरे के फ्लैट के समान सुविधाएं प्रदान करता है।”
डॉ. सिंह ने कहा, “बहुत जल्द, सीमा पर रहने वाली नई पीढ़ी, जो रक्षा की पहली पंक्ति है, उन सभी कठिनाइयों को भूल गई होगी, जिनसे उनके बुजुर्गों को गुजरना पड़ा था क्योंकि अब वे अंतिम बिंदु तक अपनी जमीन पर खेती भी कर रहे हैं। इससे अंतरराष्ट्रीय सीमा पर किसानों की आय में वृद्धि हुई है। उन्होंने कहा, “इसी तरह, सीमा पर विशेष बटालियनों की स्थापना से रोजगार के अवसर बढ़े हैं।”
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि श्री मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने सीमा के मुद्दे को दो स्तरों पर संबोधित किया है, पहला सेना को खुली छूट देकर और दूसरा अंतरराष्ट्रीय सीमा पर रहने वाले लोगों का जीवनयापन आसान बनाकर। डॉ. सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री ने उधमपुर रैली में अपने संबोधन में कहा था कि इस क्षेत्र के लिए जो किया गया है, वह केवल एक ट्रेलर है और आने वाले वर्षों में बहुत कुछ आना बाकी है।
उन्होंने कहा, “यह समृद्धि का एक युग है और सीमावर्ती लोगों के लिए एक नई सुबह इंतजार कर रही है, जिनके बच्चे अब न केवल उच्च शिक्षा संस्थानों और नौकरियों में प्रवेश में चार प्रतिशत आरक्षण का आनंद ले रहे हैं, बल्कि कड़ी मेहनत के दम पर व्यवसाय के विभिन्न क्षेत्रों में अपनी पहचान भी बना रहे हैं।
डॉ. सिंह ने कहा कि श्री मोदी ने बार-बार दोहराया है कि वह समाज के केवल चार वर्गों को जानते हैं, जिनमें से दो किसान और गरीब हैं तथा अन्य दो युवा और महिलाएं हैं। उन्होंने कहा कि इन चार वर्गों को संबोधित करने से सीमा पर लोगों की स्थिति में चमत्कारिक सुधार और परिवर्तन हो रहा है।
उन्होंने कहा कि श्री मोदी ने सीमावर्ती गांवों को "प्रथम" गांवों का नाम भी दिया है ताकि वहां रहने वाले लोगों को वह सम्मान और गौरव मिल सके, जिसके वे हकदार हैं।
संतोष, यामिनी
वार्ता
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