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लोकरुचि


रंगभरनी एकादशी से होली के रंग में रंगा ब्रजमंडल

रंगभरनी एकादशी से होली के रंग में रंगा ब्रजमंडल

मथुरा, 17 मार्च (वार्ता) रंगभरनी एकादशी के साथ ही रविवार को पूरा ब्रजमंडल होली के रंग में ऐसा रंगा कि देश के विभिन्न भागों से आए तीर्थयात्री भी होली के रंग में डूब गए।

उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले के वृन्दावन, बरसाना और गोवर्धन में अलग अलग तरीके से होली खेली गई। वैसे तीर्थयात्रियों के लिए सबसे अधिक आनन्ददायक क्षण श्रीकृष्ण जन्मस्थान में बीता। यहां ब्रज में खेली जाने वाली अलग-अलग किस्म की होली की अनूठी छटा देखने को मिली। मयूर नृत्य हो या महारास, रसिया गायन हो या चरकुला नृत्य अथवा फूलों की होली सभी कार्यक्रम ब्रज की अनूठी परंपरा के अनुकूल थे।

वहीं, सांस्कृतिक पक्ष में सबसे आनंददायक क्षण फूलों की होली थी जिसे देखकर दर्शक भाव विभोर हो गए। मयूर नृत्य में श्रीराधा को प्रसन्न करने के लिए कान्हा खुद मोर बनकर आए तो रसिया के स्वर गूंज उठे 'कान्हा मोर बन आए'। इसके बाद प्रसादस्वरूप लुटाए गए फूल लेने के लिए लोगों में होड़ लग गई।

सबसे मनोहारी दृश्य उस समय था जब कि रसिया के स्वर गूंज उठे 'फाग खेलन बरसाने आए हैं नटवर नंद किशोर'

इसके साथ ही एक ओर लट्ठमार होली शुरू हो गई तो दूसरी ओर मंदिरों की छत से सतरंगी गुलाल की वर्षा होने लगी। श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान के सचिव कपिल शर्मा ने बताया कि इस बार गुलाल उड़ाने की ऐसी व्यवस्था थी कि आसमान इंद्रधनुषी बन जाए। उन्होंने बताया कि जन्मस्थान में रावल गांव के होरिहारों को होली के लिए इसलिए बुलाया जाता है कि दर्शकों को अलग प्रकार की होली देखने को मिल जाए।

लट्ठमार होली का दृश्य बड़ा ही मनोहारी था। गोपियां लाठी से गोपों पर प्रहार कर रही थीं और गोप लोहे के तसलों से बनी ढाल से इस वार को सह रहे थे। इसी समय रसिया के स्वर बोल उठेः-

'होरी खेलन आयो श्याम आज याहि रंग में बोरो री।'

इसके साथ ही होली और तेज हो गई। ठहाके उस समय लगे जब हथियार लिये हुये एक पुलिसकर्मी भागने लगा और गोपियां उसे पीटने के लिए पीछे दौड़ने लगीं। करीब एक घंटे में वातावरण गुलाल से भर गया। इसके बाद नंदलाल की जयकार के साथ ही लट्ठमार होली का समापन हो गया।

आज ही वृन्दावन की मशहूर होली की शुरुआत राधावल्लभ मंदिर से ठाकुर की सवारी से हुई। बग्घी पर सवार श्यामा-श्याम तीर्थयात्रियों एवं वृंदावनवासियों पर गुलाल की वर्षा कर रहे थे और भक्त इसका आनंद ले रहे थे।

उधर, बांके बिहारी मंदिर में श्रद्धालुओं ने बिहारी जी से जमकर होली खेली। मंदिर के सेवायत आचार्य ज्ञानेंद्र किशोर गोस्वामी ने बताया कि मंदिर में इतना गुलाल उड़ा कि कुछ समय बाद ठाकुरजी का विगृह भी पूरी तरह से दिखाई नहीं दे रहा था।

आज से ही राधावल्लभ, राधारमण, गोपीनाथ, राधा दामोदर, राधा श्याम सुंदर, गोविंददेव, मदनमोहन आदि मंदिरों में होली शुरू हो गई तो गोवर्धन में चार लाख से अधिक भक्तों ने न केवल ठाकुर से होली खेली बल्कि ऐसी होली खेली जिससे परिक्रमा मार्ग गुलाल से रंग गया। अब से लेकर होली तक ब्रजमंडल होली के रंग में इसी प्रकार रंगा रहेगा।

सं विश्वजीत

वार्ता

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