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लोकरुचि


बीमार पिता और छह भाई बहनो का सहारा बनी शिवानी

बीमार पिता और छह भाई बहनो का सहारा बनी शिवानी

इटावा, 31 अगस्त (वार्ता) बेटी पढ़ाओ,बेटी बढाओ जैसी केंद्र और राज्य सरकार की तमाम योजनाओं की पहुंच से कोसों दूर 15 साल की शिवानी रिक्शा खींचकर अपने बीमार पिता और छह भाई बहनों के लिये उम्मीद की किरण बनी हुयी है।

उत्तर प्रदेश में इटावा जिले के कोकपुरा गांव की निवासी शिवानी ठेला रिक्शा पर सवार होकर हर रोज कबाड़ की खोज में गली कूचों की खाक छानती है। पसीने से लथपथ किशोरी को रिक्शा खींचते देख कोई उसकी बेवशी पर दया दिखाता है जबकि ज्यादातर उसे नजरअंदाज करते हुये गुजर जाते है। जिला मुख्यालय में विकास भवन के सामने से उसका रोज का गुजरना होता है, ऐसे में कई अधिकारियों की नजर भी उस पर पड़नी लाजिमी है लेकिन आज तक किसी ने उसकी ओर मदद के हाथ नहीं बढ़ाये।

उसके इस काज के लिये टोकने पर शिवानी ने कहा कि मजबूरी में वो कबाड़ा बीन कर अपनी जिंदगी का पहिया आगे बढ़ा रही है। उसने कहा “ पापा का तबियत काफी दिनो से बहुत खराब है। हम सात बहन भाई है। भाई बहनो में बड़ी होने के कारण मै मां के साथ कूड़ा बीनने निकलती हूं। पूरे दिन रिक्शा चला कर और कूड़ा बीन कर कुछ पैसा जुटाते है । तब घर का गुजारा चलता है । पापा रिक्शा चलाते थे लेकिन जब से उनकी तबियत ख़राब हुई है तब से वो कोई भी काम नही कर पाते ”

शिवानी की मॉ सीमा ने कहा “ क्या करे साहब । जब मेरे पति की तबीयत ठीक थी तो फिर वह पूरा कबाड़ा बीन करके गुजरा करते थे लेकिन पति की तबियत खराब होने की वजह से पेट भरने के लिए कुछ तो करना ही था । बच्चे भूखे प्यासे रहते थे । इस कारण कूड़ा बीन कर कुछ पैसे हो जाते है जिससे पेट तो भर जाता है । यही लड़की सबसे बड़ी है इसलिए मजबूरी में रिक्शा चलाती है । ”

के.के.कालेज के इतिहास विभाग के प्रमुख डा.शैलेंद्र शर्मा का कहना है कि बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ समेत तमाम योजनाये बालिकाओं के लिये संचालित है, इन सबके बावजूद बालिका का रिक्शा खीचना सरकारी योजनाओं की विफलता का जीता जागता प्रमाण है। अधिकारियों से निवेदन है कि बच्ची को सरकारी सहायता उपलब्ध कराई जाए । सरकार को ऐसे कदम उठाने चाहिए ताकि वो ऐसा न करे । उसको आर्थिक मदद भी दी जाए ओर साथ मे उसकी पढ़ाई का भी इंतज़ाम किया जाए ।

सं प्रदीप

वार्ता

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