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द. अफ्रीका दौरा: खाती,लेसर होटल से होगी ब्याज की वसूली

नैनीताल 14 फरवरी (वार्ता) कांग्रेस सरकार के शासन काल में वर्ष 2006 में दक्षिण अफ्रीका भ्रमण पर गये भारतीय वन सेवा के अधिकारियों पर दौरा भारी पड़ने लगा है। उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने मामले को गंभीरता से लेते हुए तत्कालीन मुख्य वन संरक्षक डी वी एस खाती और दक्षिण अफ्रीका दौरा का आयोजन करने वाले लेसर होटल से ब्याज समेत धनराशि वसूल करने के गुरुवार को निर्देश दिये।
मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन और न्यायमूर्ति रमेश चंद्र खुल्बे की खंडपीठ की ओर से आज ये निर्देश जारी किये गये। न्यायालय ने वकील और याचिकाकर्ता जे पी डबराल की सन् 2015 में दायर की गयी जनहित याचिका की सुनवाई के बाद ये निर्देश जारी किये हैं। कोर्ट ने दक्षिण अफ्रीका दौरे पर खर्च की गयी राशि को 12 प्रतिशत प्रतिवर्ष के हिसाब से मय चक्रवृद्धि ब्याज जमा करने को कहा है।
कोर्ट की ओर से तत्कालीन मुख्य वन संरक्षक खाती और दक्षिण अफ्रीका दौरा आर्गेनाइज करने वाले लेसर होटल से ब्याज की धनराशि वसूल करने को कहा है। दोनों को आगामी 18 मार्च तक ब्याज की समस्त धनराशि जमा करनी होगी। धनराशि हल्द्वानी स्थित राष्ट्रीय वानिकी संसाधन प्रबंधन केन्द्र (सीएफडी) के खाते में जमा की जाएगी।
दक्षिण अफ्रीका दौरे पर जाने वाले लोगों में कांग्रेस नेता और तत्कालीन वन मंत्री नवप्रभात भी शामिल थे। इनके अलावा तत्कालीन कांग्रेस विधायक शैलेन्द्र मोहन सिंघल, मुख्य वन संरक्षक डीवीएस खाती और राजाजी नेशनल पार्क के निदेशक जीएस पांडे भी दौरे पर जाने वालों में शामिल थे।
श्री डबराल ने बताया कि दक्षिण अफ्रीका के दौरे पर जाने से हल्द्वानी स्थित सीएफडी संस्था से 20 लाख रूपये की धनराशि आवंटित कर ली गयी। इस दौरे पर सात लाख रूपये से कम की धनराशि खर्च हुई। बाकी धनराशि को वापस सीएफडी के खाते में जमा नहीं कराया गया। बाकी धनराशि कहां गयी अधिकारियों को यह भी पता नहीं।
अधिकारियों की ओर से कोर्ट में पेश जवाब में कहा गया है कि उन्हें यह नहीं मालूम की बाकी धनराशि कहां गयी। संस्था की ओर से भी यही जवाब पेश किया गया। श्री डबराल ने बताया कि 2007 से 2012 के बीच छह किश्तों में बाकी रकम जमा की गयी लेकिन यह भी पता नहीं कि रकम किसके ओर से जमा की गयी।
कोर्ट ने इस मामले में कुछ पक्षकारों को आज जवाब पेश करने को कहा था। कोर्ट ने इस मामले में बेहद सख्त रूख अख्तियार किया और मामले की जांच एसआईटी से कराने की बात कही। इसके बाद कोर्ट ने तत्कालीन मुख्य वन सरंक्षक डीवीएस खाती और टूर आर्गेनाइज करने वाली संस्था लेसर होटल को इस जिम्मेदार माना। उन्हें बाकी की धनराशि पर ब्याज जमा करने के निर्देश जारी किये।
श्री डबराल ने कहा कि कोर्ट की ओर से डीवीएस खाती को दस लाख की धनराशि व लेसर होटल को तीन लाख से अधिक की धनराशि पर व्याज जमा करने के निर्देश दिये गये हैं। ब्याज की यह रकम 18 मार्च से पहले जमा करने को कहा गया है। साथ ही कोर्ट ने दोनों पक्षों को 18 मार्च को एक शपथ पत्र भी पेश करने को कहा है। मामले की अगली सुनवाई 18 मार्च को होगी।
रवीन्द्र.संजय
वार्ता
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